कल मुझे एक ईमेल-निमंत्रण मिला, जिसमें लिखा था कि १० फरवरी २००९ को मेरठ विश्वविद्यालय में रवि पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित हिन्दी ब्लॉगिंग की पुस्तक 'एटूजेड ब्लॉगिंग' का विमोचन होना है। किसी भी तरह की जानकारी और साहित्य को जन-जन तक पहुँचाने में पॉकेट बुक्स ने अहम भूमिका निभाई है। याद कीजिए 'कौन सी ऐसी मछली है जो हवा में उड़ती है, पानी में तैरती है और जमीन पर चलती है?, कौन सा पेड़ है जो लोगों को खा जाता है? कौन सा ऐसा पहाड़ है जो रोज़ रंग बदलता है?' जैसे रसदार सवालों का पुलिंदा बस से लेकर ट्रेन में बिकता है। हर आम-खास इससे परिचित हैं।
हिन्दी ब्लॉगिंग जो कि २००२ में शुरू हुई, २००९ के शुरू में ही पॉकेट बुक्स में घुस गई, तो निश्चित रूप से सफलता का स्वाद इसने बहुत जल्दी चख लिया। एक पॉकेट बुक्स से इस तरह की पुस्तक आने का फायदा यह होगा कि इसे लगभग हर पॉकेट बुक्स वाला प्रकाशित करेगा। यह भी कोई आश्चर्य नहीं कि आने वाले २-३ महीनों में आप दिल्ली-मुम्बई जैसे महानगर घूमने आये तों बसों-ट्रेनों में देखें कि ब्लॉगिंग की यह किताब रु १० में बिक रही है और साथ में चुटकुलों और देवर-भाभी की शायरियों की २-३ किताबें मुफ्त हैं।
अभी २८ दिसम्बर २००८ को हिन्द-युग्म ने अपना वार्षिकोत्सव मनाया। हिन्द-युग्म ब्लॉगिंग को लेकर गंभीर है, भाषा को लेकर गंभीर है, इसका उद्घोष तो यह २००८ के विश्व पुस्तक मेले में अपना स्टैंड लगाकर ही दे चुका था। लेकिन २८ दिसम्बर के कार्यक्रम में साहित्यशिखर राजेन्द्र यादव आये तो लोगों का विश्वास और मजबूत हुआ। हम इसके जो सकारात्मक परिणाम आँक रहे थे, वह हुए।
चोखेरबालियों ने ६ फरवरी २००९ को अपना सालाना जलसा मनाया। राजकिशोर, अनामिका जैसे विद्वजन आये और ब्लॉगिंग से जुड़े लोगों का जज्बा देखा और महसूस किया। इसी तरह से जमीनी और वर्चुयल दुनिया में बराबर दखल रखने वाली एनजीओ 'सफ़र' ने भी राजेन्द्र यादव द्वारा उन्हीं की लघुकथाओं के पाठ के माध्यम से इंटरनीय दुनिया की सजीव उपस्थिति को मुखरित किया।
हिन्दी ब्लॉगिंग से मेरा जुड़ाव ३२ महीना पुराना है। इस दौरान इस माध्यम के झंडारोपण के लिए मैं शहरो-कस्बों तक गया हूँ। लेकिन कभी झारखण्ड-बिहार जाने का मौका नहीं मिला। दिसम्बर में कोलकाता के ब्लॉगर अमिताभ मीत से जब मुलाक़ात हुई, उन्होंने मुझे कोसा कि यार कोलकाता और हजारीबाग के बीच सैकड़ों ब्लॉगर रहते हैं, हिन्दी-प्रेमियों का इलाका है, कभी उधर मिलने-मिलाने का प्रोग्राम करो तो बात बने।
मैंने गूगल किया तो पाया कि बात सही है। कुछ को पहले से जानता था, कुछ को नहीं। कुछ को फोन सेतो कुछ को ईमेले से पकड़ा और आखिरकार कश्यप मेमोरियल आई हास्पिटल, राँची की निदेशिका डॉ॰ भारती कश्यप ने कार्यक्रम के आयोजन का जिम्मा लिया। साथ में वरिष्ठ पत्रकार घनश्याम श्रीवास्तव उर्फ घन्नू झारखण्डी ने संयोजन की बागडौर सम्हाली।
