दिल्ली में बारिश के मौसम में पानी इकट्ठा होने और कीचड की बातें यूँ तो आम बात है, लेकिन अगर ये आम बातें दिल्ली के पॉश इलाकों में भी नज़र आने लगे तो क्या कहने. मुख्यमंत्री पहले कहती हैं 'मानसून के लिए हम पहले से तैयार हैं, और जब मानसून दस्तक देता है तो कहती हैं हम माफ़ी चाहते हैं' या कह देती हैं कि 'प्लीज़ आप मुझसे ये बात मत पूछिए। हाल ही में जब उनसे पूछा गया कि गड्ढों की वजह से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, तो वे कहने लगी-ये बात मत कीजिये आप मुझसे. खैर, शीला जी की तो ये आदत बन गई है, हर बात को टाल देना. तीन जुलाई को हुई बारिश के सिलसिले में लोगो की परेशानी को मानने से साफ़ इनकार करती हुई शीला जी कहती हैं कि अगर लोगों को परेशानी है तो आकर सरकार को बताएं, अब कोई उनसे पूछे, मैडम जी क्या आपके पास आंखें नहीं हैं, क्या आप न्यूज़ नहीं सुनती, या आप अपने घर से निकलती ही नहीं हैं, कि आपको कुछ नहीं पता. ये तो ऐसी बात लग रही है जैसे शीला जी तपस्या में लीन रहती हैं सारा दिन, कि उन्हें दिल्ली की हालत की जानकारी नहीं है.
दी गई तसवीरें है दिल्ली के साउथ एक्स मार्केट की, जहां पंद्रह मिनट की बारिश से ही इतना कीचड हो जाता है कि चलना मुश्किल हो जाता है, हम मज़ाक में कह देते हैं कि सड़क पर हलवा बिखरा है, लेकिन ये हँस कर उड़ा देने वाली बात नहीं है. थोड़ी सी देर में ही इतना पानी भर जाना कि गाड़ियाँ फंस जायें, वो भी मार्केट एरिया में, आखिर क्यूँ इस समस्या पर हमारी सरकार की नज़र नहीं पड़ती?
दीपाली सांगवान 'आब'
दी गई तसवीरें है दिल्ली के साउथ एक्स मार्केट की, जहां पंद्रह मिनट की बारिश से ही इतना कीचड हो जाता है कि चलना मुश्किल हो जाता है, हम मज़ाक में कह देते हैं कि सड़क पर हलवा बिखरा है, लेकिन ये हँस कर उड़ा देने वाली बात नहीं है. थोड़ी सी देर में ही इतना पानी भर जाना कि गाड़ियाँ फंस जायें, वो भी मार्केट एरिया में, आखिर क्यूँ इस समस्या पर हमारी सरकार की नज़र नहीं पड़ती?
दीपाली सांगवान 'आब'
(दीपाली हिंदयुग्म की यूनिपाठिका रह चुकी हैं और कविता, कहानी सब विधाओं में पकड़ रखती हैं...तस्वीरों का भी शौक था और साउथ दिल्ली में अपनी नौकरी के लिए जा रही थीं तो बारिश को मोबाइल में कैद कर हमें भेज दिया... )
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
3 बैठकबाजों का कहना है :
दिल्ली की बारिश का आंखों देखा हाल देखा भी पढ़ा भी..अच्छा लेख के लिए बधाई है. दीपाली जी आपने शीला दीक्षित के बयानों को हूबहू यहां रखा है .सच फ़रमाया है किसी भी समस्या के लिए उनके बस यही रटे रटाये बयान होते हैं..उन्हें तो इज्जत से रिटायर हो जाना चाहिए और युवाओं को मौका देना चाहिए...
बहुत बुरी आदत है मुख्य मंत्राणी जी की...कि पहले वायदा करना फिर समस्या आने पर आँखे फेर लेना या मुकर जाना..वाह ! ये कैसी अदायगी है उनकी..? क्या उनकी आदत बन गयी है..या फिर खिलबाड़ करती हैं. उन्हें इन बातों से कोई सरोकार क्यों नहीं है ?
आपने एक गंभीर समस्या की तरफ इंगित किया है दीपाली!.....शीला दिक्षित का फर्ज बनता है कि इस तरफ ध्यान दे!... महत्वपूर्ण पदों पर आसिन होने बाद न जाने क्यों ...ये लोग अपने पद की गरिमा को बरकरार नहीं रख पाते!... ऐसे गंदे पानी के भर जाने से यातायत पर असर पड्ता ही है, साथ में कई बीमारियों के फैलने का अंदेशा भी बना रहता है!...महत्वपूर्ण लेख, बधाई!
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)