Sunday, June 28, 2009

गन्ने की राजनीति

विगत दिनों केंद्रीय सरकार ने एक अक्टूबर से आरंभ होने वाले चीनी सीजन 2009-10 के लिए गन्ने के एमएसपी में लगभग 32 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर करने की घोषणा की है। यह फैसला सरकार ने किसानों को गन्ने की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया है ताकि देश में चीनी का उत्पादन बढ़ाया जा सके। चालू वर्ष के लिए एसएमपी 81.18 रुपए था जो आगामी सीजन में 107.76 रुपए प्रति क्विटल होगा यानी 26.68 रुपए या 32 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी।
यह भाव 9.50 प्रतिशत रिकवरी यानि जिस गन्ने में 9.50 प्रतिशत रस की मात्रा हो उसके लिए है। इससे अधिक प्रत्येक 0.1 की अतिरिक्त रिकवरी होने पर 1.13 रुपए प्रति क्विटल की दर से मिलों को अधिक देना होगा।

पहली नजर में सराकर का यह फैसला देश के किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए किया गया है लेकिन यह वास्तविकता से दूर है। इसके लिए जरा गहराई में जाना होगा। गन्ने के लिए तीन भाव होते हैं। एक जो केंद्रीय सरकार तय करती है यानी एसएमपी, दूसरे जो राज्य सरकारें तय करती हैं, जिन्हें एसएपी यानी सरकार द्वारा सुझाई गए जो मिलों को देने चाहिएं और तीसरे जिस भाव पर किसानों से गन्ना या खांडसारी निर्माता गन्ना खरीदते हैं।
राज्य सरकारें एसएपी राज्य के वोटरों यानी किसानों को ध्यान में रखते तय करती हैं। चालू वर्ष के लिए गन्ने की एसएमपी 81.18 रुपए प्रति क्विटल हैं, लेकिन हरियाणा सरकार ने गन्ने के भाव 165/165 रुपए तय किए हुए हैं, उत्तर प्रदेश सरकार ने 140/145 रुपए तय किए हुए हैं लेकिन वहां की मिलों ने इस वर्ष 220 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर गन्ने की खरीद की है। तमिलनाडु की मिलें स्वेच्छा से किसानों को 122/127 रुपए दे रही हैं।

महाराष्ट्र में चीनी मिलें सहकारी क्षेत्र में हैं और वहां पर गन्ने में रिकवरी अधिक होती है और किसानों को अन्य राज्यों की तुलना में अधिक कीमत मिलती है। गुड़ व खांड़सारी निर्माता गुड़ व खांड़सार के भाव देते हैं। इस वर्ष इन्होंने 225 रुपए प्रति िक्वंटल तक गन्ने की खरीद की है क्योंकि गुड़ के भाव 30/32 रुपए तक चले गए थे।
वास्तव में केंद्रीय सरकार द्वारा हाल ही में वृद्वि की गई है उसका सीधा लाभ महाराष्ट्र के किसानों को मिलेगा या यों कहा जाए कि यह फैसला महाराष्ट्र के किसानों को देखते हुए किया गया तो गलत नहीं है।

उल्लेखनीय है कि राज्य में जल्दी ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और हमारे कृषि मंत्री श्री शरद पवार इसी राज्य से हैं। वहां पर गन्ने में रिकवरी अधिक होती है और किसानों को भुगतान इसी आधार पर किया जाता है।
इस भाव वृद्वि से अन्य राज्यों के किसानों को कोई लाभ नहीं होगा लेकिन सरकार ने वाही-वाही अवश्य लूट ली है।

--राजेश शर्मा

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6 बैठकबाजों का कहना है :

Shamikh Faraz का कहना है कि -

गन्ने पे हो रही राजनीती के बारे में आपने बहुत अच्छा प्रकाश डाला. आकडे जुटाकर आलेख लिखना वाकई काबिले तारीफ है. मुबारकबाद.

Unknown का कहना है कि -

इस जानकारी लिए आभार

Unknown का कहना है कि -

इस जानकारी लिए आभार

Manju Gupta का कहना है कि -

Vyapak-nayi jankari ke liye badhayi.
Ganne ke dam pata lage.

Nikhil का कहना है कि -

गन्ना खाने में इतना मीठा होता है, पर मिलता इतनी तिकड़म से है....

निर्मला कपिला का कहना है कि -

बहुत बडिया जानकारी है कोई चीज़ बची भी है जिस पर राजनीति ना हो रही हो ? इस लेख के लिये आभार्

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