कोई बात नहीं जी, महफिलों में अब शराब की जगह मिनेरल वाटर बहा करेगा. और लोगों के अपने पूरे होशो-हवास में घर लौटने की संभावना भी रहेगी. याद रखिये उस एमरजेंसी की सिचुएशन में दोहा और पहेली की कक्षा में उनका जाम पीकर आनंद लीजिये. (हीईई...ही...हे..) और मुफ्त में दोहे लिखना सीखिए. चलती हूँ अब. जरा संभल कर चलिए मनु जी. ही..ही..ही... टोपी न कहीं गिर पड़े.
टिप्पणी भेजने के बाद मुझे भी हिचकी आने लगी....हिच्च....पानी पिए जा रही हूँ फिर भी..हिच्च ..हिच्च....हिच्च....हिच्च.....जाती हूँ दोहे की कक्षा में शायद हिचकी बंद हो जाये वहां जाकर.... हिच्च...
इस कार्टून के बहाने पुराने भी देख लिए। शन्नो जी की हिचकी भी समझ आ गयी। सबसे बड़ी बात तो यह कि मुझे आपका वास्तविक नाम मिल गया। मुझे गुस्से से मत घूरिए, मैं थोड़ी अल्पज्ञानी हूँ। दिल्ली आने पर मिलने का प्रयास रहेगा।
घूर नहीं रहा हूँ अजित जी, बल्कि हैरान हूँ के आप दिल्ली में आने पर मुझ से मिलना पसंद करेंगी,,,, आपका स्वागत है,,,(अब शन्नो जी की हिचकी बंद हो गयी होगी....::हां,,हा,,हा,,हा,,,:)
बादल भाई , इतनी छोटी टिपण्णी,,,,!!!!!!!!!!!!! क्या कुछ दिन में ही आदत छूट गयी टाइपिंग की ...? खैर बड़ा ही अच्छा लगा ....आपका दोबारा ब्लॉग शुरू करना,,,,आपको ढेरों बधाइयां,,,,
मैंने घूरना इसलिए लिखा कि आप गुस्से में सोच रहे होंगे कि इन्हें अभी तक मेरा नाम भी नहीं पता था। खैर व्यक्ति को बहुत अधिक गम्भीर वातावरण मिल जाता है तब उसे कुछ नवीनता चाहिए। आप जैसे युवाओं के साथ हमारे भी दिन फिरने लगते हैं। इसलिए ही मिलने का मन हुआ। मैं दिल्ली में 19 जून से 21 जून तक हूँ। अपना विस्तृत कार्यक्रम आपकी मेल पर करूंगी।
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12 बैठकबाजों का कहना है :
कोई बात नहीं जी, महफिलों में अब शराब की जगह मिनेरल वाटर बहा करेगा. और लोगों के अपने पूरे होशो-हवास में घर लौटने की संभावना भी रहेगी. याद रखिये उस एमरजेंसी की सिचुएशन में दोहा और पहेली की कक्षा में उनका जाम पीकर आनंद लीजिये. (हीईई...ही...हे..) और मुफ्त में दोहे लिखना सीखिए. चलती हूँ अब. जरा संभल कर चलिए मनु जी. ही..ही..ही... टोपी न कहीं गिर पड़े.
टिप्पणी भेजने के बाद मुझे भी हिचकी आने लगी....हिच्च....पानी पिए जा रही हूँ फिर भी..हिच्च ..हिच्च....हिच्च....हिच्च.....जाती हूँ दोहे की कक्षा में शायद हिचकी बंद हो जाये वहां जाकर.... हिच्च...
ओह..
तीन दिन का कोटा पहले ही पी लेना पड़ेगा..
टोपी पहना रहे हैं
या पहन रहे हैं
पाहुन
इस कार्टून के बहाने पुराने भी देख लिए। शन्नो जी की हिचकी भी समझ आ गयी। सबसे बड़ी बात तो यह कि मुझे आपका वास्तविक नाम मिल गया। मुझे गुस्से से मत घूरिए, मैं थोड़ी अल्पज्ञानी हूँ। दिल्ली आने पर मिलने का प्रयास रहेगा।
is cartoon pe to jaan nisaar hai manu bhaaee ke... kya subject liya hai.. badhaayee
arsh
मत देना, मत दान न देना, कहे झूम टोपीवाला.
बिखरी लट, खाली बोतल-ब्रश ले करता गड़बड़झाला.
कहे वोट फॉर डैश-डैश वह, चले बंद कर निज आँखें-
मिनरल वाटरवाली से डर, डाला है मुँह पर ताला..
इतना ही कहाँ सकता हूँ वाह!
घूर नहीं रहा हूँ अजित जी,
बल्कि हैरान हूँ के आप दिल्ली में आने पर मुझ से मिलना पसंद करेंगी,,,,
आपका स्वागत है,,,(अब शन्नो जी की हिचकी बंद हो गयी होगी....::हां,,हा,,हा,,हा,,,:)
बादल भाई ,
इतनी छोटी टिपण्णी,,,,!!!!!!!!!!!!!
क्या कुछ दिन में ही आदत छूट गयी टाइपिंग की ...?
खैर बड़ा ही अच्छा लगा ....आपका दोबारा ब्लॉग शुरू करना,,,,आपको ढेरों बधाइयां,,,,
मैंने घूरना इसलिए लिखा कि आप गुस्से में सोच रहे होंगे कि इन्हें अभी तक मेरा नाम भी नहीं पता था। खैर व्यक्ति को बहुत अधिक गम्भीर वातावरण मिल जाता है तब उसे कुछ नवीनता चाहिए। आप जैसे युवाओं के साथ हमारे भी दिन फिरने लगते हैं। इसलिए ही मिलने का मन हुआ। मैं दिल्ली में 19 जून से 21 जून तक हूँ। अपना विस्तृत कार्यक्रम आपकी मेल पर करूंगी।
मनु जी,
एकदम सही विषय चुना है, इस चुनावी माहौल में. और आपके बनाए कार्टून तो हमेशा ही अच्छे लगते हैं. बधाई .
मनु जी.. दो घंटे रह गये.. फिर कोई मजबूरी नहीं.. :-)
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