Friday, December 25, 2009

थैंक्स सांता क्लाज!!

नींव से लेकर छत तक, कटोरे से लेकर ओवन तक लोन का नकली सुख भोगते हुए आजकल कुछ ज्यादा ही तंगी में चल रहा हूं। क्या है न कि महंगाई कुछ अधिक ही हो गई है। मंदी का दौर आसमान से भू तक पसरा है। हवा में मंदी, पानी में मंदी, रिश्वत देकर काम करवाने वालों की रवानी में मंदी। रिश्वत देने के लिए जेब में हाथ बाद में डालते हैं मंदी का रोना पहले शुरू कर देते हैं जैसे महाशोक में डूबे हों।
कल तक मेरे पडोसी महंगाई से हिले हुए थे तो बड़ा मजा आ रहा था। हफ्तों बाद कल शाम उनके घर से प्रेशर कुक्कर की सीटी की आवाज सुनी। मैं तो सोच बैठा था कि शायद आजकल किसी के यहां मेहमान होकर डटे होंगे।
हाय रे चार्वाक जीवन शैली! नब्बे प्रतिशत वेतन तो लोन में कटा जा रहा है। और महंगाई हैं कि बाजार जाता हूं तो मेरी जेब की खिल्ली उड़ाती है।
क्रिसमस वाले रोज घर में पत्नी को ये हिदायत दे दुबका बैठा ही था कि अगर किसी दोस्त का फोन आए कि वह हमारे घर सपरिवार आ रहा है तो कह देना घर पर नहीं हूं कि अचानक लोन के पालिश किए हुए दरवाजे पर बेल हुई। बेल होते ही मेरा दिमाग झनझनाया। पत्नी को डरते हुए कहा,‘ देख तो सूरज से पहले ये कौन राक्षस आ गया?’
पत्नी मुझसे भी ज्यादा तैश में बोली,‘ आ गया होगा कोई आपका प्रिय पड़ेासी। अब कटोरी टेबल पर रख कहेगा,‘ माफ करना भाई साहब! शाम को दफ्तर से आते आते चीनी लाना भूल गया। सुबह जब चाय को पानी रख डिब्बे में हाथ डाला तो...’ अरे तो हमारे खाली होते चीनी के डिब्बे को क्यों अपनी बुरी नजर लगा रहे हो। खुद तो कंगाल हो गए, अब क्या हमें भी कंगाल बनाकर ही दम लोगे? पर शुक्र गॉड का दरवाजा खोला तो सांता क्लाज! ‘हैप्पी क्रिसमस! हैप्पी क्रिसमस टू आल !! कहां है पप्पी?’
‘सोया है।’ मैंने अनमने से कहा। अब कम से कम इसे भी तो चाय पिलानी पड़ेगी न! सांता है न!!
‘तो जगाओ उसे। कहो, सांता क्लॉज आया है उसे गिफ्ट लेकर।’ कह उसने कमर में ठूंसी घंटी बजानी शुरू कर दी। मैंने सोचा दो टॉफियों के लिए रात को बारह बजे तक फिल्म देख कर सोए एट इअर ओल्ड पप्पी की नींद क्यों खराब करूं। बेचारा स्कूल से आते ही दस बजे तक मां से होम वर्क करवाता थक जाता है। मां उसका होमवर्क करती रहती है और वह अपनी मां को सीरियल की कहानी सुनाता रहता है। तभी तो उसकी मां उससे बहुत प्यार करती है।
अचानक उसे मेरी आंखों के आसपास छाइयां दिखीं तो सांता क्लाज ने पूछा,‘ कमाल है यार! क्रिसमस वाले दिन भी उदास?’
‘ पप्पी के लिए तो टॉफियां ले आए पर पप्पी के पा के लिए??’ हाय रे इजी लोन स्कीम!
‘ लाया हूं। बहुत कुछ लाया हूं। भैया जरा ऊपर आना ,’ सांता क्लाज ने आवाज दी तो धड़ाम धड़ाम किसी के सीढ़ियां चढ़ने की आवाज सुनाई दी। दो मिनट बाद देखा तो एक कुली एक बड़ा सा भरा बोरा उठाए। कुली ने बोरा उतार कमर सीधी की तो मैंने सांता क्लाज से पूछा,‘ ये क्या??’
सांता क्लाज ने बोरा खोलते कहा,‘ क्रिसमस के अवसर पर खास तुम्हारे लिए दो किलो अरहर की दाल, ये दो किलो सबूत मूंगी, ये चार किलो काले चने, ये दो किलो सफेद चने,ये एक किलो मसूर, ये दो किलो रौंगी, ये दो किलो राजमां,ये दो किलो धुली मूंग, ये दो किलो दले माश, ये दस किलो बासमती चावल, ये दो किलो पनीर, ये चार किलो चीनी, , ग्रीन लेबल चाय, ये आधा किलो काफी,पांच लिटर कच्ची घानी सरसों का तेल, ये पांच किलो प्याज, और ये दस किलो आलू.. और..’ कहता सांता क्लाज हंसता रहा।
‘पर आटा तो रह गया?’ मैं पगलाने लगा था। महीने की आखिरी तारीखों में जिस के घर में इतना राशन अचानक आ जाए वह पगलाएगा नहीं तो क्या होगा? ये सब देख तभी पत्नी ने पहली बार आत्मीयता से मेरे गले लगते कहा,‘ डियर पति! हैप्पी क्रिसमस! मैंने उधर उधर देखा तो कोई पडा़ेसी बाहर न था। नहीं तो आने में कौन सी देर करता,‘ भाई साहब! क्या है न कि शाम को आते आते प्याज लाना भूल गए। सुबह तड़के के लिए कड़ाही गैस पर रखी तो देखा कि प्याज तो है नहीं। पर पड़ोस तो है न!!
‘वह भी लाया हूं। जानता हूं कि बिन आटे सब बेकार है। ये लो दस किलो ‘ाक्ति भोग आटे की थैली। हैप्पी क्रिसमस!!’
‘पर!!’
‘ उसके लिए ये लो। चार महीने की लोन की किश्तों के लिए चैक। पर एक अनुरोध जरूर रहेगा।’
‘क्या??’
‘उधार की जिंदगी पर कंट्रोल करो तो और मजा आएगा।’ कह सांता क्लाज मेरे लोनी घर की सीढ़ियां मुसकराते हुए उतर गया।

डॉ. अशोक गौतम
गौतम निवास,अप्पर सेरी रोड, सोलन-173212 हि. प्र.

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