Wednesday, July 29, 2009

संग हो बच्चा, दर्शन हो अच्छा



भारतवर्ष एक ऐसा देश है जहाँ हर चीज का जुगाड़ है. कालेज में दाखिला हो, राजनीति में प्रवेश, रेल में सीट हो या फिर नौकरी हो हर जगह जुगाड़ चलता है. यही नही अब भगवान के दर्शन के लिये भी जुगाड़ चल गया है. यह रीति तो हमेशा से ही रही है कि नियम बनते ही उसका तोड़ ढ़ूँढ लिया जाता है. इसका एक ताजा उदाहरण समाचार पत्र में पढ़ा तो रहा नही गया. सोचा क्यो न औरों को भी अवगत करा दूँ ताकि अन्य भी इसका लाभ उठा सकें.

आइये मैं आपको तिरुपति बालाजी के दर्शन के लिये एक जुगाड़ बताती हूँ. जरा ध्यान से पढ़ियेगा. अगर आप तिरुपति बालाजी के दर्शन कम समय में करना चाहते हें तो एक बच्चा किराये पर लीजिये और आपको दर्शन फटाफट हो जायेंगे. अब आप सोचेंगे कि ये क्या बात हुई भला, तो मैं आपको समझाती हूँ. तिरुमुला तिरुपति देवस्थानम का मानना है कि जो महिलायें भीड़ में बच्चों को लेकर घंटों खड़ी रहती हैं उन्हें बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है. अत:तिरुमुला तिरुपति देवस्थानम द्वारा महिलाओं को सुविधा प्रदान की गयी है. अब वो महिलायें लंबी लाइन में लगने के बजाय अलग से कम समय में दर्शन कर सकेंगी. क्योंकि उनके पति भी साथ होगें तो उन्हें भी इस सुविधा का लाभ मिलेगा. इसका मतलब यह हुआ कि शादीशुदा जोड़े के साथ अगर बच्चा है तो उन्हें इस सुविधा का लाभ मिलेगा.

यह पढ़कर शायद कुछ लोगों के मन में प्रश्न उठ रहा होगा, कि इसमें हमारा क्या फायदा ? हम तो शादीशुदा नही है या शादीशुदा हैं तो बच्चा नहीं है. यह जुगाड़ हमारे किस काम का ? अरे भई मैंने कहा न कि ध्यान से पूरा पढ़िये. अब आपके काम की बात. जैसे ही यह नियम बना तो नियम का तोड़ ढूँढने वालों ने एक जुगाड़ बना लिया है, वो ये कि जिनके पास बच्चा नहीं है वो लोग उन्हें किराये पर बच्चा देते हैं. बच्चे का किराया एक घंटे के लिये २०० रुपये है और अगर डिमान्ड ज्यादा है तो ५०० रुपये तक कीमत वसूली जाती है. अब कहिये है न काम की बात. जो लोग शादीशुदा नहीं है उन्हें थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा. या तो वो लोग शादी कर लें या फिर हो सकता है जल्द ही पति-पत्नी भी किराये पर मिलने लगे.

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

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7 बैठकबाजों का कहना है :

निर्मला कपिला का कहना है कि -

vaah dishaa jee baDiyaa jaanakaaree

अजित गुप्ता का कोना का कहना है कि -

भगवान के दर्शन में भी हेरा-फेरी? भीख मांगने के लिए तो बच्‍चा किराए पर लेते हैं लेकि‍न अब भगवान के दरबार में भी झूठ का सहारा? ऐसा देश हमारा।

Manju Gupta का कहना है कि -

तिरुपति के दर्शन तो हमने यहाँ कर लिए .हकीकत में आप की सलाह कम आ जायेगी
एक. सिक्के दो पहलू होते है जिसे जे़सा अच्छा लगे वैसाही करेगा .बच्चो को रोजगार तो मिला .इसलिए जुगाड़ के लिए एसी चाल सही है .बधाई .

Shamikh Faraz का कहना है कि -

आपने आज जुगाड़ का ज़िक्र छेड़ा तो मुझे अमित शर्मा जी की यह कविता याद आई.

बचपन से सुना है एक शब्द हर मोड़ पर ...
नाम है उसका "जुगाड़ "
जो भी मिलता "जुगाड़ " का चर्चा करता ...
कैसे हुआ ये पैदा
इसकी भी अपनी कहानी है ,
जो पेश अपनी जुबानी है ...
हुई जब चाह एक बच्चे की,
किया गया "जुगाड़" के बेटा हो ...
हुआ बडा जब वो बच्चा,
किया "जुगाड़" स्कूल उसका अच्छा हो ...
बच्चे मास्टर जी के भी थे,
किया "जुगाड़" के कुछ टयूशन हो...
स्कूल , कालेज हुआ अब पुरा ,
लगा "जुगाड़" की डिग्रिया जमा ...
डिग्रिया तो आ गई अपने हाथ ,
किया "जुगाड़" नौकरी बाड़िया हो ...
"जुगाड़" सारे काम अपना कर गये ,
पटरी पर आ गई जीवन की गाड़ी ...
अब तो बच्चा जवान हो चला ,
दोहरानी है फ़िर यही कहानी ...
"जुगाड़" भी गज़ब है ,
देता "दो बूँद जिन्दगी की "...
चाहती है दुनिया ,
हमसे मिल जाए उनको भी ये "जुगाड़"...
जानते वो नही ,
चलते हम हिन्दुस्तानी लेकर नाम "जुगाड़"...

Shamikh Faraz का कहना है कि -

दिशा जी तो लगातार हिन्दयुग्म के हर department में पर नज़र आ रही हैं.

छा गए गुरु छा गए.

congrts

सुधि सिद्धार्थ का कहना है कि -

क्या बात है दिशा जी...जुगाड़ की पहुंच कहां-कहां तक हो चुकी है जानकर आश्चर्य हुआ। यकीन मानिए खुद जुगाड़ भी आज सोच में पड़ गया होगा..।
सुधी सिद्धार्थ

manu का कहना है कि -

ittaa badaa jugaad....???

yaani ham shuru se hi theek sochte hain....mandir ke baare mein..

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