सरकार चीनी के भाव बढ़ा रही है। जी हां, यह सुनने में यह विचित्र लगता है लेकिन सच है। इस समय चीनी के भाव में जो तेजी आ रही है वह सरकार की शह पर है। यह बात आज वह हर व्यक्ति कह रहा है जो चीनी के गणित को जानता है।
चीनी के भाव में तेजी के बीज तो गत वर्ष ही बो दिए गए थे जब देश में गन्ने का उत्पादन कम होने के कारण चीनी के उत्पादन में कमी की आशंका पैदा हो गई थी। बहरहाल, सरकार ने उस समय कहा कि उत्पादन 220 लाख टन
होगा। बाद में इसे घटा कर 200 लाख, फिर 180 लाख टन और अंत में 160 लाख टन पर आकर रुक गई। लेकिन आज वास्तविक उत्पादन 150 लाख टन से नीचे पर सिमट गया है।
सरकार चाहती तो अब भी तेजी को रोक सकती थी जिस प्रकार मई में मिलों पर साप्ताहिक बिक्री सम्बंधी आदेश लगाकर किया था। न मालूम किस कारण से सरकार ने इस नियम को बाद में निरस्त कर दिया। यह सब जानते हैं कि इस वर्ष भी देश में गन्ने की बिजाई गत वर्ष की तुलना में कम हुई और इसका उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। पहले यह अनुमान था कि एक अक्टूबर से आरंभ होने वाले सीजन 2009-10 के दौरान चीनी का उत्पादन 200 लाख टन तक पहुंच जाएगा लेकिन अब अनुमान है कि यह 170 लाख टन से ऊपर नहीं पहुंच पाएगा।
हालांकि यह बात चीनी उद्योग जानता है लेकिन जब सरकार यह कहे कि उत्पादन कम होगा और भारत को फिर चीनी का आयात करना पड़ेगा तो इसका संदेश विश्व बाजार में अलग ही जाता है। जिस दिन भारत सरकार की ओर से कृषि व खाद्य मंत्री शरद पवार ने यह बयान दिया कि विश्व बाजार में चीनी के भाव बढ़ गए, इसका अर्थ है कि चीनी का आयात और महंगा होगा।
40 रुपए के संकेतसरकार की ओर से बयानबाजी की बात यहीं पर समाप्त नहीं होती है। गत सप्ताह चीनी पर आयोजित एक सम्मेलन में शरद पवार ने फिर एक सुर्रा छोड़ दिया कि विश्व बाजार में चीनी के भाव बढ़ रहे हैं, इससे अक्टूबर में जो चीनी आयात होगी वह 40रुपए प्रति किलो के आसपास पड़ेगी। अर्थात वह संकेत दे रहे हैं कि मिलों को आयातित चीनी के भाव 40 रुपए प्रति किलो पड़ेंगे और उपभोक्ता अधिक भाव चुकाने के लिए तैयार रहें। साथ ही मिलों को शह भी दे दी कि वे 40 रुपए तक चीनी बेच सकती हैं। उनके इस बयान के बाद ही दिल्ली सहित देश के लगभग सभी भागों में थोक बाजार में चीनी के भाव 3350 रुपए रुपए प्रति क्विंटल के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। इसका सीधा सा अर्थ है कि खुदरा बाजार में चीनी के भाव 36 रुपए प्रति
किलो के पार चले गए हैं। ब्रांडेड चीनी तो अब भी 40 रुपए प्रति किलो के आसपास चल रहे हैं।
खो जाएगी मिठासऐसा नहीं लगता कि उपभोक्ता के लिए चीनी में अब मिठास रह पाएगा। गत वर्ष की तुलना में भाव लगभग डबल हो चुके हैं और आगामी सीजन में भी भाव में किसी भारी कमी का अनुमान नहीं है। देश में उत्पादन तो कम होगा ही विश्व बाजार में भी उत्पादन कम होने से आयात महंगा होगा और इसका असर देश में उपभोक्ता मूल्यों पर पड़ेगा। दूसरी ओर, चीनी मिलों के मजे हैं। मुनाफा अधिक होने के संभावनाओं के कारण लगभग सभी मिलों के शेयरों में निवेशों की खरीद हैं और भाव बढ़ रहे हैं।
हालांकि सरकार ने चीनी के भाव पर अंकुश लगाने के लिए कुछ कदम उठाएं हैं, लेकिन वे नाकाफी हैं। थोक उपभोक्ताओं पर स्टाक सम्बंधी पाबंदी का कोई असर होने वाला नहीं है। थोक व खुदरा व्यापारियों पर स्टाक व बिक्री की समय की सीमा पहले से ही लागू है। हां, यदि सरकार मिलों पर अंकुश लगाए और उन्हें एक तय भाव पर चीनी बेचने के लिए कहे तो बाजार
में भाव पर कुछ काबू पाया जा सकता है। लेकिन सरकार ऐसा नहीं करेगी क्योंकि वास्तव में सरकार को चीनी के भाव
में तेजी रोकने में कोई दिलचस्पी है ही नहीं, ऐसा उसके द्वारा उत्पादन व भाव सम्बंधी बयानों से स्पष्ट है।
राजेश शर्मा
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25 बैठकबाजों का कहना है :
महंगी चीनी की व्यापक जानकारी मिली . इस कारण तीज -त्योहार भी फीके पड़ जाएगें .सरकार कालाबाजारी करने वालों को पकडे तो भाव कम हो सकते हैं .
