भारतीय मसालों का वैश्विक बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है। विश्व में मसालों के उत्पादन में भारत सबसे आगे है और यहां पर लगभग 3,000 मसालों का उत्पादन होता है। छोटी इलायची, काली मिर्च, हल्दी, लाल मिर्च आदि के उत्पादन ने विश्व में भारत पहले या दूसरे पासदान पर है।हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान देश से सभी प्रकार के मसालों के निर्यात में 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई और यह बढ़ कर 5.02 लाख टन पर पहुंच गया। मूल्यानुसार निर्यात 53 बिलियन रुपए से बढ़ कर 55.61 बिलियन रुपए के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया। अनेक वर्षों के बाद छोटी इलायची का निर्यात चार अंकों मं पहुंचा है। वर्ष 2009-10 के दौरान 1,975 टन छोटी इलायची का निर्यात किया गया जो पिछले 10 वर्षों का रिकार्ड है। गत वर्ष केवल 750 टन का ही निर्यात किया गया था।
ग्वाटेमाला में उत्पादन कम होने के कारण भारत से सऊदी अरबिया, यूएई, कुवैत, मिस्र आदि देशों को अधिक मात्रा में निर्यात किया गया। आलोच्य वर्ष में छोटी इलायची का निर्यात 839 रुपए प्रति किलो की दर पर किया गया जबकि गत 2008-09 में 630.20 रुपए प्रति किलो की दर पर किया गया था। लाल मिर्च का निर्यात भी 9 प्रतिशत बढ़ कर 2.04 लाख टन हो गया। बोर्ड के अनुसार मलेशिया, श्रीलंका, बांग्लादेश और इंडोनेशिया आदि को अधिक मात्रा में निर्यात किया गया लेकिन पाकिस्तान को निर्यात केवलन 175 टन का किया गया। वर्ष 2008-09 में निर्यात 22,375 टन का किया गया था।
कुल मसाला निर्यात में लाल मिर्च की हिस्सेदारी मात्रा अनुसार भी और मूल्यानुसार भी सबसे अधिक है। देश से बड़ी इलायची का निर्यात 1,875 टन से गिर कर 1,000 टन का रह गया। बहरहाल, निर्यात से प्राप्त औसत भाव 121.64 रुपए प्रति किलो से बढ़ कर 178.86 रुपए प्रति किलो हो गया। धनिया निर्यात 56 प्रतिशत बढ़ कर 47,250 टन हो गया। लहसुन का निर्यात भी गत वर्ष की तुलना में अधिक रहा।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार काली मिर्च का निर्यात 22 प्रतिशत गिर कर 19,750 टन रह गया। इसका प्रमुख कारण अमेरिका और यूरोपीय समुदाय की मांग कम होना है।
हल्दी और जीरे के निर्यात में मामूली कमी आई और घट की क्रमशः 50,750 टन और 49,750 टन रह गया। निर्यात की यह गति अप्रैल में भी बनी रही।
राजेश शर्मा
(लेखक बैठक पर बिज़नेस और अर्थव्यवस्था से जुड़े कॉलम लिखते रहे हैं...अगर आपके पास भी इस मुद्दे से जुड़ा कोई सवाल हो तो लेखक से rajeshsharma1953@gmail.com या baithak.hindyugm@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं )
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4 बैठकबाजों का कहना है :
अच्छी जानकारी है। धन्यवाद।
अच्छा लगा जानकार,विदेशों,में भारतिय मसालों की सुगन्ध फैल रही है ।
एक बात कहनी है वो ये कि बिदेशों में अभी से नहीं बल्कि पता नहीं कितने बरसों से मसालों की खुशबू फैली हुयी है...सभी बड़े-बड़े फ़ूड और ग्रासरी स्टोर भरे पड़े हैं भारतीय मसालों और आटा, दाल, चावल, घी, तेल से...सभी गोरे और काले लोग भारतीय खाने के क्रेजी यानी की दीवाने हुये जा रहे हैं '' करी '' उन सबकी फेवरट डिश है..और चिकन टिक्का मसाला तो सरताज बना है भारतीय '' करी '' में उन सबके लिये ...बिना मसाला के उसका क्या काम..मसालों ने हिन्दुस्तान का ऊँचा कर दिया नाम..है ना कमाल की बात..? बिश्व में फतह पा ली..प्राइस को कौन देखता है जी..? जहाँ भारतीय खाने की लपक हो...
भारतीय खाना विदेशी बहुत पसंद करतें है. इसके पीछे मसालों की ही अहम भूमिका होती है!... बहुत बढिया जानकारी!
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