Monday, August 24, 2009

हिन्दुत्व शब्द ही साम्प्रदायिक हो गया है

पंथ, धर्म व रिलीजन

इस देश में एक बहुत ही ज्वलंत मुद्दा है धर्म। हमारा देश सेक्युलर है। हम एक हैं। और न जाने ऐसे कितने ही झूठे वादे हम अपने आपसे व विदेश में करते रहते हैं। पर अभी उस झूठ पर बात नहीं करेंगे। इस विश्व में जितने भी धर्म या यूँ कहूँ कि पंथ स्थापित हुए हैं वे सभी किसी न किसी व्यक्ति विशेष द्वारा ही शुरु किये गये। चाहें इस्लाम लें, जिसका पालन करने वाले पैगम्बर मोहम्मद के अनुयायी हुए। चाहें ईसा मसीह के अनुयायी हों, जिन्हें हम ईसाई कहते हैं। और चाहें ही बौद्ध धर्म व सिख धर्म या अन्य कोई भी धर्म हुआ हो उसकी उत्पत्ति किसी न कैसी महापुरुष ने ही की है। इसमें किसी को भी संशय नहीं होना चाहिये। धर्म संस्कृत की "धृ" धातु से बना शब्द है जिसका अर्थ होता है-धारण करना अथवा पालन करना। ऊपर के सभी धर्म (?) इंसान के बनाये हुए हैं। दूसरी तरफ़ पिता धर्म, पुत्र धर्म, शिष्य-गुरु का धर्म और हर रिश्ते का अपना धर्म होता है जिसका हम पालन करते हैं जो ईश्वर ने बनाये हैं।

इसी तरह एक और धर्म है हिन्दू धर्म। पर इस धर्म को मानने वाले किसके अनुयायी हैं? इस शब्द को लेकर तो साम्प्रदायिक दंगे हो जाते हैं। हिन्दुत्व शब्द ही साम्प्रदायिक हो गया है। ज्ञात हो कि हिन्दू उन लोगों को कहा गया जो सिन्धु नदी के किनारे रहा करते थे। वे किसके अनुयायी हैं, किस भगवान को मानते हैं, मानते हैं भी या नहीं, आस्तिक हैं या नास्तिक, हवन करते हैं या नहीं... इन सभी प्रश्नों से उस समय भारतवर्ष में रहने वाले हिन्दुओं का कोई लेनादेना नहीं था। वे कुछ भी हों, कहलाये गये हिन्दू ही। यानि उस समय के लोग जो आचरण, व्यवहार किया करते थे वो हिन्दू रीति रिवाज़ों में शामिल हो गया। कोई शैव हुए कोई वैष्णव। कोई वेदों को मानने हुए तो कोई नास्तिक हुए। सभी हिन्दू कहलाये गये और उनके वंशज भी। वे स्वयं को आर्य कहते थे। संस्कृत में आर्य शब्द का अर्थ है "भद्र पुरुष"। बाद में बाहर से मुगल व अंग्रेज़ आये जो साथ में इस्लाम व ईसाई धर्म लाये। कुछ धर्म भारत की भूमि से निकले जैसे बौद्ध, जैन, सिख व अन्य। लेकिन क्या हिन्दू कोई धर्म बन सकता है? और क्या ये अन्य धर्मों की तरह ही उत्पन्न हुआ? शायद नहीं..

अभी हाल ही में किसी न्यूज़ चैनल पर खबर देख रहा था-अमरीका में २४ फीसदी हिन्दू। इसका अर्थ ये कतई नहीं लगाइयेगा कि उन सब ने ईसा मसीह को मानना बंद कर दिया या वे चर्च नहीं जाते। वे मानते हैं लेकिन हिन्दू रीति रिवाज़ मनाते हुए। मसलन हवन आदि करते हैं। राम व कृष्ण को मानते हैं। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि काफी लोग अब हिन्दू रिवाज़ों से ही अंतिम संस्कार करते हैं।

लखनऊ में जारी एक शोध से पता चला है कि यज्ञ करने से हवा में फैले विषाणु खत्म हो जाते हैं व वायु को स्वच्छ रखने में सहायक होता है। सप्ताह में एक बार या महीने में एक बार हवन करने से भी फ़ायद होता है। हवन में प्रयोग होने वाली सामग्री को वैज्ञानिक दृष्टि से जाँचा गया तो ये बात सामने आई है। इसका उल्लेख कईं किताबों में होता आया है किन्तु अब वैज्ञानिकों ने भी इस पर अपनी मुहर लगा दी है। हजारों वर्षों से इस धरती पर रहने वाले लोग मंत्रों का प्रयोग करते आये हैं। विज्ञान से ये साबित हो चुका है कि मंत्रोच्चारण में जिन शब्दों का प्रयोग होता है उससे निकलने वाली ध्वनि व गले में हो रहे स्पंदन से ऊर्जा का संचार होता है। हिन्दू रिवाज़ों के अनुसार दिया जलाने व त्राटक करने का भी वैज्ञानिक आधार मौजूद है।

