रन फॉरेस्ट रन...पिछले कुछ दिनों से जब भी मैं किसी फिल्म के बारे में लिखने की बात सोचता हूँ, ये जुमला फुदक कर मेरे जेहन में सबसे ऊपर आ जाता है |
ये फिल्म मुझसे कह रही है कि मेरे बारे में लिखो...| और सही मायने में फिल्म वही है जो देखने के कई दिनों बाद तक आपके जेहन में घूमती रहे, जिसका स्वाद आप महसूस करने लगें |
ये फिल्म है सन १९९४ में बनी
"फॉरेस्ट गंप" जिसके मुख्य भूमिका निभाई है टॉम हैंक्स ने, इतना जीवंत अभिनय कि आपको और कुछ याद ही नहीं रहता | फिल्म में टॉम हैंक्स ने एक मंदबुद्धि इंसान की भूमिका की है और इतनी कमाल की है कि अब अगर मैं सचमुच में टॉम हैंक्स को देखूं तो उनसे उसी तरह बात करने की उम्मीद करूँगा |
इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का ऑस्कर पुरस्कार मिला था | इसके अलावा फिल्म का ऑस्कर में १३ श्रेणियों में नामांकन हुआ था जिसमे से इसे ६ पुरस्कार मिले | अन्य पुरस्कार जो मिले वो हैं - सर्वश्रेष्ठ फिल्म, निर्देशक, सम्पादन, विजुअल इफेक्ट्स, अडॉपटेड स्क्रीनप्ले | फिल्म १९८६ में इसी नाम से लिखे एक उपन्यास पर आधारित है |
फॉरेस्ट गंप आपको अपने साथ अपनी जीवन-यात्रा पर ले जाता है और उसके साथ आप कभी हसते हैं, कभी उदास होते हैं | सामान्य से कम I.Q. के साथ फॉरेस्ट अपने जीवन में बहुत कुछ प्राप्त करता है | एक बच्चा जिसके एक पैर में लोहे की छड़ है जब भागने लगता है तो बन्दूक की गोली की तरह भागता है | अपने इसी भागने की क्षमता की वजह से उसे फुटबॉल टीम में ले लिया जाता है | उसे खेल की भी कोई समझ नहीं है, उसे किसी चीज़ की कोई समझ नहीं है. हाँ, लेकिन उसे जब कोई कुछ करने को कहता है तो वो पूरी एकाग्रता के साथ उसे करता है |
फॉरेस्ट का जीवन बहुत से संयोगों के साथ आगे बढ़ता है | वो जो भी काम करता है उसमे उसे अधिकतम सफलता मिलती है| कॉलेज के वक़्त वो फुटबाल स्टार बन जाता है, वहां से उसे आर्मी में जगह मिल जाती है जहां उसकी आज्ञाकारिता की वजह से तरक्की मिलती है | वो आज्ञाकारी है क्योंकि उसे खुद समझ में नहीं आता कि उसे क्या करना चाहिए इसीलिए वो वही करता है जो उसे करने को कहा जाए | उसकी ज़िन्दगी उसकी माँ के द्बारा सिखाये गए सिद्धांतों पर चलती है | उसे विएतनाम युद्ध में भेजा जाता है जहाँ उसकी दोस्ती बुब्बा से होती है जो एक फिशिंग कंपनी खोलना चाहता है और फॉरेस्ट को अपने साथ पार्टनरशिप के लिए राज़ी कर लेता है | एक हमले में फॉरेस्ट अपने बहुत से साथियों की जान बचाता है, अपने अफसर सहित लेकिन बुब्बा उस हमले में मारा जाता है | विएतनाम में किये कारनामे के लिए उसे बहुत से पदक मिलते हैं उसे नितम्ब पर गोली लगी होती है जिसके लिए उसे कुछ दिन अस्पताल में रहना पड़ता है| वहां कोई उसे पिंग-पोंग खेलना सिखाता है जिसका वो चैम्पियन हो जाता है और कई अन्तराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अमेरिका का प्रतिनिधित्व करता है| बाद में बुब्बा से किये वादे को निभाने के लिए वो फिशिंग कंपनी शुरू करता है जिसमे बाद में उसके साथ उसका वो अफसर भी आ जाता है जिसकी उसने जान बचाई थी, उसमे भी उसे बेहिसाब फायदा होता है और वो अरबपति हो जाता है लेकिन उसे किसी चीज़ से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता, जिस तरह बिना समझे वो कोई काम शुरू करता है उसी तरह छोड़ भी देता है | अपनी सारी सफलताओं के बीच वो कई बार राष्ट्रपति से भी मिलता है लेकिन इसका भी उसे कोई महत्त्व समझ नहीं आता, जीवन उसे जैसा चलाता है वैसे ही वो चलने लगता है |
