फौजिया रियाज़ दिल्ली के एफएम रेनबो में रेडियो जॉकी हैं.......बैठक पर इनका ये पहला लेख है....आप पढ़कर बताएं कि बैठक की ये नई सदस्य कैसा लिखती हैं....
हाल ही में अमेरिका के एक एयरपोर्ट पर शाहरुख़ खान "द सुपर स्टार" के साथ दो घंटों तक पूछताछ चली। इस पर इस कदर हंगामा बरपा कि भारतियों की इज्ज़त से खिलवाड़ हो रहा है और भी न जाने क्या क्या...कई लोगों का कहना है कि ये भारतीयों के साथ ज़्यादा होता है, मुसलमान के साथ ज़्यादा होता है,अमेरिका एक रेसिस्ट देश है, वहां नाम देख कर पूछताछ की जाती है, साथ ही कि ये हमारे मान की बात है, हमे भी अमेरिकियों से इसी तरह पेश आना चाहिए...या रब! हद हो गई!! हम ख़ुद कितने रेसिस्ट हैं, दोगले हैं, इसका एहसास ही नही है, ख़ुद हमारे यहाँ हर दाढ़ी वाले को शक की नज़र से देखा जाता है, ख़ुद हमारे यहाँ नॉर्थ ईस्टर्न लोगों को अपना नही समझा जाता, ख़ुद हमारे यहाँ विदेशी पर्यटकों को तंग किया जाता है, ख़ुद हमारे यहाँ लोगों को नीचा दिखाने के लिए बिहारी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है...इतना हल्ला किसलिए क्यूँकि वो शाहरुख़ खान है? न जाने कितने कश्मीरी नौजवानों के सर पर आतंकवादी का लेबल लगा कर मार दिया जाता है, न जाने कितने मुसलमान नौजवानों को कॉलेज में एडमिशन के दौरान तिरछी नज़रों से देखा जाता है, न जाने कितने गरीब मासूम लोगों को माओवादी बताकर एनकाउंटर किया जाता है...तब कोई उफ़ भी नही करता, अपने देश में होता है तो सब चुप्पी साध लेते हैं और गैर मुल्क में हुआ तो हाय तौबा...क्यूँ? माना जो हुआ वो ग़लत हुआ लेकिन उससे ज़्यादा ग़लत तो पूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब के साथ हुआ...लेकिन तब न्यूज़ चैनल वाले ही चिल्लाये थे, अभी आम इंसान को भी चिल्लाता देख रही हूँ...अरे ज़्यादा जोश में आने की ज़रूरत नही है..इनका कोई भरोसा नही कल को इमरान हाश्मी की तरह कह देंगे "मेरे साथ कोई बदसलूकी नही हुई,मेरे बयां को तोड़-मरोड़ के पेश किया गया था"
फौजिया रियाज़
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
12 बैठकबाजों का कहना है :
अब कोई पहली घटना नही है.
मीडिया को मसाले की बहुत ज़रूरत रहती है..
बस बात चल पड़ी....
ये इंडिया है फौजिया मैडम...
यहां ऐसा ही चलता है... शाहरुख ख़ान एक फिल्मी स्टार है पर अब्दुल कलाम तो भारत के राष्ट्रपति रह चुके हैं... संसद और मीडिया में सिर्फ हो हल्ला ही हो सकता है कुछ कार्यवायी नहीं हो सकता है क्यों कि ये इंडिया है ....
फौजिया जी जितनी सुंदर आप हैं उतना ही सुंदर आप की लेखनी . भारत की तो शांत रहने की प्रकृति है .सॉरी सुनने से मान जाता है .आभार .
फौजिया ,
बिलकुल सही बात कही है ,इतना हल्ला मचाने की जरूरत नहीं है ....................
जरूरत है अपने देश की खामियों को दुरुस्त करने की
हमारा वतन सबसे अच्छा है ,
इस भावना को रखते हुए हम आगे बढ़ें तो कुछ द्श्वारियां तो अपने आप ही कम हो जायेंगी ,
अनाम जी ये इंडिया है आर आप भी इसी इंडिया में ही रहते हैं ,जो अपने देश से प्यार नहीं करता वो हमारी नजरों में देशद्रोही है |
फ़ौजिया जी, आपका बैठक पर स्वागत है...