हिन्दुत्व या हिन्दुइज़्म कई मायनों में अलग हुआ। यहाँ निराकार भी पूजा जाता है और साकार भी। हिन्दू धर्म में कोई एक विशेष पुस्तक ही एकमात्र ग्रंथ नहीं है। अपनी अपनी मान्यताओं के अनुसार पुस्तकें हैं। कोई एक स्थापक नहीं। शायद हम पंथ शब्द को भूल गये हैं। धर्म का अंग्रेज़ी में अनुवाद करेंगे तो आप कहेंगे "रिलीजन"। अंग्रेज़ी में यही कहते है धर्म को..'रिलीजन शब्द लैटिन के 'री लीगारे' से आता है, जिसका शाब्दिक अर्थ 'बाँधना' होता है। यहाँ इसका एक अर्थ मानव को ईश्वर से "जोड़ने" को लेकर किया जा सकता है। लेकिन अंग्रेजी के 'रिलीजन' शब्द का संस्कृत पर्यायवाची धर्म कतई नहीं हो सकता शायद धर्म को किसी और भाषा में समझना या अनुवाद करना कठिन है। पर इतना पक्का है कि हम "धर्म" को नहीं समझ पाये। हिन्दू शब्द उस परिभाषित "धर्म" की श्रेणी में नहीं आता जिसको आज का समाज जानता है। ये जीवन जीने के पद्धति है।

तपन शर्मा

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

32 बैठकबाजों का कहना है :

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' का कहना है कि -

हिन्दू शब्द उस परिभाषित "धर्म" की श्रेणी में नहीं आता जिसको आज का समाज जानता है। ये जीवन जीने के पद्धति है।
आपने बहुत बढ़िया लिखा है।
किन्तु अपने देश की यह तस्वीर देख कर दुख होता है।

निर्मला कपिला का कहना है कि -

बहुत बडिया आलेख है यथार्थ के करीब आभार्

पी.सी.गोदियाल "परचेत" का कहना है कि -

Badhiya,
Kuch Din Aur Rukiye, khud ko "Hindu" Bataana hee saampradaayik ho jaayegaa !!!

विनोद कुमार पांडेय का कहना है कि -

बढ़िया बात कही आपने..आज यह भी एक चर्चित सामग्री बन गयी है..धर्म पर बहस करने वाले मठाधीशों के लिए..सुंदर लेख...बैठक को हमारे ओर से बधाई..

aarya का कहना है कि -

निखिल जी
सादर वन्दे!
बहुत ही उपयोगी पोस्ट लिखी है आपने, और यही सच्चाई भी है.
मै यहाँ थोडा बदलाव चाहता हूँ वो यह कि विश्व के सभी पंथ किसी नाकिसी एक व्यक्ति के द्वारा बनाये गए हैं लेकिन हिन्दू धर्म किसी एक का बनाया हुआ न होकरके एक श्रेष्ठ जीवन पद्धति है जिसे जीने वाला हिन्दू कहलाता है.
और हिन्दूओं कि संख्या इस विश्व में करोणों में है और इसे सांप्रदायिक कहने वाले केवल संसद में और बाहर मिलाकर सैकडों में हैं, इस बात को सभी को समझाना चाहिए कि सांप्रदायिक कहने वालों कि मनसा क्या है ?
रत्नेश त्रिपाठी

अजित गुप्ता का कोना का कहना है कि -

संस्‍कारों के द्वारा अपने स्‍वभाव में श्रेष्‍ठता धारण करना और एक सुसंस्‍कृत जीवन पद्धति के सूत्रों को अपना स्‍वभाव बनाना ही धर्म है। जैसे आपने उदाहरण दिया है कि पिता और पुत्र का धर्म। ऐसे ही जैसे नीम का धर्म कटु है और आम का मधुर। अत: हिन्‍दू जीवन पद्धति को धारण करता है। चूंकि हमारी जीवन पद्धति चराचर जगत का संरक्षण करती है और त्‍याग की बात सिखाती है जबकि वर्तमान आधुनिकता में त्‍याग नहीं है वहाँ भोग की प्रधानता है अत: इस जीवन पद्धति को समूल समाप्‍त करने का कुचक्र चलाया जा रहा है। अच्‍छी पोस्‍ट। बधाई।

Nikhil का कहना है कि -

रत्नेश जी,
लेख पोस्ट मैंने किया है मगर लिखा तपन शर्मा ने है

Anonymous का कहना है कि -

what do you want to say,,,
I think you are not mature enough now to make such analysis.

