दरअसल, हुआ यूं कि हिंदयुग्म के भूपेंद्र राघव होली के दिन से ही भांग खाकर ऐसे लोटे कि उनकी नींद अब जाकर खुली.....जब खुली तो उन्होंने बैठक पर भी नज़र दौड़ाई....फिर, जो कुछ बन पड़ा, होली का संदेश स्वरूप हमें लिख भेजा...बैठक पर फाग की खुमारी अब भी बची है....आप भी डोलिए हमारे साथ....
1. खबरों से ली खबर सभी की,लेकर होली आड़ ।
एक साँड ने शैलेश जी को कैसे दिया पछाड ?
कैसे दिया पछाड नहीं कोई धींगा मुस्ती ।
स्पेन जाकर जीत रहे हर बार वो कुश्ती ॥
गलत खबर है नीलम जी यह सोलह आने ।
हैप्पी होली, मैं भी आया गुजिया खाने ॥
2. तपन डुबोने चल दिये सकल उडीसा आज ।
कैसी कैसी हैं खबर , हे मेरे महाराज ॥
हे मेरे महाराज, हालात बडे बे-काबू ।
मुश्किल में आ गये आज पटनायक बाबू ॥
तपन श्री पर हाये कैसा आक्षेप लगाया ।
सच्ची झूठी जैसी भी बस खबर की माया ॥
3. आचार्य जी की बात पढ़ी लो माँथा ठिनका ।
एक एक दोहा शेर समान बलवान है जिनका ॥
आज मल्लिका शेरावत से क्यूँ कर मीटिंग..।
अगर हकीकत यही तो भैया सचमुच चीटिंग ॥
कैसे करूँ विश्वास, आचार्य जी आख मींचकर ।
आखिर कर दी लम्बी आचार्य जी की टांग खींचकर॥
5. खुद-खुशी से खुद-कुशी करन चले इसबार ।
टाँग अडाई पुलिस ने पाकर मौका यार ॥
पाकर मौका यार, यहाँ पर सब शैतानी ।
हमको दिया धकेल, जब भी जाने की ठानी ॥
कर ना लें हम कब्जा स्वर्ग पर पहले जाकर ।
दिया प्रलोभन नीलम जी ने हमको आकर ॥
इस होली में अपनी बल्ले बल्ले होली ।
हैप्पी गुजिया होली कि हैप्पी भल्ले होली ॥
6. टर्र टर्र करने लगे कितने सारे जीव ।
ये सुर है या ताल है सोचें खडें सजीव ॥
सोचे खडे सजीव अजीब स्चिवेशन भाई ।
कैसे कविता करें जान पर अब बन आई ॥
टर्र टर्र संगीत बने ऐसा प्राकृतिक ।
कर्णप्रिय हो जाये, शब्द कुछ ऐसे अब लिख ॥
बने समस्या एक समौसा खाये जाओ ।
हैप्पी होली हैप्ली होली गाये जाओ ॥
7. हों प्रवासी वो भले , दिल में बसते आज ।
होता बहुत लुभावना अपने घर का नाज ॥
अपने घर का नाज भूख प्रबल हो जाती ।
इसीलिये तो दूर देश से खुशबू आती ॥
आने दो , आ जाओ भैया बहुत स्वागत ।
नीलम,निखिल भुगतान करेंगे सारी लागत ॥
एक प्लेन से एक ही बन्दे को आना है ।
हैप्पी होली , हमको भी गुजिया खाना है ॥
8. तीन दिनों से भूपेन्द्र (राजा इन्द्र) का
हिल रहा था सिंहासन..
या छप रहा पंजाब केसरी, या नी. नि.(नीलम निखिल) प्रकाशन..
हालांकि अखबार हो गया आज 3 दिन बासी
लेकिन दिल गद-गद हो बैठा,खबरें अच्छी खासी
फ़्रंट पेज पर नाम देखकर मन में उठी उमंग
उपर से अठखेलिया संग होली के रंग
बाइक मेरी हो गयी , उडने को तैयार
पीछे बैठत डर रहे , सब कितने बेकार
मन बुझा तो क्या हुआ साईलेंसर में आग
वही बैठ सकता यहाँ जिसका अच्छा भाग
अपने दिल का कीजिये पॉल्यूशन कंट्रोल
ऐसे यूँ ना देखिये करके आखें गोल
-शेष अगले अंक में....
बुरा ना मानो होली है...:)
सभी को होली की बहुत बहुत बधाई... (ये अगले साल की नहीं,इसी साल की बधाई है....)
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6 बैठकबाजों का कहना है :
होली पर हिन्द युग्म के पाठकों को शुभकामनाएं। घर-घर में पलाश खिले,टेसू के रंग बने
फिर ढाक के तीन पात, सारे ही वर्ष चले।
होली के बाद से एक बन्दा और भी गायब है,,,,
हमारे तनहा जी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!!
उन्हें भी खोज कर लाया जाए,,,,
गौरव सोलंकी भी काफ़ी दिनों से गायब हैं...उन्हें भी याद करना चाहिए....
निखिल आनंद गिरि
गौरव सोलंकी भी काफ़ी दिनों से गायब हैं...उन्हें भी याद करना चाहिए....कल उनसे भी फोन पर बात हुई थी, उन्होंने सबको होली की मुबारकबाद दी है....
निखिल आनंद गिरि
अरे भाई ये दोनो ने ना.. बेईमानी की थी .. मुझे ना कम भांग का दी और खुद मेरे हिस्से के दो दो गिलास ज्यादा डकार गये.. अब तो एक दो दिन बाद ही खुलेगी आँख...
और पी लो लो... , पेट नग़ाडा हो रक्खा था फिर भी नज़र मेरे हिस्से के गिलासों पर ही थी..
rochak...sisila jaree rahe...rang aur vyang ke saath hasya kee fuhaar yane holee kaa tyohaar
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