श्याम सखा की यूरोप-यात्रा- भाग 1
हिन्द युग्म के जाने माने लेखक श्याम सखा 'श्याम' पिछले ३ सप्ताह से यूरोप यात्रा पर हैं। उनकी यात्रा लगभग तीन माह चलेगी, यात्रा के दौरान वक़्त मिलने पर उन्होंने हमें अपने अनुभव भेजने के हमारे अनुरोध को स्वीकार करते हुए पहली किश्त भेजी है आप भी आनन्द लें-
आपस में खेलते बच्चे
हम आज जेनेवा से 45 किलोमीटर दूरी पर बसे फ़्रेंच कस्बे अन्सी की सैर पर आए हैं। यह कस्बा एक विस्तृत झील के किनारे पर बसा है और यह झील एक नहीं कई झीलों से मिलकए बनी है या कह सकते हैं कि एक ही झील को अलग-अलग जगह कई नाम दे दिये गये हैं। कारण कई जगह इस झील का पाट संकरा हो जाता है और इस संकरे पाट के दोनों ओर के हिस्सों को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। कसबे की खासियत इसका 300 साल पुराना बाजार है जो संकरी गलियों में बसा है। बिल्कुल हमारे पुराने शहरों जैसा। बस इन लोगों ने अपने आर्किटेक्चर को बिल्कुल 200-300 साल पुराना ही रहने दिया है- वही ईंटो वाली दुकानें, यहां तक की बाजार की सड़कें भी कोबल स्टोन हमारी छोटी ईंटों जैसे पत्थरों की बनी हैं। बाजार के दोनों तरफ़ झील से निकली एक नहर है। यह नहर पहले खेत सींचती थी, अब सैलानियों हेतु इस पर होटल हैं, कुछ व्यापारिक संस्थान भी हैं तथा कुछ रिहाइश भी।
बाज़ार का एक दृश्य
नहर और उसके किनारों की दुनिया
आज जिस बात ने सबसे पहले ध्यान खींचा, वह था इस नहर पर बने एक छोटे पुल पर जाने वाले रास्ते पर लगे बोर्ड ने आप भी देखें चित्र-
फ़्रेंच भाषा में लिखा है- फ़्रेंच भाषा में अगर शब्द के अंत में व्यंजन आजाए तो वह मूक रहता है जैसे restorent को फ़्रांसिसी रेस्तरां बोलते हैं यानी अन्तिम अक्षर टी (t) मूक रहता है। अब आप चित्र को दोबारा देखें और पढें; यह बनेगा पिद आ त्रि और इसे हिन्दी में देखें पदयात्री। ऐसे अनेक शब्द है जो लगता है संस्कृत भाषा से मिलते-जुलते हैं और इनका अर्थ भी वही है।
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7 बैठकबाजों का कहना है :
बढ़िया जानकारी...फ्रांस में भी हिंदयुग्म के बारे में बताइए लोगों को.....
मेरी इच्छा है यूरोप के खेत देखूँ, फसलें देखूँ, यह इच्छा भी ज़रूर पूरी करेंगे।
यह अनुभव भी अच्छा है
दिखता कितना सच्चा है
दूर मेरी सीमाओं से पर
एक देश कहीं पे बसता है.
बहुत ही सुन्दर.
सुंदर चारों फोटो में वहां की संस्कृति झलक रही थी .नई 'ज्ञानवर्धक जानकारी मिली .
फ्रांस सुंदर देश है .मैंने वहां के कस्बे 'शोले ' ',पेरिस ' के बारे में कहानी भी लिखी है .
मेरे श्रीमान वहां गये . उन्हीं के अनुभव से लिखा था .अगर आप को मोका लगे तो आप जरूर वहां जाना .
आभार .
मंजू जी, वो कहानी बैठक पर पढ़वाइए ना...
श्याम जी, यूरोप का सिनेमा बहुत समृद्ध है...उस पर कुछ अलग-सा मिले तो ज़रूर लिखिएगा...वहां के शहरों की व्यवस्था और संरचना पर भी लिखिएगा....
मज़ा आने वाला श्याम जी... चित्र और जानकारी भेजते रहें...
श्याम जी ने वाकई बहुत अच्छी जानकारी दी. मंजू जी आपकी कहानी का भी इन्तेज़ार रहेगा.
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