अगर आप मीडिया में होती तो आप भी वही दिखाती.. :-) मीडिया सच कभी नहीं दिखाता.. कम से कम हमारे देश का मीडिया.. वैसे अम्बिका सोनी के कमेंट का भी आप जिक्र छेड़ देतीं...
उन्होंने कहा कि भारत में भी अमेरिका वालों से ऐसे ही पेश आना चाहिये... हमसे बड़ा डरपोक कोई नहीं.. अम्बिका जी में हिम्मत है तो पहले वो करके दिखायें...
खैर ये तो होता रहेगा.. अब इनकी आदत बन चुकी है। अमरीका में कनून सख्त है.. हम तो "नरम दल" के हैं.. "गरम दल" को तो कभी किसी ने पूछा ही नहीं कभी.. इतिहास गवाह है.. चलिये बात कहीं की कहीं पहुँच जायेगी..
आप का स्वागत है.. बस लेख की लम्बाई थोड़ी और अधिक हो...
भारत में मुसलमानों के साथ एलियंस जैसा व्यवहार : जसवंत सिंह
दुनिया में ऐसी हवा चली है कि जैसे कि मुस्लिम होना गुनाह हो गया है... कभी नाम पे शक तो कभी गोल टोपी पहनने पे या दाढ़ी रखने पर ...
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के साथ तो भारत की धरती पर ही ऐसा हुआ जो कलाम साहब सपने में भी नहीं सोचा होगा...
नाम का तो फर्क पड़ता ही है...
फिल्म स्टार न हुए ... लगता है अमेरिका के राष्ट्रपति हो गए ...
एयर पोर्ट पर दो घंटा बैठना पड़ा... गरीबों को तो सालों साल कहीं और भी रहना पड़ता है...
अच्छा हुआ शाहरुख खान ने बेटे का नाम आर्यन और बेटी का नाम सुहाना रखा...
नहीं तो भविष्य में उन्हे भी किसी और एयर पोर्ट पर दो-चार घंटे रुकना पड़ता..
नाम का फर्क तो पड़ता ही है...
मैं फौजिया जी से इत्तेफाक नहीं रखता. उनका कहना है कि हम भी तो विदेशी पर्यटकों के साथ ऐसा ही करते हैं. हालाँकि उनका कहना १०० फीसदी सही है लेकिन एक बात वो गौर करें कि हो विदेशी पर्यटकों के साथ होता है वो कोई wel educated person नहीं करता बल्कि एक अनपढ़ और low profile person करता है. जबकि शाहरुख़ के साथ जो हुआ या अब्दुल कलम साहब के साथ जो हुआ वो अमेरिकन inteliigence ने किया जो कि wel educated है.
आपका कहना है कि "इतना हल्ला किसलिए क्यूँकि वो शाहरुख़ खान है न" मैं कहूँगा नहीं क्योंकि वो अमेरिकन intelligence है. इसलिए हंगामा बरपा है. यह कोई पहला वाक्य नहीं है इससे पहले भी george farnandis के कपडे उतरवाए गए थे जो कि उस वक़्त defence minister थे. आप बताये क्या अपने यहाँ भी यही होता है जब कोई अमेरिकी आये तो. क्या angila joly के आने पर यही किया गया था जो शाहरुख़ के साथ हुआ.
+91 9760354047
sach me aap jitanee khoobsoorat hain utana hi khoob soorat aapakee kalam hai bahut badiya shubhakamanayen
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया पसंद करने के लिए नापसंद करने के लिए, तपन जी मैं मीडिया इंडस्ट्री में ही हूँ इसीलिए ये कह रही हूँ की भेदभाव हमारे यहाँ भी होता है खैर मुझे अपनाने के लिए तहे दिल से शुक्रिया...
ठीक है पर मुद्दे पर विस्तार से कलम चलाना चाहिए.
ठीक लिखा है यदि कलम तटस्थ रहेगी तो सच्चाई की सुगंध देगी अन्यथा समय गुजरने पर तिरस्कार तो होना ही है
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)