1) हमारे शैलेश जी एक फिल्म (चला मुरारी हीरो बनने ) देखकर वापस आ रहे थे,चूँकि उनकी शर्ट सुर्ख लाल रंग की थी अतः एक सांड़ ने उन्हें उठा कर पटक दिया और उनकी हड्डियों का चुरमा बन गया है। और इसलिए वो हिन्द-युग्म का कोई भी काम कर पाने मे आजकल असमर्थ हैं।
2)"ओरिसा में बाढ़ का कहर"- प्रशासन अत्यंत परेशान है, कारण है की तपन शर्मा हमारे हिन्द-युगम के कर्मठ सहयोगी आजकल ओरिसा में हैं, घर की याद में इतना रो रहे हैं कि समस्त ओरिसा बाढ़ की चपेट में है, हालत बेकाबू देखकर, वहाँ के मुख्यमंत्री ने उनकी फर्म से अपील की है कि उन्हें तत्काल वापस बुलाया जाए, जिससे ओरिसा के हालत को कुछ काबू किया जा सके।
3) आचार्य जी की मल्लिका शेरावत के साथ एक संक्षिप्त मुलाकात- आचार्य जी ने उन्हें जीवन दर्शन के बारे में समझाया किंतु जब मल्लिका जी ने अपने जीवन दर्शन के बारे में बताना चाहा तो, संजीव जी सर पर पैर रखते भागते हुए नज़र आए।
4) राघव जी अपनी मोटर साइकल से अंतरिक्ष की सफल उड़ान के लिए एक प्रयोग कर रहे हैं इन दिनों, पिछली सीट के लिए कोई अंतरिक्ष यात्री की तलाश में हैं। रंजना जी, रूपम जी, शोभा जी, पूजा जी, शन्नो जी, सीमा जी व नीलम जी ने उनकी अपील को ठुकरा दी है, अब वो बुझे मान से अपनी पत्नी को मनाने में लगे हुए हैं। ईश्वर उनकी यात्रा शुभ करे!
5) अरूण जी और मनु जी ने खुदकुशी करने की कोशिश की, मोके पर पुलिस ने पहुँच कर पड़ताल की और नीलम जी को सख़्त हिदायत दी की चाहे वो प्रतियोगिता में भाग लें या न लें, उन्हें सर्वश्रेष्ट प्रतिभागी ही घोषित करेंगी, इसका नीलम जी ने पूरा-पूरा आस्वसान दिया है।
6) सजीव जी, आजकल बेहद परेशान हैं, उनके आवाज़ के साथियों के गालो मे मेंढक घुस गये हैं और वो सब सिर्फ़ टर्र-टर्र कर रहे हैं। इस कारण से मार्च की कविता पाठ में विलंब हो रहा है क्योंकि कविता पाठ करने वाले सभी लोग सिर्फ़ टर्र-टर्र कर रहे हैं। उम्मीद है कि सजीव जल्दी ही इस समस्या से अपने आप को उबार लेंगे।
7) समस्त प्रवासी हिंद-युग्मी नाराज़ हो गये हैं, क्योंकि हिंद-युग्म ने उन्हें गुलाल और गुझिया का पार्सल अभी तक नहीं पहुँचाया है। इसलिए सभी लोग हिन्दुस्तान आकर होली मनाने का मन बना चुके हैं, अभी अभी खबर मिली है कि कुछ लोग वहाँ से चल भी चुके हैं।
बुरा न मानो होली है, होली का हुड़दंग आप सभी को उल्लासित करे इसी ख्वाहिश के साथ-
नीलम मिश्रा व निखिल आनंद गिरि
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
20 बैठकबाजों का कहना है :
हा हा हा ये तो मज़ा आगया। बहुत बढ़िया अंदाज़ है । होली की शुभकामनाएँ।
खबर आज की पढी पर, रही अधूरी बात.
भेंट मल्लिका से हुई, की दर्शन की बात.
की दर्शन की बात, हुआ दूजा ही दर्शन.
जिसे देख, भर आह, टूटता पाया दर्पण.
'सलिल' रूप की धूप, भूप को करे भिखारी.