इस सारी कहानी के पार्श्व में एक प्रेम कहानी चलती है, फॉरेस्ट अपनी बचपन की दोस्त जेनी, जो कि स्कूल में उसकी एकमात्र दोस्त थी, से प्रेम करता है | वो जहाँ भी होता है, हमेशा उसे याद करता है | जेनी उसे बीच-बीच में कहीं न कहीं मिलती रहती है और फिर चली जाती है | जेनी का बचपन अच्छा नहीं गुज़रा जिसकी वजह से वो ड्रग्स और गलत लोगों से घिर जाती है और यहाँ-वहां घूमती रहती है | अंत में वो फॉरेस्ट की इच्छा पूरी होती है और जेनी उसे मिलती है लेकिन कुछ ही समय में उसकी मौत हो जाती है |
फिल्म एक कविता की तरह चलती है | आप उसके बहाव में गोते खाते रहते हैं | संवाद बेहतरीन हैं और टॉम हैंक्स की संवाद अदायगी तो माशा अल्लाह है | अभिनय सभी कलाकारों ने अच्छा किया है | फिल्म में विजुअल इफेक्ट्स भी बहुत ही अच्छे हैं जहाँ फॉरेस्ट को अमेरिका के तीन राष्ट्रपतियों के साथ हाथ मिलाते हुए दिखाया गया है, उसे एल्विस प्रेस्ले से बात करते हुए भी दिखाया गया है और हमें बिलकुल पता नहीं चलता कि ये तकनीक का कमाल है | कैमरा, संगीत और बाकी सभी विभाग फिल्म के स्तर को बनाए रखने में बराबर का योगदान देते हैं |
फिल्म कई जगहों पर ज़िन्दगी की फिलॉसफी को बताती हुई लगती है | फॉरेस्ट के साथ जो भी होता है वो उसे स्वीकार करके आगे बढ़ जाता है और जीवन में कई कामों को सफलतापूर्वक अंजाम देता है | असल में जीवन जीने कि कला भी तो यही है कि जो बीत गया उसे छोड़कर निर्विकार भाव से आगे बढ़ते जाएँ, न सुख उत्तेजना दे, ना दुःख हताश करे...
एक बेहतरीन फिल्म जिसे एक बार ज़रूर देखा जाना चाहिए...
५ में से ४.५ अंक |अनिरुद्ध शर्मा
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9 बैठकबाजों का कहना है :
कुछ लोग १-२ फॉरेन मूवी देख लेने पर ,,,, अपने को
दिरेक्टोर मान लेते है.... जो नहीं मालुम उसपर बात करने से अच्छा जो पता है..
उस पर बोलो न ... ????
दिली में १० क्लास के बच्चे भी यह जानते है .... किस दुनिया में रहते हो ,,,
अपने गाँव जाकर सुनाऊ इसे लोग कुछ दे देंगे ......
सादर
सुमित दिल्ली से
मूवी का शानदार आलेख लिखा है .एसा लग रहा था कि मूवी देख रहें हो .इसी तरह की और मूवी बननी चाहिए .५/५ अंक दूंगी
हिन्दी युग्म को मंजू जी को यूनी पाठक का खिताब दे देना चाहिए |
सब उनकी टिप्पणियों से परेशान हैं |
१०० % गौरंती है की मंजुजी कुछ नहीं जानती |
अनाम
मैंने अपने Engineering के दिनों में देखि थी ये मूवी ..
बेहद लाजवाब मूवी के बारे में बेहद ही लाजवाब तरह से लिखा आपने अनिरुद्ध ...बधाई .....
आगे भी आपके आलेख का इंतज़ार रहेगा !!
सादर
दिव्य प्रकाश दुबे
http://www.youtube.com/watch?v=oIv1N9Wg_Kg
"फॉरेस्ट गंप" अच्छी जानकारी दी है... मौका मिला तो फिल्म ज़रूर देखूंगा।
हम तो वैसे भी निर्विकार से आगे बढ रहे हैं क्यों कि हमरे शहर मे एक भी सिनेमाघर नहीं एक था वो भी तोड दिया कभी सिनेमा हाल बन तो जरूर देखेंगे नाम नोट कर लिया है आभार वैसे जानकारी अच्छी है
अच्छी फ़िल्म देखने को कहां मिलती हैं ,केवल उनकी जानकारी मिलती है.आजकल योरोप में हूं २ महीने से ऊपर हो गये फ़्रांस इटली हालैंड व स्वीटज़रलैंड के कई शहरों के सिनेमा घरों के आगे स्टेशनो पर लगे पोस्टर व वेब पर सर्च से यही पाया कि यहां भी ग्लैमर्स -सैक्सी फ़िल्मों का बोलबाला है आर्ट फ़िल्म भारत के सिनेमा घरॊं की तरह यहां से भी गायब हैं ,हां नाटक स्तरीय अवश्य देखे जा सकते हैं लेकिन वहां भाषा व उच्च्चारण की समस्या ने एक देखने के बाद इतिश्री कर दी ,नाटक की टिकट भी सिनेमा से कई गुनी महंगी है
श्याम सखा श्याम
मैं भी इसे ५ में से ४.५ दूंगा.
[b] वो उदास हैं!
यहाँ है खुशियाँ
क्षणिक किन्तु गुरुर का !
उन्माद से उठती तरंगे
लीलने को आतुर प्रणय;
फलक लहकती
चीखती उदासी
द्रोह-की सी फफकती भाती,
अनल की दहार सुन ले
अब स्वयं की फुफकार सुन ले!!
वो उदास हैं!
यहाँ है खुशियाँ
क्षणिक किन्तु गुरुर का !
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