यह कार्यक्रम में रविवार २२ फरवरी २००९ को राँची में सुबह ११ बजे से आयोजित होने जा रहा है, जिसमें ब्लॉगर साथी तो एक-दूसरे से मिलेंगे ही साथ में दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान, प्रभात ख़बर, आई-नेक्सट के प्रधान सम्पादकों (जैसे संत शरण अवस्थी, हरिनारायाण, हरिवंश॰॰॰॰) के इस विधा पर विचार आयेंगे, मैं ब्लॉगिंग से कम परिचित या न परिचित लोगों को पॉवर प्वाइंट प्रस्तुतिकरण के माध्यम से इस दुनिया की सैर कराऊँगा, पारूल चाँद पुखराज गायेंगी, तो शिव कुमार मिश्रा ब्लॉगिंग का इतिहास बतायेंगे। पत्रकार ब्लॉगर इसे वैकल्पिक पत्रकारिता की नज़रिये से देखेगा तो वहीं अनुभवी ब्लॉगर मनीष कुमार की अपने अलग अनुभव शेयर करेंगे। पहली पाँत से अंतिम पाँत के विद्वानों की बातें होंगी। अभी यह अंतिम रूपरेखा नहीं है, कुछ और ब्लॉगर-वक्ता भी जुड़ेंगे।
झारखण्ड के ब्लॉगरों की यह शिकायत रही है कि वहाँ ब्लॉगिंग-स्लॉगिंग की फालतू की चीज माना जाता है। शायद यह पहल इसे ज़रूरी मानने का बीज रोप दे।
बहुत से ब्लॉगरों ने अभी तक ईमेल का जवाब भी नहीं दिया है। अब पोस्ट पढ़कर सम्मिलित होने का कंफर्मेशन तो दे दें। जिन ब्लॉगरों ने आने की पुष्टि की है, वे हैं-
अमिताभ मीत (कोलकाता)
शिव कुमार मिश्रा (कोलकाता)
बालकिशन (कोलकाता)
शम्भू चौधरी (कोलकाता)
रंजना सिंह (जमशेदपुर)
श्यामल सुमन (जमशेदपुर)
पारूल चाँद पुखराज (बोकारो)
संगीता पुरी (बोकारो)
मनीष कुमार (राँची)
नदीम अख्तर (राँची)
घनश्याम श्रीवास्तव उर्फ घन्नू झारखंडी (राँची)
डॉ॰ भारती कश्यप (राँची)
निराला तिवारी (राँची)
संध्या गुप्ता (दुमका)
सुशील कुमार (चाईंबासा)
शैलेश भारतवासी (दिल्ली)
लवली कुमारी (धनबाद)
अभिषेक मिश्र (वाराणसी)
अब न कहना इसे अंट-शंट, न कहना आलतू-फालतू।
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15 बैठकबाजों का कहना है :
जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद....
शैलेशजी मैंने रांची में करीब छ साल बिताएं है, वहीं ग्रेजुएशन की पढ़ाई भी की है। जाने का मन मेरा भी बहुत कर रहा है। लेकिन हिसाब कुछ बैठ नहीं पा रहा है। हम कुछ लिख के देंगे तो वहां हुआं जाकर मेरे नाम से पढ़ देगें। कह दीजिएगा, ब्लॉगर तो नहीं उसके विचार साथ लाया हूं, जैसा होगा बताइएगा।
इस ब्लॉगर मिलन के लिए शुभकामनाये ।
और २२ फरवरी के बाद इसकी पूरी रिपोर्ट का भी इंतजार रहेगा ।
mai gaaungi??? ...ye jaankari to merey liye bhii nayi hai...
हमारी भी शुभकामनाएं हैंभाई जी.........
आलोक सिंह "साहिल"
कार्यक्रम की सफलता के लिए शुभकामनाएं। आशा है ऐसी बैठके ब्लागरों को जोडेंगी और गुटबाज़ी से परहेज़ करेंगी। पुनः शुभकामनाएं।
बैठक के लिये शुभकामनायें...
Kaash main in dino Rachi me hoti,to jaroor shamil hoti,abhi Bangalore me hoon aur Rachi april me jana hoga.
Manorma
manorma74@yahoo.co.in
विनीत भाई,
ज़रूर, ऐसा भी किया जा सकता है। जो कहना हो ईमेल कर दें।
मनोरमा जी,
आप जिम्मेदारी लें तो एक हिन्दी ब्लॉगर मीट बंगलुरू में भी रखी जा सकती है।
बैठक कर रहे हो
और हमारी ईमेल पर
कोई दस्तक, नौतक या आठतक
नहीं।
क्या हुआ भारतवासी जी
हम भी तो भारतवासी जी।
बढ़िया कोशिश है!!
जल्दी ही कोशिश कर रहा हूँ कि आपको फतेहपुर में भी बुला पाऊँ !!
इस ब्लॉगर मिलन के लिए शुभकामनाये!!!
बढियॉ प्रयास, सफलता की अग्रिम शुभकामनाऍं
सफलता के लिए शुभकामनाएं।
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