बेहतर जाओ भाग, न आफत आये भारी.
MAJAA AA GAYAA NEELAM JI AUR SOCH KAR HANSI AUR HAIRAANI BHI KI AACHAARAYA JI KI MULAAKAAT KAISI RAHI HOGI ,AB IS PAR EK INTERVIEW JALDI SE CHAAP HI DEEJIYE AUR RAAGHAV JI KO MAINE HI CHAAND PAR GHOOMANE KAA SUJHAAV DIYAA THA , VO KYAA HAI NA KI MAI APNI SCOOTY PE CHAAND KAA CHAKKAR PAHLE HI LAGAA AAII THI , AUR RAAGHAV JI KO APNI SHRENI KAA ( BUDDHU )PAAYAA TO SALAAH DE DEE ,AUR VO ABHI TAK SAATH BHI NAHI DHOONDH PAAYE . PATAA HOTA TO KAVI KULVANT JI KO YA FIR MANU JI KO YAH SUJHAAV DETI .SHAILESH JI AUR SAANDH JI PAR MAI EK KATHAA-KAAVYA LIKHANE VAALI HOO .......:)
HOLI MUBAARAK
बहुत ही मजेदार रहा,,,,,होली सी मन गई,,,,,,,,,,
(१) शैलेश जी के लिए सांड को काहे कष्ट दिया,,,,,,,,??? बामुश्किल ३५-४० किलो के तो कुल हैं ही,,,बकरी से काम ना चल जाता,,,,,सस्ती सुंदर टिकाऊ,,,,,??
(२) तपन जी के लिए वाकई दिल में एक कसक सी है,,,,पर उम्मीद है के आपकी इस फुहार में सराबोर होकर उनकी भी एक अछि होली मन गई होगी,,,उनकी तरफ से मेरी बधाई,,,
(३) आचार्य को आपने सही जगह,,,सही (आइटम) से मिलवाया,,,,::)) प्रणाम आचार्या,,,,
सब लोग आपसे इर्ष्या कर रहे होंगे,,,( मैं नहीं आचार्या,,,),,::)))
(४) राघव जी, यदि अआप सीरियसली जा रहे हैं तो दो पहिये के बदले एक बड़ा सा छकडा ले कर जाए ,,,हम भी जाना चाहेंगे,,,,,,एक निवेदन भी,,,सीरियसली,,,,
चन्दा पर या मंगल पर बसने की जल्दी जुगत करो,
बढती जाती भीड़ , सिमटती जाती धरती सालों-साल,
(५) इस बार शायद टर्राने वालों में हम भी हों,,,,,सो हमें भी इन्तेजार है,,,,
(६) प्रवासी लोग जब आये तो गुलशन जी को कहियेगा के के यहाँ के कवियों के लिए ,,एक " अकविता महा विश्व विद्यालय " की स्थापना करवा के ही वापस जाएँ.....आखिर हमें भी तो यूनिकवि बनना है ,,,, जो की उनके मार्ग दर्शन के बिना तो संभव होता ही नहीं लगता ,,,,,आखिर कब तक पुलिस हमें मौके पर पहुँच कर आत्महत्या करने से बच्चा पाएगी,,,,(वो भी दिल्ली पुलिस,,,),,,,,,,,,,,
निखिल जी और नीलम जी ने एक अछि होली मनवा दी,,,,,शुक्रिया,,,,,
सीमा जी की सभी सलाहें काबिले-गौर हैं,,,,,,,(अंग्रेजी में),,,,:::)))
अरे वाह नीलम जी बहुत जोर से हँस रही हूँ मै मजा आगया .मनु जी हम भी हैं यहाँ आप गुलशन जी से स्कूल खुलवाइए पर मेरी गुझिया बना के रखिये ..