यह एक कड़वा सच है की चीनी को मंहगा करने में सरकार का भी हाथ और दूसरा सच यह है कि सरकार चीनी के भाव नीचे लाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है.
Rajesh sharma ji is baar itne kam aandon ke sath yeh aalekh kyon?
aap to sabse zyada aande juta ke aalekh likhne k lie jane jate hain.
काफी अच्छा आलेख है
चीनी को मंहगा होने
से रोकने के लिए एक उपाय ये हो सकता है हम सब चीनी खाना बंद कर दे हलाकि शुरुवात में कुछ प्रॉब्लम आएगी पर धीरे धीरे हम सब इस के आदि हो जायेंगे और चीनी का दाम बढ़ने वाले लोगो और सरकार को एक अच्छा सबक मिलेगा
काफी अच्छा आलेख है
चीनी को मंहगा होने
से रोकने के लिए एक उपाय ये हो सकता है हम सब चीनी खाना बंद कर दे हलाकि शुरुवात में कुछ प्रॉब्लम आएगी पर धीरे धीरे हम सब इस के आदि हो जायेंगे और चीनी का दाम बढ़ने वाले लोगो और सरकार को एक अच्छा सबक मिलेगा
घरो में चीनी का ज्यादातर इस्तेमाल दूध और चाय में होता और दूध तो बिना चीनी के भी पीया जा सकता है, जो लोग चाय पीते है उन्हें चाय में kum चीनी का इस्तेमाल करना चाहिए tabhi हम sarkaar और चीनी के दाम बढ़ने वाले लोगो को सबक sikha सकते है
I tell you what to do about this problem. A solution to resolve the problem is here:....how about using saccharin? Make full use of this sweetner in tea, coffee, milk, kheer halva, any kind of mithai, cakes and puddings etc. Enjoy the sweetness of sugar without the calories. Perfect way of loosing some fat(weight) as well(well, sometimes). One tablet does the trick in a mug full of tea or coffee unless you have a very sweet tooth, then perhaps....two tablets are enough. One tablet is equal to one teaspoonful of sugar. Another source of satisfying your cravings for sweet things is - apna good old fashion गुड.
अरे हाँ, अब तो हलवाई के यहाँ मिठाइयाँ भी खूब मँहगी हो जायेंगी. दीवाली भी आ रही है शीघ्र ही. तो अब कैसे क्या होगा? क्या घर में चीनी ही फांक कर काम चलाना होगा?
कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ...और लगता है कि आम आदमी के उठने तक ये हाथ उसके गले पर लगा ही रहेगा...ही नहीं हर चीज ने जीवन की मिठास कम कर दी है..
सरकार चीनी के दाम कम करने में रूचि नहीं ले रही विपक्ष को आपसी झगडों से फुरसत नहीं ...पिसता रहे आम आदमी इनकी बला से ..इनके गोदाम तो सुरक्षित हैं ..!!
सुमित जी,
बढ़िया है.....आज चीनी खाना बंद कर देते हैं, कल दाल खाना छोड़ देंगे...घास-फूस कर जीना शुरू करते हैं....
शन्नो जी की सैकरीन पता नहीं होती कैसी है..सरकार को मत बताइएगा कि आप सैकरीन के सहारे चाय गले में उतार रही हैं, वो भी महंगा हो जाएगा....
जितना अच्छा लेख, उससे अच्छी टिप्पणियां पढ़ने को मिलीं..
