Friday, July 31, 2009

मुट्ठियां भींचो कि कहीं पंजे निकल आएं....



मैं आज बार-बार अपने हाथों की मुट्ठियाँ बना-बना कर देख रहा हूँ कि शायद वोल्वरीन जैसे पंजे निकल आयें हा हा.. ऐसा जादू होता है फिल्मों में कि इंसान उसे हकीकत में देखने की ख्वाहिश करने लगता है जी हाँ, आज ही 'X Men Origins - Wolverine' फिल्म देखी है मेरे एक मित्र की धर्मपत्नी एक्स मेन श्रंखला से इतनी प्रभावित है मेरे मित्र को कहती है- "तुम अपने हाथों में वोल्वरीन की तरह पंजे लगवा लो न"
बहरहाल बात करते हैं फिल्म के बारे में... फिल्म की कहानी बदले पर आधारित है और जैसा कि बदले के लिए ज़रूरी है कि हीरो के परिवार या फिर प्रेमिका के साथ कोई हादसा होना चाहिए और फिर उसे करने वाले को गायब हो जाना चाहिए जिससे हीरो फिल्म में उसे ढूंढता रहे... इस दौरान उसे कुछ साथी भी मिलते हैं जो इस राह में शहीद हो जाते हैं...यही सब कुछ इस फिल्म में भी है....वैसे इस थीम पर आधारित फिल्मों की स्टोरीलाइन लगभग एक जैसी ही होती है लेकिन जो चीज़ मायने रखती है वो है प्रस्तुतिकरण, और इस क्षेत्र में एक्स मेन ओरिजिंस को पूरे-पूरे अंक मिलेंगे.. बेहद दिलचस्प प्रस्तुतीकरण, रोमांचक घटनाक्रम, कुल मिलाकर फिल्म दर्शक को अपने सामने बैठाए रहती है....
ये फिल्म इस श्रृंख्ला की पहली ३ फिल्मों के आगे की कहानी ना होकर उसके पहले की कहानी है....पहली 3 फिल्मों में हीरो पूरी कहानी अकेले आगे नहीं बढाता लेकिन इस फिल्म में वोल्वरीन अकेला हीरो है....ह्यू जैकमैन ने वोल्वरीन को इस तरह जिया है कि मुझे शक है कहीं उनके सच में पंजे ना निकलने लगे हों... कहानी १८४५ से शुरू होती है जब वोल्वरीन जेम्स लोगन नाम का बच्चा है जो अनजाने में अपने पिता को क़त्ल करके घर से भागता है और उसका भाई विक्टर उसके साथ जाता है.....दोनों आर्मी में भर्ती हो जाते हैं और बहुत साड़ी लड़ाईयां लड़ते हैं... दोनों ही भाई म्यूटेंट हैं... विक्टर स्वभाव से खूंखार है और उसके विपरीत लोगन एक इंसाफपसंद और नरमदिल इंसान है....सेना का एक कर्नल विलियम स्ट्राइकर एक म्यूटेंट सेना बना रहा है और इन दोनों को अपने साथ ले जाता है लेकिन वो अपने स्वार्थ के लिए इनसे बेगुनाह लोगों की ह्त्या करवाता है जो लोगन को पसंद नहीं आता और वो इन्हें छोड़कर चला जाता है.... 6 साल गुज़र जाते हैं, लोगन शाति से अपनी प्रेमिका के साथ अपनी जिन्दगी जी रहा है, तभी स्ट्राइकर एक षड्यंत्र रचता है जिसके तहत विक्टर लोगन की प्रेमिका को मार देता है...बस यहीं से बदले की कहानी शुरू होती है जिसमें धोखे से लोगन की हड्डियों में admantiam नामक धातु भर दी जाती है, लोगन विक्टर को ढूंढता है, स्ट्राइकर से टकराता है और उसके गुप्त ठिकाने को तहस-नहस कर देता है लेकिन आखिर में अपनी याददाश्त खो देता है....फिल्म एक रोमांचक यात्रा है जिसमें कई क्षण ऐसे आते हैं जब आप अपने शरीर की नसों में तनाव महसूस करते हैं.... फाइट सीक्वेंस बहुत अच्छे हैं, फिल्म की गति तेज़ है... अभिनय सभी कलाकारों ने अच्छा किया है जिसमे सबसे ऊपर है ह्यू जैकमैन उर्फ़ लोगन... फिर लीव स्क्रैबर, जिन्होंने विक्टर का किरदार स्वाभाविक तरीके से निभाया है.....ग्राफिक्स पिछली तीनों फिल्मों की तरह ही अच्छे हैं...
अब कुछ कमियों की बात करें....सबसे बड़ी कमी अगर देखें तो कहानी ही है, जिसमे नया कुछ नहीं है जबकि पिछली तीनों फिल्मों में बहुत कुछ था...कहानी हजारों बार दोहराई जा चुकी है, हॉलीवुड में भी और बॉलीवुड में भी बहुत से दृश्य यूँ लगे जैसे कोई हिंदी मसाला फिल्म देख रहें हैं जैसे भाई-भाई का अंत में दुश्मन से एक साथ लड़ना, नायक-नायिका का लड़ाई के मैदान में प्यार भरी बातें करना आदि कुछ बातें हजम नहीं होती... जैसे विक्टर कहाँ चला जाता है? अंत में चार्ल्स कहाँ से आ जाता है? लेकिन कुल मिलाकर फिल्म अच्छी है और एक बार ज़रूर देखी जानी चाहिए
मैं अपनी तरफ से इसे ५ में से ३.५ अंक दूंगा

अनिरुद्ध शर्मा

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

6 बैठकबाजों का कहना है :

Disha का कहना है कि -

फिल्मों के बारे में अच्छी जानकारी मिल रही है.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

आपकी समीक्षा अच्छी लगी. मैं इसे ५ में ३ अंक दूंगा.

Manju Gupta का कहना है कि -

फिल्म समीक्षा का प्रयास सराहनीय है .नई ,विशिष्ट जानकारी मिली .मुठ्ठी का कमाल फोटो में शानदार लगा..
नये कदम के लिए बधाई .मैं तो ५ में से ४ अंक देती हूं

Nikhil का कहना है कि -

ये तो बढ़िया हो गया....अनिरुद्ध जी को भी पाठकों ने अंक देना शुरू कर दिया...अब लेख के बाद भी रोचकता बनी रहेगी....

Divya Prakash का कहना है कि -

बहुत अच्छी मूवी है ...और समीक्षा भी अच्छी लिखी है आपने अनिरुद्ध

Aniruddha Sharma का कहना है कि -

आप सभी का तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ | मैं भी अपनी समीक्षा को ५ में से ३ अंक दूंगा | मैं इससे बेहतर लिख सकता था लेकिन कम समय में लिखा
| आगे से और भी बेहतर करने का प्रयास करूँगा |

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)