नीलम जी आप की सोच को मान गए .क्या खूब लिखा है .अभी भी कुछ लोग रह गए हैं उन पर आपका करम क्यों नहीं हुआ
रचना
रचना जी, होली की पुनः मुबारक,,,,'
आप आयें तो सही,,,गुंजिया ,,,भुरता,,,,, गोलगप्पे,,, जैसे मेरे मनपसंद व्यंजनों से आपका स्वागत है,,,,
हम,,"अकविता" की बात कर रहे थे,,, वो सीखनी है,,,वो आप थोड़े ही सीखा सकती हैं :::))
हे भगवान ! बिन पढ़े रहा भी नहीं गया
अब देखो इन्हें पढ़के मुझे क्या हो गया.
मेरी हालत खराब हो रही है इन ख़बरों को पढने के बाद.
वैसे चिंता की कोई बात नहीं है. हुआ यह कि आज की इन सब ताजा ख़बरों को पढ़ने के बाद मुझे हँसी का ऐसा दौरा पड़ा कि खांसी आने लगी, पसलियाँ दुखने लगीं और आँखों में आंसू आ गये. फिर खांसी को आराम देने के लिए अदरक की चाय बना लाई हूँ. हँसी के झटके अब भी लग रहे हैं. नीलम जी, मेरी इस हालत के लिए आप जिम्मेदार
हैं. वैसे NEWS के UPDATE होने के कोई CHANCES हैं या नहीं? क्योंकि दिमाग में
कुछ सवाल-जबाब घूम रहे हैं, जैसे कि:
१. उम्मीद करती हूँ कि शैलेश जी अब चेतन्य हो गये होंगें.
२. तपन जी को जबरदस्ती ओरिसा से वापस भेज दिया गया है कि नहीं?
३. अब आचार्य सलिल जी की हालत कैसी है ( मल्लिका जी से मुलाकात करने के बाद)?
४. राघव जी क्या अब भी जिद पर हैं अन्तरिक्ष पर जाने के लिए, और अपनी श्रीमती जी
को मोटरसाईकिल के पीछे की सीट पर बिठाकर यंत्रणा देने को क्या अब भी तत्पर हैं?
५. अरुण जी और मनु जी की धमकियाँ क्या अब भी नीलम जी को मिल रही हैं?
६. टर्र-टर्र करने वाले लोगों के गले ठीक करने का देसी नुस्खा मैं सजीव जी को बताना चाहती हूँ: एक गिलास गरम पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर गरारे करवायें. दो बातें धयान में रखें वह ये कि एक गिलास पानी एक ही व्यक्ति के लिए काफी होगा. दूसरी बात कि पानी खौलता हुआ ना हो वरना..........तकलीफ हो सकती है. बाकी ऊपर वाले पर छोड़ दें.
७. आखिर में हिंद-युग्म को गुझियों के लिए धन्यबाद कहना चाहूंगी. आप सब लोग मिल कर मेरे हिस्से की भी खा लेना, समझूंगी मेरे पेट में चली गईं. शेष कुशल.
नीलम जी, आपसे कहना चाहती हूँ कि इन ख़बरों को सुनाकर मेरी इस हालत की जिम्मेदार आप हैं. और इसके लिए मैं आपको कुछ कहना चाहती हूँ, और वह है कि ............बहुत-बहुत शुक्रिया. (मुद्दतें हो गयीं इस तरह से हँसे हुए).
अरे हाँ नीलम जी, निखिल जी, होली की बधाई देना तो भूल ही गयी मैं.
आप दोनों को व सभी को होली की बहुत शुभकामनाएं.
ऐसे ही हंसो, हंसाओ आपस में
जीवन में प्यार का भरे गुलाल
गाओ, नाचो और मौज उड़ाओ
हों जाओ खुशियों से मालामाल.
’नी’ और ’नि’ को बधाई.. क्या खूब हँसाया आप लोगों ने.... मजा आ गया..
उड़ीसा में तो कल बादल छाये थे.. पर बरसे नहीं... :-)
जल्द ही लौटते हैं दिल्ली को.... इंतज़ार कर रहा हूँ फिलहाल...
हिन्दयुग्म के समस्त परिवार व पाठक गण को मेरी और से होली की बधाई.....
निखिल भाई
अच्छी खबरे है पर हम बुरा मान रहे है आप ने हम पर कोई खबर नहीं छापी
होली की हार्दिक शुभकामनाए सभी को
सुमित भारद्वाज
हा हा हो हा हो हो हो..