ये टिप्पणी राजीव थेपरा 'भूतनाथ'(ब्लॉग का नाम) जी की आई है...उन्होंने बैठक के मेल में ये भेजा है....आप भी पढ़िए...
'देखिये राजेश जी हमन तो एक्क ही बतवा कहेंगे......एही की.....बहुते चीज़ दूर होन्ने से मीठा हो जाता है......आदमिवा से कोइयो चीज़ को दूर कर दीजिये ना....ऊ चीज्वा ससुरवा तुरंते मीठा हुई जावेगा....सरकारे भी हरी भाँती सोचती है....झूठो का झंझट काहे करें...ससुरी चीनी को मायके भेज दो देखो आदमी केतनों पईसा खर्च करके ससुरा उसको,जे है से की लेयिये आवेगा.....आउर देखिये बाबू ई धरती पर गरीबन को जीने-वीने का कोइयो हक़-वक नहीं है....उसको जरुरत अगर अमीरन को खेती करने,जूता बनाने,पखाना साफ़ करने,दाई-नौकर का तमाम काम करने,वेटर-स्टाफ का काम करने,चपरासीगिरी करने या मालिक का कोइयो हुकम बजाने का खातिर नहीं हो तो ई ससुर साला गरीब आदमीं का औकाते का है की साला ऊ इस सुन्दर,कोमल,रतन-गर्भा धरती पर जी सके.......आउर ई बात के वास्ते दुनिया का तमाम गरीबन को अमीरन लोगन का धन्यावाद ज्ञापित करना चाहिए....और साला ई गरीब लोग है की कभी महंगाई,कभी का,कभी का.....ससुरा बात-बात पे झूठो-मूठो जुलुस-वुलुस निकाल-निकाल कर माहौल को एकदम गंधा देता है...चीनी तो एगो छोटका सा बात है....अबे ससुरा महँगा हो गया तो मत खाओ.......तुमको कोई बोला की तूम चीनी खायिबे करो......??
एए फटफटिया बाबू लोगन अब,जे है से की ई सब बातन को तूम सब बंद भी करो.....साला महीना-दू महीना से इही सब चिल्ला रहे हो तूम सब...अरे तूम सबका मुह्न्वा दुखता नहीं का....तूम सब लोग थकते नहीं का.....अरे भईया एतना तो समझो की ई सार ग्लोबल युग है.....आउर कोई भी बात धरती पर होता है तो ऊ एके सेकेण्ड में ई पार से ऊ पार पहंच जाता है.....देस का बदनामी तो होयिबे करता है.....आउर ससुरा उहाँ का ब्यापारी भी अपना चीनी को भारत के वास्ते आउर भी महँगा कर देता है....बोलो....दोहरा नुकसान हुआ की नहीं...!!....देस को ई नुक्सान किसके कारण हुआ.....तुमरे कारण....ससुरा फटफटिया माफिक हल्ला करते रहते हो.....का दाम है भईया चीनी का.....चालीस रुपिया....सो तूम हमको बताओ....ई एको डालर है.....????अभी भी एक डालर में कुछ रुपिया कम है ई.....साला किसी चीज़ में तुम सब अगर एको डालर भी खर्च नहीं कर सकते....तो हमरे पियारे से भईया.... तूम साला जन्दा काहे को हो....अभी के अभी मरो साला तूम......साला गू-मूत में रहने वाला.....नदी नाला में जीने वाला तूम सब लोग चीनी खायेगा.....???....चलो भागो यहाँ से.....हम पूछते हैं की हम चीनी खा-खाकर मर गए.....तब्बो भूत बने.....तूम सब चीनी नहीं खाकर मरेगा....तब का कुच्छ और बन जाएगा का....??बनना तो सब्बेको भूते है ना....!!तब काहे को चिंता लेता है की कौन का खाया....कौन का नहीं खाया.....??आउर दूसरा बात ई भी हमरा सुनो बबुआ....जे है से की......ई ससुरा जो दुःख आदि जो है ना......ऊ ससुरा आदमी का करम-फल है...ईससे कोइयो नहीं बच सकता.....तूम का भगवान् हो......??तूम ससुरा का दरिद्र.....""नारायण""हो.....??अरे भईया काहे एतना फडफडाते हो....खुदो चैन से जीओ....आउर हम सरकार-अफसर-नेता आउर अमीर लोगों को चैन से जीने दो....हम लोग का मिटटी खाकर पईदा लियें हैं.....??
