बाहू का किला जम्मू की सबसे पुरानी इमारत है. यह शहर के मध्य भाग से ५ किलोमीटर दूर तवी नदी के बांए किनारे स्थित है. कहते है कि यह किला ३००० वर्ष पूर्व राजा बाहूलोचन ने बनवाया था. लेकिन बाद में डोंगरा शासकों ने इसका नवनिर्माण तथा विस्तार किया. खूबसूरत झरनों, हरे-भरे बाग तथा फूलों से भरे हुए इस किले की शोभा देखते ही बनती है. ऐसा लगता है जैसे कि इससे खूबसूरत जगह पहले कहीं ना देखी हो. बाहू के किले को महाकाली के मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर किले के अंदर ही है तथा भावे वाली माता के नाम से प्रसिद्ध है. सन १८२२ में महाराजा गुलाबसिंह के राजा बनने के तुरंत बाद बनाया गया था. इस मंदिर की महत्ता वैष्णो देवी मंदिर के बाद दूसरे नंबर पर है. बल्कि यह काली माता का मंदिर भारत के प्रसिद्ध काली मंदिरों में से एक है. किले के अंदर दूर तक फ़ैला हुआ खूबसूरत बाग है. इसे ही लोग बाग-ए-बाहू नाम से जानते है. इस बाग कि संरचना और प्राकृतिक सुंदरता इतनी अनोखी है कि मन मयूर नृत्य करने लगता है.
तरह-तरह के फव्वारे, सीढ़ीनुमा संरचना इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है. प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत यहां का माहौल आपको मुग्ध कर देता है और यहां से जाने का मन ही नही करता. यहां का जादुई वातावरण हजारों लोगों को आकर्षित करता है. इसलिये यह एक पिकनिक स्पाट भी बन गया है. आप चाहें पिकनिक के लिए आयें या फिर एक बार देखने के लिये, इस बाग की खूबसूरती से आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकेंगे.
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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6 बैठकबाजों का कहना है :
aap ki jankari achchhi lagi
अच्छी जानकारी.. कुछ और तस्वीरें होतीं तो बढ़िया हो जाता
system par baithe baithe...yatra tatra ghumna behad majedar anubhav hota hai...
tapan ji ki bat sahi hai ki ise kuchh aur tasviron se akarshak banaya ja sakta tha...koi bat nahi...ali bar
ALOK SINGH "SAHIL"
जानकारी के लिए हिन्दयुग्म का आभारी.
maine tasveer to aur bhi beji thi par lagata hai space ki kami ki vajah se nahi lagaayi hongi.
Deepali Pant Tiwari |"Disha"
Nayi jankari mili. Mein to bag-bag
ho gayi.
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