इस वर्ष जून में भले ही वर्षा कम हुई हो लेकिन जुलाई की वर्षा और अधिक भाव के कारण देश में कपास की बिजाई रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 6 अगस्त तक देश के विभिन्न राज्यों में 103.37 लाख हैक्टेयर पर कपास की बिजाई की जा चुकी है जबकि गत वर्ष पूरे वर्ष में 103.29 लाख हैक्टेयर पर की गई थी। अभी तमिलनाडु में बिजाई जारी है और जानकारों का कहना है कि इस वर्ष रकबा 105 लाख हैक्टेयर के स्तर को पार कर जाएगा।
देश में बीटी कपास का रकबा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इस वर्ष 103.37 लाख हैक्टेयर में से 91.10 लाख हैक्टेयर पर बीटी कपास की बिजाई की गई है। आंध्र प्रदेश में कपास का रकबा 10.26 लाख हैक्टेयर से बढ़ कर 15.96 लाख हैक्टेयर हो गया है जबकि महाराष्ट्र में 33.30 लाख हैक्टेयर से बढ़ कर 39.22 लाख हैक्टेयर हो गया है। इन दोनों ही राज्य में शानदार वर्षा हुई है और कपास का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है।
पंजाब और कर्नाटक में भी कपास की बिजाई अधिक क्षेत्र पर की गई है लेकिन गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में रकबा कम हुआ है। व्यापारियों का कहना है कि चालू वर्ष में अधिक निर्यात के कारण देश के किसानों को कपास के ऊंचे भाव मिलें हैं। विश्व बाजार में कपास के भाव लगभग 87 सेंट प्रति पौंड के आसपास चल रहे हैं जबकि गत वर्ष 64 सेंट चल
रहे थे। सरकार घोषणा कर चुकी है कि वह नए सीजन के आरंभ में निर्यात पर लगे प्रतिबंध को समाप्त कर देगी। इससे आगामी दिनों में देश में कपास के भाव में तेजी का अनुमान है। इसे देखते हुए देश में कपास का उत्पादन 300 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) से ऊपर पहुंच जाने का अनुमान है। वास्तव में बीटी काटन के कारण भारत विश्व में कपास का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश बन गया है। कुछ वर्ष पूर्व तक इसका स्थान तीसरा था, लेकिन अब अमेरिका तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। पहला स्थान चीन का है। जानकारी के लिए चीन विश्व का सबसे बड़ा कपास उत्पादक, आयातक और उपभोक्ता देश है। सूती कपड़े के निर्यात में भी चीन का स्थान पहला है।
दलहन अधिक
इस वर्ष देश में दलहनों की बिजाई भी किसानों ने अधिक की है। अनेक स्थानों पर किसानों ने तिलहन के स्थान पर दलहनों की बिजाई की है। इस वर्ष दलहनों की बिजाई 88.37 लाख हैक्टेयर पर की जा चुकी है। गत वर्ष की इसी अवधि की तुलना में यह लगभग 12 लाख हैक्टेयर अधिक है। अरहर की बिजाई 27.62 लाख हैक्टेयर से बढ़ कर 34.13 लाख हैक्टेयर पर हो गई
है। उड़द और मूंग का रकबा भी बढ़ा है लेकिन अरहर की तुलना में कम। तिलहन के क्षेत्रफल में केवल 3 लाख हैक्टेयर की वृद्धि हुई है और 153.20 लाख हैक्टेयर पर की गई है। मूंगफली का क्षेत्रफल 35.73 लाख हैक्टेयर से बढ़ कर 46 लाख हैक्टेयर पर
पहुंच गया है। इसका प्रमुख कारण समय पर वर्षा के कारण आंध्र प्रदेश में रकबा 8 लाख हैक्टेयर बढ़ कर 12.57 लाख हैक्टेयर हो गया है। अरंडी का रकबा भी कुछ बढ़ा हैट लेकिन सोयाबीन, तिल और सूरज मुखी की बिजाई गत वर्ष की तुलना में पीछे चल रही है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में सोयाबीन का रकबा कम है।
चावल व मोटे अनाज
चावल का रकबा 225.75 लाख हैक्टेयर से बढ़ कर 244.83 लाख हैक्टेयर हो गया। मक्का के रकबे में में लगभग 3 लाख हैक्टेयर की बिजाई हुई है। बाजरा का रकबा 64.14 लाख हैक्टेयर से बढ़ कर 75.90 लाख हैक्टेयर हो गया लेकिन ज्वार
का रकबा कुछ कम हुआ है।
राजेश शर्मा
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