नीलम जी और निखिल जी,
होली पर ऐसी रंग बिरंगी या चटपटी कह लीजिये...खबरें पढ़ कर हम भी हँसे बिना रह ना पाए, अब भारत में होली की धूम का मज़ा हम यहीं ले रहे हैं , मज़ा आ गाया .
आपको भी होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं
पूजा अनिल
teen baar comment likha hindi me ,aur post karne ke theek pahle delete ho gaya ,isliye ab aise hi likh rahen hain .
kuch log rah gaye hain ,iska matlab ye katai nahi ki hum unhe bhool gaye ,samay ka avaabh aur kuch rochak prastuti ,jaldi bhejne ki aaturta se rah gaye .hum sab isme shaamil hain
shyaam ji ,vinay ji ,paandey ji ,naajim ji ,sumit bhaai,aap sabhi ko bhi holi ka hullad agle varsh jaroor milega ,ek naayab prastuti ke taur par ,hum aapse vaada karte hain
नीलम जी, निखिल जी और भी हिंद-युग्म के उन सभी लोगों को मैं तहे-दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ जिन्होंने ऐसी बेतुकी लेकिन मजेदार ख़बरों से होली में एक और नया रंग भर दिया. अब सबने टर्र-टर्र (comments) भी बंद कर दी है. हम जैसे इतनी दूर बैठे हुए लोगों ने हिन्दयुग्म की सैर करके होली के गीत सुनकर और हंसी के फब्बारों से ही होली खेल ली है आप लोगों का साथ पाकर. अगली होली पर हँसने का फिर से इन्तजार रहेगा, आपसे कुछ और इसी तरह की खबरें सुनकर. इंशाअल्लाह, अगर हम बरकरार रहे.
1. खबरों से ली खबर सभी की,लेकर होली आड़ ।
एक साँड ने शैलेश जी को कैसे दिया पछाड ?
कैसे दिया पछाड नहीं कोई धींगा मुस्ती ।
स्पेन जाकर जीत रहे हर बार वो कुश्ती ॥
गलत खबर है नीलम जी यह सोलह आने ।
हैप्पी होली, मैं भी आया गुजिया खाने ॥
2. तपन डुबोने चल दिये सकल उडीसा आज ।
कैसी कैसी हैं खबर , हे मेरे महाराज ॥
हे मेरे महाराज, हालात बडे बे-काबू ।
मुश्किल में आ गये आज पटनायक बाबू ॥
तपन श्री पर हाये कैसा आक्षेप लगाया ।
सच्ची झूठी जैसी भी बस खबर की माया ॥
3. आचार्य जी की बात पढ़ी लो माँथा ठिनका ।
एक एक दोहा शेर समान बलवान है जिनका ॥
आज मल्लिका शेरावत से क्यूँ कर मीटिंग..।
अगर हकीकत यही तो भैया सचमुच चीटिंग ॥
कैसे करूँ विश्वास, आचार्य जी आख मींचकर ।
आखिर कर दी लम्बी आचार्य जी की टांग खींचकर॥
4. फिल इन द ब्लेंक्स
5. खुद-खुशी से खुद-कुशी करन चले इसबार ।
टाँग अडाई पुलिस ने पाकर मौका यार ॥
पाकर मौका यार, यहाँ पर सब शैतानी ।
हमको दिया धकेल, जब भी जाने की ठानी ॥
कर ना लें हम कब्जा स्वर्ग पर पहले जाकर ।
दिया प्रलोभन नीलम जी ने हमको आकर ॥
इस होली में अपनी बल्ले बल्ले होली ।
हैप्पी गुजिया होली कि हैप्पी भल्ले होली ॥
6. टर्र टर्र करने लगे कितने सारे जीव ।
ये सुर है या ताल है सोचें खडें सजीव ॥
सोचे खडे सजीव अजीब स्चिवेशन भाई ।
कैसे कविता करें जान पर अब बन आई ॥
टर्र टर्र संगीत बने ऐसा प्राकृतिक ।
कर्णप्रिय हो जाये, शब्द कुछ ऐसे अब लिख ॥
बने समस्या एक समौसा खाये जाओ ।
हैप्पी होली हैप्ली होली गाये जाओ ॥
7. हों प्रवासी वो भले , दिल में बसते आज ।
होता बहुत लुभावना अपने घर का नाज ॥
अपने घर का नाज भूख प्रबल हो जाती ।
इसीलिये तो दूर देश से खुशबू आती ॥
आने दो , आ जाओ भैया बहुत स्वागत ।
नीलम,निखिल भुगतान करेंगे सारी लागत ॥
एक प्लेन से एक ही बन्दे को आना है ।
हैप्पी होली , हमको भी गुजिया खाना है ॥
8. तीन दिनों से भूपेन्द्र (राजा इन्द्र) का
हिल रहा था सिंहासन..
