छोटी इलायची के उत्पादन पर मौसम की मार पड़ चुकी है। हालांकि इस समय मौसम फसल के अनुकूल है लेकिन पहले काफी नुकसान हो चुका है। अधिक उत्पादन की आशा अब धूमिल पड़ चुकी है और छोटी इलायची का उत्पादन गत वर्ष के बराबर ही होने का अनुमान लगाया जा रहा है। केरल के इडुक्की जिले में गर्मियों के दौरान वर्षा नहीं होने से फसल प्रभावित हुई है। वर्षा के अभाव में फल का आकार बढ़ नहीं पाया है। इस जिले में छोटी इलायची का उत्पादन सबसे अधिक होता है। गर्मी अधिक समय तक रहने के कारण नई फसल की आवक में देरी भी हो रही है। इस समय वहां पर मौसम अनुकूल चल रहा है और जानकारों का कहना है कि आगामी माह से नई फसल की आवक गति पकड़ लेगी। अब 15 अगस्त के बाद आवक जोरों पर होने का अनुमान है।
आवक कम
खराब मौसम के कारण उत्पादन प्रभावित होने से गत सप्ताह 5 नीलामियों में केवल 41 टन की आवक हुई है। इसमें से कसीपीएमसी में 12 टन की आवक हुई और पूरी बिक गई। भाव ऊंचे होने के कारण निर्यातकों की खरीद बाजार में बिल्कुल भी नहीं है। भाव अधिक होने के अतिरिक्त क्वालिटी भी हल्की है। निर्यातक ऊंचे भाव और हल्की क्वालिटी के कारण वे इस वर्ष रमजान की निर्यात मांग पूरी करने में सक्षम नहीं हैं। नीलामी में उच्चतम भाव 1,796.50 रुपए और न्यूनतम भाव 1,304 रुपए रहा जबकि औसत भाव 1,639.51 रुपए प्रति किलो रहा। इसी बीच, एक अगस्त से आरंभ हुए वर्ष के दौरान 25 जुलाई तक कुल 9,815 टन छोटी इलायची की आवक हुई है जबकि गत वर्ष इसी अवधि में 10,298 टन की आवक हुई थी।
उल्लेखनीय है कि विश्व में छोटी इलायची केवल दो ही प्रमुख उत्पादक देश हैं। पहला स्थान ग्वाटेमाला का है जबकि दूसरा भारत का है। क्वालिटी में भारतीय छोटी इलायची बेहतर और इसकी खुशबू के कारण खाड़ी के देशों में इसकी मांग अधिक रहती है और भाव भी अधिक होते हैं। दूसरी ओर, विश्व के लगभग प्रत्येक देश में इसकी खपत होती है लेकिन सबसे अधिक खपत खाड़ी के देशों, पाकिस्तान, अमेरिका, यूरोप, जापान, चीन आदि में होती है।
वर्ष 2009-10 अगस्त-जुलाई के दौरान भारत में छोटी इलायची के भाव रिकार्ड स्तर को छू चुके हैं। अब भाव में कुछ कमी आ रही है लेकिन ऐसा नहीं लगता है कि दीपावली तक इनमें कुछ खास कमी आ पाएगी क्योंकि सारे त्यौहार सिर पर हैं जबकि पुराना स्टाक नगण्य है।
राजेश शर्मा
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बैठकबाज का कहना है :
aapne badhiya jaankaari upalabdh karaai hai, dhanyawaad!
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