हिन्द-युग्म के वार्षिकोत्सव जिसका आयोजन हिन्दी भवन में 28 दिसम्बर 2008 को हुआ, में कार्टूनिस्ट मनु बे-तख्खल्लुस भी उपस्थित थे। इन्होंने मुख्य-अतिथि देश के प्रख्यात साहित्यकार राजेन्द्र यादव के ऊपर एक कार्टून बनाया। आप भी देखें।
सिर्फ़ हँसने की बात नही, क्यूँकी ये व्यंग राजेन्द्र जी पर नही लगता अपितु हमारी हिन्दी को नग्न करते हिन्दी के पैरोकार पर ज्यादा लगती है, भाई को बधाई राजेन्द्र जी हमारी हिन्दी शर्मिन्दा है आपसे.
कार्टून बेहद प्रभावशाली है। हिन्दी को अंग्रेज़ी स्टाईल धूंएं में तो न उड़ाईए। मनु भाई मुझे फिर एक बे मीटरी ग़ज़ल आ रही है। लेकिन मैं कहूंगा। आप कितना अच्छा कार्टून बना लेते हैं वाह!
अतिथि देवो भव की भावना ने चुपचाप बैठने को मजबूर किया था ,वरना अब इन्हे कौन समझाए की हमारी हिन्दी ,हमारी सांकृतिक धरोहर को अजायबघर में रखने वाले के साथ कैसा सलूक होना चाहिए |
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
17 बैठकबाजों का कहना है :
हा हा हा
सिगार में बड़ी आग है
:)
सिगर मा इस्टाइल है. सिगार वाम शासीत क्यूबा में बनते है. ऐसे कई कारण हो सकते है.
बेहतरीन व्यंग्य… मान गये कार्टूनिस्ट जी को… जो बात दसियों ब्लॉगर सैकड़ों शब्दों में न कह पाये, इस एक चित्र और एक लाइन में बयाँ कर दिया… बहुत खूब…
bahut sundar kaartoon banaya hai.
हा हा..
हँसे बिना नहीं रह पाया...
सिर्फ़ हँसने की बात नही, क्यूँकी ये व्यंग राजेन्द्र जी पर नही लगता अपितु हमारी हिन्दी को नग्न करते हिन्दी के पैरोकार पर ज्यादा लगती है,
भाई को बधाई
राजेन्द्र जी हमारी हिन्दी शर्मिन्दा है आपसे.
सच मे सिगार मे बडी आग्
रात किसी ने सिगरेट पीकर,
शहर के चेहरे पर फूंकी थी,
सुबह से कोहरे में लिपटी है,
सारी दिल्ली....
हा हा हा ...मस्त कार्टून है ....बहुत सही
" ha ha ha great well said"
regards
bahut achhaa objarvation....
andar ki aag to thandi parh chuki hai...ab to bs bnaavat ka hi aasraa hai...
dikhaava, bs be.dhangee dikhaava..
---MUFLIS---
वाह! मनु भाई,
कार्टून बेहद प्रभावशाली है। हिन्दी को अंग्रेज़ी स्टाईल धूंएं में तो न उड़ाईए। मनु भाई मुझे फिर एक बे मीटरी ग़ज़ल आ रही है। लेकिन मैं कहूंगा। आप कितना अच्छा कार्टून बना लेते हैं वाह!
एक रात तेरी याद आई
तन्हाई मिटने मैंने सिगार जलाई !!
कमबख्त क़यामत तो तब हुई जब आग के ढूहे ने तेरी तस्बीर बनाई !!
काफी सुंदर कार्टून बनाया है !!!
--------------संजय सेन सागर
उन्होने सिगार पिया ये अच्छा नही लगा पर वो हमारे मुख्य अतिथि थे
उन पर हिन्द युग्म पर कार्टून बना देखना ज्यादा बुरा लग रहा है
अतिथि देवो भव की भावना ने चुपचाप बैठने को मजबूर किया था ,वरना
अब इन्हे कौन समझाए की हमारी हिन्दी ,हमारी
सांकृतिक धरोहर को अजायबघर में रखने वाले के साथ कैसा सलूक होना चाहिए |
sigar]sigrate ho ya pipe log abhi bhi usi me atke hai usse jyada kya unka or koyi sani nahi
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)