I will suggest - watch cartoon network and make article on them. Will be better for you,,,,,

दिनेशराय द्विवेदी का कहना है कि -

आलेख की दिशा सही है। इस दिशा में सोचने वाले लोगों को अधिकाधिक लिखने की आवश्यकता है।

पी.सी.गोदियाल "परचेत" का कहना है कि -

Hey Anonymous, first have the guts to reveal identity before you post some sense.

हें प्रभु यह तेरापंथ का कहना है कि -

"आज जिस भूख खण्ड का नाम हिन्दुस्थान है, प्राचीन काल मे उसे भारत या भारतवर्ष कहा जाता था।
ऋषभपुत्र भरत के नाम पर भारत नामकरण हुआ। पारस (वर्तमान ईरान्) आदि मध्य एशियाई देशो के सम्पर्क के कारण इसका नाम हिन्दु देश प्रचलित हुआ।
आचार्य कालक ने कहा- " आओ ! हम हिन्दु देश चले-एहि हिन्दुकदेशम वच्चामो। "
यह निशीथ चूर्णि का प्रयोग है। भारतीय साहित्यो के उलेखो मे यह सबसे प्राचीन है। पारसी सम्राट द्वारा महान(छठी शताब्दी ई,पू,) के अभिलेखो मे सिन्धु प्रदेशो के लिऐ हिन्दु शब्दो का प्रयोग मिलता है। जैसे राजस्थान आदि कुछ प्रदेशो मे "स" का उच्चारण "ह" किया जाता है वैसे प्राचीन फारसी बोली मे भी "स" का उच्चारण "ह्" होता था। फारसी लोग "सप्तसिन्धु" का उच्चारण हप्तहिन्दु" कहते थे।

मुल प्रकृति के अनुशार हिन्दु शब्द देश या राष्ट्र का वाचक है।

वह किसी धर्म का वाचक नही है।


"MiChMi-DuKaDaM"

“Khamemi Savve Jiva,
Savve Jiva Khamantu Mi
Mitti Me Savva bhuesu,
Veram majjham na Kenai”

MUMBAI TIGER


खमत खामणा का महत्व

Manju Gupta का कहना है कि -

बढिया आलेख की व्यापक जानकारी मिली .यज्ञ १९४२ के दशक में ऋषिकेश में हर चौराहे पर होते थे .बाद में बंद हो गये .अब तो धर्म के नाम पर झगडे होते हैं .

Anonymous का कहना है कि -

खुद के ब्लॉग पर खुग ही लिखो और फिर खुद ही वाह वाह करो ,,,,,,,,

इससे कुछ नहीं होगा ...... हिन्दी युग्म की पोल खुल रही है ......,,,

सादर
सुमित दिल्ली

Anonymous का कहना है कि -

p.c. godiyal is new barking dog of hindi yugm, many many congratulations.... to him ,,, for new post

Anonymous का कहना है कि -

Hindi yugm is paid by Muslims for anti Hindu article.

Shmikh shaikh is one such person...,,,,,

Hindi yugm might be thinking how do I know their secrets....,,,,,

hahahahah.....

Tapan Sharma का कहना है कि -

You are hopeless Mr. Coward Anonymous...
If you have guts then pls come in front and lets debate on the article...
and on all other your foolish statements..like "Hindyugm is paid by Muslims..."
BTW, I will definitely write on you.. oh...cartoon network.. :-) Which cartoon character do you like the most?

Nikhil का कहना है कि -

तपन बाबू,
गुस्सा मत हों.....
निंदक नियरे राखिए....

Anonymous का कहना है कि -

oh Angry Man Tapan - I am erady. Choose a topic of your choice and lets debate....

