Sunday, March 14, 2010

शापित से बहुत कुछ सीखने को मिलाः श्वेता अग्रवाल

श्वेता अग्रवाल फिल्म ‘शापित’ से पहले टर्की की एक फिल्म ‘मिरार’ में और ओलिवर पॉलिस की स्विस जर्मन फिल्म ‘तंदूरी लव’ में भी अभिनय कर चुकी हैं। ‘स्टार प्लस’ पर प्रसारित धारावाहिक ‘देखो मगर प्यार से’ में मोटी-सी लडकी के किरदार में नज़र आ चुकीं श्वेता अग्रवाल इन दिनों फिल्म सर्जक विक्रम भट्ट की खोज के रूप में उनकी आगामी फिल्म ‘शॉपित’ में अभिनय करके चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इस फिल्म में उनके हीरो है मे मशहूर संगीतकार उदित नारायण के बेटे आदित्य नारायण हैं। देखा जाए तो यह फिल्म श्वेता के लिए डेब्यू होगी व अपनी बॉलीवुड की पहली ही फिल्म विक्रम भट्ट की हॉरर फिल्म 'शापित’ से कर रही है।

प्रश्न- कैसा लग रहा है अपनी पहली बॉलीवुड फिल्म को करके ?
- पहले मैं बहुत ही डरी हुई थी कि बॉलीवुड में मेरी पहली फिल्म ही विक्रम भट्ट जैसे महान निर्देशक के साथ करने को मिल रही है । फिल्म 'शापित’ एक हॉरर फिल्म होने के साथ साथ प्रेम कहानी वाली भी फिल्म हैं। विक्रम भट्ट उन निर्देशकों में से हैं, जो अपने दर्शकों को अपनी फिल्म के द्वारा एक जगह पर बैठे रहने के लिए मजबूर कर देते हैं। मुझे पूरा यकीन हैं कि उनकी फिल्म ‘शापित’ दर्शकों निराश नहीं करेगी। इन्ही सब कारणों से मुझे इस फिल्म को करने में मजा आ रहा हैं।

प्रश्न- इस फिल्म में अपने किरदार के बारे में बताइए?
- इस फिल्म में मैंने काया का किरदार निभाया है जो कि एक रायल परिवार की कॉलेज में पढने वाली लडकी है । काया को इस बात की जानकारी नहीं है कि उसके परिवार को 300 साल पहले एक श्रॉप मिला था जिसकी वजह से इस परिवार की कोई लडकी जब भी शादी करना चाहेगी तो बुरी ताकत उसे खत्म कर देगी ।प्यार के सागर में डूबी काया अपने प्रेमी अमन से सगाई करके जैसे ही सगाई की अंगूठी पहनती हैं वैसे ही वह बुरी आत्मा उसके पीछे पड जाती हैं । तब काया के माता पिता काया को उसके शापित होने की बात बताते हैं। इसके बाद भी काया का प्रेमी अमन उससे रिश्ता नहीं तोडता क्योंकि काया और अमन ने तो पूरी जिन्दगी एक साथ रहने का इरादा पक्का किया हुआ हैं । फिर यह दोनों उस बुरी आत्मा से बचने के लिए क्या क्या नहीं करते हैं यह डरावना मंजर इस फिल्म में दिखाया गया है ।

प्रश्न- आपको नहीं लगता कि आपको अपना कैरियर हॉरर फिल्म से शुरू करना महंगा पड़ सकता हैं?
- मैं मानती हूं कि बॉलीवुड में हॉरर फिल्म के साथ कैरियर शुरू करना काफी रिस्की है। लेकिन मुझे इसमें कोई रिस्क नहीं लगता और न ही किसी से मेरी इस बारे में शिकायत है। मुझे विक्रम भट्ट की फिल्म होने से इस फिल्म पर पूरा भरोसा है। वैसे ‘शापित’ में पागलपन वाला हॉरर नहीं हैं। इसमें एक प्रेम कहानी है। काया और अमन एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं। वे एक दूसरे पर जान न्यौछावर करने वाला प्यार करते है। बुरी आत्मा से बचने के लिए वे क्या क्या नहीं करते हैं और बुरी आत्मा किस तरह उनका पीछा करता है और कई तरह के घटनाक्रम होते है। इस फिल्म की कहानी में रोचकता के साथ डरावनापन भी है।