या छप रहा पंजाब केसरी, या नी. नि.(नीलम निखिल) प्रकाशन..
हालांकि अखबार हो गया आज 3 दिन बासी
लेकिन दिल गद-गद हो बैठा,खबरें अच्छी खासी
फ़्रंट पेज पर नाम देखकर मन में उठी उमंग
उपर से अठखेलिया संग होली के रंग
बाइक मेरी हो गयी , उडने को तैयार
पीछे बैठत डर रहे , सब कितने बेकार
मन बुझा तो क्या हुआ साईलेंसर में आग
वही बैठ सकता यहाँ जिसका अच्छा भाग
अपने दिल का कीजिये पॉल्यूशन कंट्रोल
ऐसे यूँ ना देखिये करके आखें गोल
-शेष अगले अंक में....
बुरा ना मानो होली है...:)
सभी को होली की बहुत बहुत बधाई...
शन्नो जी ,
एक बड़ा मेढक अभी अभी आया है ,
कितनी लम्बी टर्र-टर्र कर रहा है ,जरा गौर से पढिये और दाद दीजिये ऐसी टिप्पणी करने वाला मेढक
शायद ही कोई है अपने इस हिन्दयुग्म में
आप मुद्दतों बाद हसी इसका हमे बेहद अफ़सोस है ,आगे से ऐसा न हो हम इसका ख़याल रखेंगे |
नीलम जी,
हाँ, राघव जी की टर्र-टर्र बहुत अच्छी लगी. लगता है कि यह सब वह समोसे और गुझिया खाते हुए कर रहे थे. क्या खूब! और please आप सबको हंसाती रहें और खुद भी हंसती रहें. मुझे पढ़कर अफ़सोस हुआ कि आपको अफ़सोस इसलिए हुआ कि आपने मुझे हंसाया क्यों. अरे नहीं, ऐसा नहीं है. आप अफ़सोस न करें वर्ना मुझे अफ़सोस होगा कि आपने मुझे हंसाया क्यों नहीं. इतना अधिक हंसकर बड़ा आनंद आया था. हँसाना एक बड़ी कला है और हंसने से हर जीव सजीव रहता है. कितने लोगों की टांग खिंचाई हो गयी ऐसी ख़बरों के द्बारा.
और राघव जी, आमंत्रित करने के लिए धन्यबाद. बस मन खुश हो गया. आप उधर समोसे और भल्ले खाओ और मैं भी अभी कुछ गुझियाँ और खस्ता कचौरी बना के आ रही हूँ. आपका और नीलम जी का भी खाने पर स्वागत है.
शन्नो जी ,
हमारा कहने का आशय भी वही था ,जो आप ने कहा है ,कि हम आगे से ऐसा नहीं होने देंगे ,कि आप को एक मुद्दत हो जाए हसने के लिए |
मैं समझ गयी थी नीलम जी, ऐसा कैसे हो सकता है कि आप को मेरे हंसने पर अफ़सोस हो. वह तो जरा चकल्लस्बाजी हो गयी. अगली होली पर भी ऐसी ही मीठी-नमकीन खबरें लेकर आयिएगा please. राघव जी का टर्र-टर्र पुराण तो बहुत ही रोचक था. उसका शेष भाग शायद अगले साल सुनने को मिलेगा. शुभकामनाएं.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)