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } का कहना है कि -

हिंदुत्व को बदनाम कर रहे लोगो ने तो पहले राम को साम्प्रदायिक कर दिया था . ९० से पहले राम राम सभी धर्म के लोगो का अभिनंदन हुआ करता था

Ravi Mishra का कहना है कि -

मझे लगता है भाई ऐनोनिमस को जो चाहिए हम दे रहे हैं..निर्थक टिप्णियां कर आदरणीय आप सबका ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं..अगर हमें लगता है कि हम बेहतर करने कोशिश कर रहे हैं ...तो करना चाहिए...विश्लेषण और आलोचना का अधिकार नोन और ऐसे अननोन लोगों के लिए छोड़ दें..मुझे नहीं लगता कि भाई के पास कुछ ज्यादा काम है.. और उन्हें चुनौति देने की ज़रूरत है..इन भाई साहब के बारे में मेरी ये पहली और आखिरी प्रतिक्रिया है...ऐसी आलोचनाओं का कोई मतलब नहीं होता है..तपन जी और निखिल भाई यक़ीन मानिये आप बेहतर काम कर रहे हैं..करते रहिए...लेख के लिए बधाई...

Anonymous का कहना है कि -

Mr Ravi - you are also loyal dog of Hindi yugm. When Tapan can write anything readers can also comment whatever they wish...,,,

By the way, who is ready in the Hidi yugm family to debate on this article...,,, I wish to show I intelligent you people are...,,,

Anonymous का कहना है कि -

Tapan come on man where are you hiding ?....,,,,

Aniruddha Sharma का कहना है कि -

तपनजी, बहुत बढ़िया लेख है...
इन लोगों की वजह से ही देश २ कदम बढ़ता है तो १ कदम फिर पीछे हो जाता है.
और मौजूदा समय में हम एक saampradaayik dal के andar की kalah और उनकी सोच का ghatiyaapan देख ही रहे हैं.
hindu dharm एक बहुत uchch स्तर की सोच है जिसे कुछ कम budddhi लोगों ने sadak chhaap रूप दे दिया है.

अनाम भाई को पैसों से बहुत लगाव है लगता है....वो हर किसी के लेख पर टिप्पणी में पैसों का ज़िक्र ज़रूर करते हैं.
उनका कसूर भी नहीं है, शायद वे जीवन में बहुत सी समस्याओं से ग्रस्त हैं जिसका गुस्सा सब पर निकालते हैं.

Anonymous का कहना है कि -

हिन्दुत्व शब्द बहुत ही व्यापक है , इसे संकुचित करके देखना या सोचना संकीर्ण मानसिकता का प्रतिक है,
आपने बहुत बढिया लिखा , बहुत बहुत बधाई,
धन्याद

विमल कुमार हेडा

Anonymous का कहना है कि -

hey man tapan come out,,,,,,,

Abhishek का कहना है कि -

mein bilkul aapki baat se sehmat hoon Tapanji ki hindu dharma 1 jeene ki padathi hai.
anyatha humaare bharat mein muslim christian wagarah aa kar nahin reh paata....Hindu dharm "Vasudhav kutumbkum" ki baat karta hai...aur "sarva dharm sambhav"!

Shamikh Faraz का कहना है कि -

तपन जी बहुत ही बढ़िया आलेख. काफी कुछ बताया है आपने इसमें. एक गज़ब की फिलोसफी नज़र आई मुझे तो.

Anonymous का कहना है कि -

heyyyy coward tapan............ cmon man!!!!!!!!!

Unknown का कहना है कि -

आपने kaafi acchi vishleshan किया
आप anonymous की baato पर dhyan मत दो , वो bichara pagla गया है
मुझे उसकी baato से लगता है उसे कोई dimagi bimari है isliye wo ऐसी baate कर रहा है

Anonymous का कहना है कि -

आप द्वारा लिखा लेख बहुत सुन्दर है । परन्तु सत्य, न्याय और नीति को धारण करके कर्म करना धर्म है ।
सत्य, न्याय और नीति में से किसी एक को धारण करना, धर्म का एक रूप या पंथ हो सकता है, परन्तु धर्म नहीं । धर्म संकट की स्थिति में सत्य और न्याय में से किसी एक को चुना जाता है । जिस सम्प्रदाय में सत्य, न्याय और नीति के आधार पर कर्म नहीं होते, वे कभी धर्म हो ही नहीं सकते । इसलिए धर्म सनातन (हिन्दू) है ।

Dinesh Shridhar का कहना है कि -

Aapka Lekh Bahut hi Achha hain. Aap ke yeh lekh hamari Prerna ka source hain.
Maine aap ko subscribe kiya hain.
Mera E-Mail ID : kkshridhar@yahoo.com hain.

Dinesh shridhar का कहना है कि -

Aapka Lekh Bahut hi Achha hain. Aap ke yeh lekh hamari Prerna ka source hain.
Maine aap ko subscribe kiya hain.
Mera E-Mail ID : kkshridhar@yahoo.com hain.

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)