आज फिर बालिका दिवस है। मतलब आज फिर लोग चिल्लायेंगे.. नारे लगेंगे और टीवी पर फोटो खींचेंगे. हाँ ब्लॉग भी खूब चमकेंगे... लेकिन....
कार्टून- मनु बेतखल्लुस |
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क्या हुआ लड़का..? उन्होंने पूछा..
स्पीकर बंद था.. दूसरी तरफ की आवाज़ मैं न सुन सका..
अंकल के चेहरे से ख़ुशी गायब हो गयी.. वो जोर से बोले ...क्या करते हो गुप्ता जी फिर लड़की ....मेरी आँखों के आगे अँधेरा छा गया... स्पीकर अभी भी बंद था..लेकिन दूसरी तरफ से आवाज सुनाई दी... ऐसा नहीं होता अंकल जी... लड़कियां बहुत अच्छी होती हैं.. मुझे लड़की ही चाहिए थी.
टीवी पर चर्चा हो रही थी. एक लड़की का बलात्कार हो गया था. एक महोदय बोले लड़कियों को कम फैशन करना चाहिए... लेकिन क्यों.....
कई प्रश्न उठते हैं.. सबसे पहला कि क्या कम फैशन करने से ऐसे अपराध नहीं होंगे? इससे भी खतरनाक प्रश्न यह है कि ऐसे अपराध करने वाले लोग भेड़िये हैं... जो लड़कियों को देखते ही आप खो देते हैं.. अगर सचमुच ऐसा है तो पर्दा करने की जरूरत किसे है?.. ऐसे संदिग्ध लोगों की आखों पर पट्टियाँ बांध देनी चाहिए.. पर्दे की जरूरत उन लोगों को है न की मासूम लड़कियों को..
दूसरी बात क्या सचमुच फैशन ही जिम्मेदार है ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं के लिए? तो क्या कारण है की दूध पीती बच्चियों के बलात्कार हो जाते हैं? क्यों मानसिक रूप से विक्षिप्त लड़कियों पर कहर टूटता है..
यह कैसी सोच है कि फैशन पर रोक लगा दो... रोक तो उन लोगों पर लगनी चाहिए जो ऐसे भयानक बयान देते हैं.. सोच बदलनी होगी ऐसी लोगों की.. अगर नहीं तो ऐसी सोच रखने वालों को ही बदल देना होगा..
सुनील डोगरा 'ज़ालिम'
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6 बैठकबाजों का कहना है :
baithak mein aapka swagat hai bandhu!
bilkul sahi vimarsh jalim ji,aapke dwara uthaye gaye sawaal bilkul dahlaane wale hain.......
ALOK SINGH "SAHIL"
bahut hi sahi kaha aur kahne ka lehja bahut achha laga bdhaai
सही कहा....सोंच बदलनी होगी लोगों की....नहीं तो ऐसे बालिका दिवस आते जाते रहेंगे....और महिलाओं की स्थिति ज्यों की त्यों ही रहेगी....सभी बालिकाओं को उनके बेहतर भविष्य के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं।
"ladkiyon ko kam fashion karna chahiye" ..mahoday ka kahna kuch hadd tak sahi hai..yahan unka(mahoday ka) arth aise "fashion" se hai jishme foohadtaa evam beshrmi ka samaavesh hota hai aur tv cinema gharon mein parosa jaata hai...aur jin tv prograamme mein ye sab dikhya jaata hai usko hum parivaar ke saath baithkar dekh bhi nahi paate ...saayad aisi hi kuch baatein Mahoday ko ye kahne par majboor karti ho ki"ladkiyon ko kam fashion karna chahiye"
आप ने बहुत खूब लिखा ही सभी को सोचना होगा .मनु जी आप का कार्टून पूरी किताब ही जितना चाहो पढ़ लो
सादर
रचना
बैठक पर आपको देख कर अच्छा लग रहा है ज़ालिम जी....
निखिल
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