आउर भईया एग्गो आखिर बात.....आखिर जब तूम सबको हम सबका सुख नहीं देखा जाता....या तूम सब हम लोगो से घिरिना करते हो तो भईया....तूम सबके आस-पास जो भी नदी-कुँआ-तालाब-पोखर.....या जो भी कुच्छो हो...उसमें जाकर डूब मरो....काहे ससुर धरती का सांति-वान्ति भंग करते हो.....अमीरों का रंग में भंग करते हो.....हम कहते हैं की तूम लोग तब्बो नहीं मानोगे तो साला हम मिलेटरी बुलवा देंगे......तूम सब साला के ऊपर बूल-डोजर चढवा देंगे.....थोडा कह कर जा रहे है....तूम जियादा ही समझ लेना.....!!'
arkaar sarkaar..
bahut sateek baat kahi hai Rajesh ji,
aur sirf cheeni hi nahi, aaj market mein sabhi khaadya padaaarthon ka yahi haal hai, daalein, sabziyaan, sabhi ke daam aasmaan chhoo rahe hain, aur us par hamari sarkaar same rate par unhe mother diary mein uplabdh kara kar newsapaper mein bada bada article chhap deti hai ki ab se sasti daalein mother dairy pe milengi...
koi un se puche, ki same rate par de kar koi ehsaan dikha rahe hain kya?
Ravi ji ki baat bahut sahi lagi, Congress ka haath sabke gale par jam gaya hai, aur dum leke hi jayega, ya fir dum leke bhinahi jayega.
par kya karein vipaksh mein koi sarkaar bhi to nahi hai, B.J.P. aur baaki parties ke to already fakhte hawa mein hain.. nyways
cheeni ke badhte daamon ka yahi ilaaz hai ki hum log cheeni ki alternates use karein, bataashon se chaai badi mast banti hai, gaanv mein aaj bhi log bataashon ki chaai peete hain, gud se to har cheez mein ek different mithaas aata hai, Shanno ji ki baat ko support karte hue kehna chahungi, STOP USING SUGAR. aur gud istemaal kijiye, zindagi mein mithaas ke aur bhi tareeke hain.
..
Deep
प्यारे भूतनाथ जी,
आप इतने लाल-पीले हो कर अपना खून सुखा कर क्यों अपनी सेहत ख़राब कर रहे हैं. मुझे पता है की इस सब की वजह है 'चीनी' और इसके आसमान छूते हुये भाव. है ना? जरा आप इसके दाम बढ़ जाने से जो सबकी जेब पर असर होगा उसकी bright side भी देखने की कोशिश करें. मेरा मतलब है की कृपा करके आप अपना दिमाग ठंडा करके यह सोचिये की अमेरिका में लोग dieting कर - करके मुटापा कम कर रहे हैं. और यहाँ चीनी व खाने के भाव ऊपर जाने से ( हालांकि ऐसा कोई चाहता नहीं है, किन्तु मजबूरी का नाम है महात्मा गाँधी ....तो सबर करिये आप लोग भी) ऐसी परिस्थिति से समझौता करके सब लोग समझबूझकर ही खायेंगे तब मुटापा भी पास नहीं फटकेगा. और आप हैं की चिंतित हुये जा रहे हैं. ट्रेन यदि ठसाठस भरी हो, जगह के अभाव से यदि बैठ न सकें ढंग से तो उसमें यात्रा करने से मुफ्त में कसरत हो जाती है, उसी प्रकार शक्कर के अभाव से भी शरीर चुस्त - दुरुस्त रह सकता है.....वो कहते हैं की अधिक मीठी चीजें खाने से भी समस्याएं हो जाती हैं, तो......diebetese के भी कम chances रहेंगें......अरे भाई, और अगर इतनी ही लपक है मीठा खाने की... तो अपना गुड कौन सा बुरा है....चाय बनाइये आप गुड और इलाइची वाली या बिना इलायची के भी और लीजिये पीने का मजा! जिन्हें चीनी की लत पड़ी हुई है उन्हें अपना taste develop करने में थोडा सा बख्त तो लगेगा ही. अपनी कहूँ तो मुझे तो भई, बहुत अच्छी लगती है सोंधा स्वाद होता है....और जानबूझ कर बनाती हूँ कभी - - कभी, लेकिन जरूरत पड़ने पर उसे रोज़ भी बनाया जा सकता है. अफसर और बाबू लोगों की नाक नहीं कट जायेगी गुड इस्तेमाल करके.....यह खुराफात केवल दिमाग में ही होती है और कुछ नहीं. अब चीनी के भाव ऊपर जाने से सब बिलबिला रहे हैं तो सबके ही दिमाग ठिकाने आ जायेंगे और देखना अब, की कैसे सब गुड के ऊपर भिनभिनाते हैं. ज्यादा मीन - मेख निकालेंगें तो उससे भी वंचित रह जायेंगे. और फिर अगर सब सोचें तो शहद, गन्ना, अमरुद, ताजे फल, सूखे फल आदि अन्य तमाम चीजें भी तो चीनी का replacement कर सकती हैं. Why not give them a try.
