भारतीय खाद्य निगम द्वारा चालू वर्ष में अधिक खरीद और सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टाक लबालब होने के कारण ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि जल्दी ही सरकार गेहूं के निर्यात की अनुमति प्रदान कर देगी। लेकिन वास्तव में विश्व बाजार को देखते हुए देश से गेहूं के निर्यात की संभावना नजर नहीं आ रही है।
उल्लेखनीय है कि देश में गेहूं की कमी और बाजारों में बढ़ते भाव को देखते हुए सरकार ने फरवरी 2007 में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। यही नहीं कमी को दूर करने के लिए सरकार ने प्राईवेट व सरकारी स्तर पर इसके आयात अनुमति देने के साथ ही आयात शुल्क भी समाप्त कर दिया था।
खरीद
बहरहाल, अब स्थिति बदली हुई है। गत रबी विपणन वर्ष यानी अप्रैल 2008-मार्च 2009 के दौरान सरकार ने 226.89 लाख टन गेहूं की खरीद की। एक अप्रैल से चालू हुए वर्ष के दौरान अब तक सरकारी एजेंसियां लगभग 224 लाख टन गेहूं की खरीद करक चुकी हैं और अनुमान है कि खरीद गत वर्ष के स्तर को पार कर जाएगी।
स्टाक
रिकार्ड खरीद के कारण अब सरकारी गोदामों में गेहूं की बोरियों के अम्बार लग चुके हैं। यही नहीं कुछ गेहूं खुले में भी रखी हुई है। एक अप्रैल को सरकारी गोदामों में 134 लाख टन गेहूं का स्टाक था जबकि बफर नार्म के तहत स्टाक केवल 40 लाख टन ही होन चाहिए था। अब इस सीजन की खरीद आरंभ होने के बाद एक मई को सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टाक बढ़ कर 298.2 लाख टन हो गया है।
बढ़ते स्टाक से निजात पाने के लिए सरकार जल्दी ही 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दे सकती है लेकिन विश्व बाजार की स्थिति को देखते हुए भारत से गेहूं निर्यात की संभावना नजर नहीं आ रही है। अन्य देशों की तुलना में भारतीय गेहूं महंगी है जबकि क्वालिटी में कुछ हल्की ही पड़ती है।
यदि 1080 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर उत्पादक मंडियों से गेहूं की खरीद की जाए तो स्थानीय कर, मंडी शुल्क, बोरी, ट्रांसपोर्ट, बंदरगाह पर लदान आदि सभी खर्च मिला कर कांडला या मुंद्रा बंदरगाह (जहां से गेहूं का निर्यात होगा) गेहूं के भाव लगभग 14000 रुपए प्रति टन यानि लगभग 280 डालर प्रति टन पड़ेंगे। यदि यह माना जाए कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम पर गेहूं मिल सकती है तो भी बंदरगाह पहुंचने पर इसकी लागत लगभग 250 डालर प्रति टन आएगी।
इसकी तुलना में रशिया या यूक्रेन से जून-जुलाई शिपमेंट के सौदे 185 डालर प्रति टन पर किए जाने के समाचार हैं।
फ्रांस, जर्मनी, कनाडा आदि देशों से गेहूं लगभग 200 डालर पर मिल रही है।
आस्ट्रेलिया की बढ़िया क्वालिटी की गेहूं के सौदे लगभग 220 डालर प्रति टन पर किए जाने के समाचार हैं।
ऐसे में कौन देश भारत से गेहूं का आयात करेगा? यह सोचने का विषय है।
गेहूं उत्पाद
बहरहाल, देश से गेहूं उत्पाद यानि आटा, मैदा, सूजी आदि का निर्यात पड़ोसी देशों को अवश्य किया सकता है। सरकार निर्यात पर प्रोत्साहन देकर गेहूं के स्टाक से कुछ निजात पा सकती है।
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बैठकबाज का कहना है :
अच्छी जानकारी भरे लेख के लिए शुक्रिया.
आलोक सिंह "साहिल"
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