प्रश्न- फिल्म की शूटिंग के दौरान क्या अनुभव रहा ?
- इस फिल्म में काम करना मेरे लिए बहुत बडी चुनौती के रूप में था क्योंकि मैं भी एक जगह बैठकर हॉरर को नहीं देख सकती थी। इसी वजह से इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैं खुद डरी हुई रहती थी। एक बार एक ऐसा दृश्य फिल्माया जा रहा था, जिसके लिए मुझे एक जगह बंद कर दिया जाता हैं। वहां मिट्टी थी, गंदगी थी और जगह इतनी सकरी थी कि मैं हिल डुल भी नहीं सकती थी। दीवार से चेहरा सटा हुआ था। मैं न बाहर वालों की आवाज सुन सकती थी, न बाहर वाले मेरी। कैमरा अपना काम कर रहा था। तभी अचानक एक मकड़ी वहां आ गयी। मकड़ी से तो मैं बहुत डरती हूं। मुझे लगा कि मेरी जिन्दगी खत्म हो गयी। मैं बुरी तरह डर व सहम गई थी। जैसे ही सीन ओ.के. हुआ व दरवाजा खुला, मैं जोर-जोर से रोने लगी। डरी सहमी मैं आधे घंटे तक रोती रही। विक्रम भट्ट वगैरह ने मुझे काफी समझाया। बडी मुश्किल से दो घंटे बाद मेरे अंदर का डर खत्म हुआ और मैं नॉर्मल हो सकी।

प्रश्न- निर्देशक विक्रम भट्ट के साथ काम करने का क्या अनुभव रहा?
-बहुत ही अच्छा अनुभव रहा। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। हर फिल्मकार की काम करने की अपनी अलग स्टाइल होती है। विक्रम भट्ट की तो स्टाइल ही अलग हैं। वह तो हमारे गुरू की तरह हमें काम के बारे में बता रहे थे। उन्होंने हमारी बहुत मदद की । वह खुद सीन करके बताते थे कि हमें किस प्रकार करना है। इसके बावजूद जब समस्या हल नहीं होती थी तो वह दृश्य में कुछ बदलाव भी करते थे। विक्रम भट्ट जी खुल विचारों के है। उनके साथ काम करके बहुत ही मजा आया। मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा।

प्रश्न- क्या कारण है कि ‘शापित’ बन कर तैयार है और आपने अभी तक कोई दूसरी फिल्म साइन नहीं की है?
-मैं पिछले डेढ साल से ‘शापित’ के साथ इस तरह जुडी हुई हूँ कि कुछ और सोचने का मौका ही नहीं मिला। मेरे दिमाग में ही नहीं आया कि मुझे किसी नये प्रोजक्ट से भी जुडना चाहिए। अब जब आप लोग सवाल कर रहें हैं तो मुझे लगता हैं कि अब मुझे दूसरी तरफ भी ध्यान देना पडेगा। मुझे हर निर्माता-निर्देशक व कलाकार के साथ काम करना हैं बशर्ते अच्छी पटकथा व उसमें मेरा किरदार दमदार हो। मैं यहां तब तक रहूंगी जब तक मुझे काम मिलेगा और लोग मुझे परदे पर देखना पसंद करेंगे। मैं अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ परफार्मेंस देने का पूरा प्रयास करूंगी।

प्रश्न- आप अंतरराष्ट्रीय फिल्मों से पहले अपने कॉलेज के दिनों में ‘देखो मगर प्यार से’ एक धारावाहिक भी कर चुकी हैं तो क्या अब टी वी सीरियल भी करेंगी?
-फिलहाल तो मैं फिल्में ही करना चाहूँगी जो मेरी प्राथमिकता है पर भविष्य में कुछ अच्छा ऑफर मिला तो टी वी भी कर सकती हूँ।

प्रस्तुतिः अशोक भाटिया

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