और निखिल जी,
For your information Saccharin is the foundation for many low calorie and sugar free products around the world. It works as a substitute for sugar and is safe to use in drinks and puddings etc. and is also good for diebetic people. I don't know if it is available in India or not. A low calorie sweetner is made with the unique sweetning ingredient: SUCRALOSE.
In Europe and America it is widely available at chemists and large supermarkets.
शन्नो जी,
अब थोड़ा थोड़ा याद आ रहा है ग्लूकोज़ का फॉर्मूला
mujhe yeh lekh bahut pasand aaya Sharmaji. Nikhil please aaise topics ki humein "baithak" par zaroorat hai. all the best...
mei khud pareshan ho gaya, jab kuch dino pehle cheeni lene gaya tha. SAch mei humari generation ko itni diabetes ki problem nahi honi chahiye jaise humare maa-baap ko ho rahi hai...humein toh sarkar he bachaa legi...:)
Deepali ji,
Aapko bahut-bahut dhanybaad ki aapne gud khane ke baare mein mujhe support kiya. Bachpan mein batashe bhi khoob khaye the, unhen doodh mein bhi gholkar piya tha. kabhi-kabhi sharbat bhi banta tha unse. Aapne mera bachpan yaad dila diya. Aur gud mein paage besan ke mote sev to bade hi tasty hote hain.
Nikhil ji,
I think you got the idea. You are right and here are some more facts about glucose and sugar substitutes:
Glucose is a type of carbohydrate and is the body's main energy source.
Sugar is a form of carbohydrate that provides calories and raises blood sugar levels. There are a variety of sugars, such as white, brown, confectioner's, invert and raw. Fructose, lactose, sucrose, maltose, dextrose, glucose, honey, corn syrup, molasses and sorghum are also sugars.
Sugar substitutes are Sweeteners used in place of sugar. Please, note that some sugar substitutes have calories and will affect blood sugar levels, such as fructose (a sugar, but often used in ‘sugar-free' products) and sugar alcohols like sorbitol and mannitol. Others have very few calories and will not affect blood sugar levels, such as saccharin, NutraSweet and sucralose (Splenda).
शुक्रिया हार्दिक, तुम्हारे लिखे का भी इंतज़ार है...शन्नो जी, आप ऐसे ही मेरी जानकारी बढ़ाते रहें..
राजीव थेपरा जी (भूतनाथ),
आपको धन्यबाद कहना भूल गयी थी लेकिन बिना कहे आपको कैसे पता लगेगा की आपकी टिप्पणी बहुत मजेदार लगी. ऐसी मजेदार टिप्पणियों की भी बहुत आवश्यकता रहती है. please, आप ऐसे ही तमाम और comments भेजकर हमेशा हंसी का रंग-गुलाल सब पर फेंकते रहिये और सब पढने वालों को गुदगुदाते रहिये........आप चुप क्यों हो गये भई......बीच-बीच में ऐसे कमेंट्स always brightens our days in dark times.
Shanno ji,
besan ke mote sev.. yeh kya dish hai bhaai, mere to sunte hi muh mein paani aane laga hai, jara recipe bataiye na..
हाँ, हाँ क्यों नहीं दीपाली जी.
असल में बचपन में खाये थे या फिर जब भारत जाती हूँ तो उसकी special request करती हूँ. मैं अब यहाँ भी कई दिनों से बनाने की सोच रही हूँ. कोई खास ingredients नहीं होते हैं इसमें. यदि आपने घर पर नमक, हींग, मिर्च और अजवाइन और जरा सा तेल डाल कर और पानी मिला कर बेसन का dough बनाकर कभी नमकीन वाले महीन या मोटे सेव बनाये हों तो आपके लिये मीठे मोटे सेव बनाना बस easy-peasy है......मेरा मतलब है की आसान है. बस नमक और मसाले ना डालें पर उसी प्रकार से dough बनाकर जो सेव निकालने वाली मशीन आती है उसे इस्तेमाल करके कुछ मोटे सेव medium hot oil में (refined oil) सुनहरे होने तक तल लें और फिर जैसे आप शक्करपारे बनाने के लिये चीनी की दो तार consistency की चाशनी बनाती हैं तो शक्कर की जगह आप गुड इस्तेमाल कर के चाशनी बना लें और वह सेव जल्दी से मिक्स कर लें उसमें और आंच से उतार लें. किसी shallow dish में निकाल लें. चीजों की मात्रा बताने में असमर्थ हूँ इस समय. किसी दिन बनाते समय मुझे अपना ही judgement apply करना होगा क्योंकि कहीं लिखकर नहीं रखा है इसलिए. इस बार लिख लूंगी. आप भी अपना judgement apply करें मेरी तरह. पर आपको कैसे लगेंगे यह नहीं कह सकती, क्योंकि.......स्वाद अपना-अपना. लेकिन चीनी के संकट में शायद लोग गुड को appreciate करनें लगें. Well, now I wish you good luck with this adventure.
शन्नो जी,
आप बैठक पर एक रेसिपी का स्तंभ क्यों नहीं लिखना शुरू करती हैं...ऐसी थालियां जो विदेश में भी हिंदुस्तानी बनाते हैं, खाते हैं....या कुछ बाहर की ही थालियां जो हमारे घरों में बनाया जा सके.....सोचिए...
संपादक जी,
आपका कमेन्ट पढ़कर समझ नहीं आ रहा है की मैं आपको धन्यबाद कहूं या सॉरी. क्योंकि पढ़ने के बाद बुद्धि समझ नहीं पा रही है की आप ख़ुशी-ख़ुशी पूछ कर hint दे रहे रहे हैं 'अपना खाना' के स्तम्भ लिखने के बारे में, या व्यंग्य कर रहे हैं. Be a bit more clear about it.
मेरा और कोई ध्येय नहीं था वो तो बस बात चली तो दीपाली जी के पूछने से मैंने recipe बता दी थी. वर्ना चीनी की बैठक में मैं भला क्यों ऐसी हिम्मत करने लगी.
वैसे आपको बताना चाहती हूँ की हम सब हिन्दुस्तानी जहाँ भी रहें अपने देशी खाने से ही प्यार करते हैं और विदेश में भी अधिकतर वही खाना खाते हैं जो भारत में सब लोग खाते हैं. बस फर्क है तो उसी वस्तु को बनाने का अपना-अपना अंदाज़. जैसे एक ही विषय पर लेख या कविता लिखने वाला हर कोई अपने-अपने अंदाज़ में लिखता है तो वही तरीका cooking के बारे में भी apply होता है. हर किसी की cooking का स्वाद जरा सा फर्क हो जाता है....बस और कुछ नहीं....यहाँ और भी तरह-तरह के खाने खाये जाते हैं. और बात उठी ही है तो जहाँ तक विदेशी खाने की बात है तो भारत का कोई बड़ा शहर अछूता नहीं है जहाँ अब foreign cousine ना मिले. आपको तो पता ही होगा वहां रहने से. वहां पर Italian, Mexican, Chinese, Spanish और भी तरह के restaurant सुनने में आते हैं. But believe me, nothing like our own north, south and panjabi style food. Indian Restaurants में यहाँ भारतीयों से ज्यादा अंग्रेज खाते हुए मिलेंगें......ओह, मैं शायद फिर अपनी हद पार कर रही हूँ बकबास करने में.....चलती हूँ अब....
शन्नो जी,
मैं मज़ाक नहीं कर रहा....आप एक गंभीर पाठक की तरह बैठक पर हमेशा मौजूद रहती हैं, इसीलिए आपके लेख पढ़ना अच्छा अनुभव रहेगा....बस, इसीलिए कह दिया...अपनी इमेल आइडी भी दें ताकि संपर्क हो सके...
संपादक जी,
अब जानकर तसल्ली हुई मुझे. If you ever want, you can contact me at this address: shannoaggarwal1@hotmail.com
Today I have to go out now for the whole day. Here, in London, the time is now 10.30 in the morning. Bye for now. And thank you.
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