Friday, January 30, 2009

मदमस्त पीढियां, लड़खड़ाती सभ्यताएं....

मैंगलौर में पब में क्या हुआ, ये सब को पता है। किसने क्या कहा, ये बात दोहराने की जरूरत नहीं है। लेकिन जो कुछ हुआ, उसका दोषी कौन है, ये जानना जरूरी है। उसी की पड़ताल करते हैं आज। कठघरे में खड़े होंगे राजनैतिक दल, श्री राम सेना, मीडिया और हम।

पब में युवा नाच रहे थे, शराब पी रहे थे, और क्या क्या कर रहे थे..ये हमें नहीं पता। रेव पार्टी थी या नहीं, ये भी नहीं पता। रेव पार्टी गैरकानूनी है क्योंकि वहाँ ड्रग्स का सेवन होता है। उस पब में क्या वैसा हो रहा था? यदि हाँ, तो क्या हमारा युवा वर्ग अपने भविष्य को लेकर चिंतित नहीं है? ड्रग्स सेहत के लिये हानिकारक है, क्या उसके नशे में हमारा युवा खोता जा रहा है? इस सबके जिम्मेवार वे खुद हैं, उनके माता-पिता हैं। और अगर वैसा नहीं था..और केवल लोग नाच-गा रहे थे..तो..?

वैसे कोई अपनी व्यक्तिगत ज़िन्दगी में क्या करता है उससे किसी को क्या दिक्कत हो सकती है? हम कौन होते हैं किसी की ज़िन्दगी में दखल देने वाले। पूछिये किसी से भी यही जवाब मिलेगा...मेरी पर्सनल लाइफ है..तू कौन होता है? बात भी सही है। अब श्रीराम सेना या मनसे या शिवसेना या और भी कोई "संस्कृति समर्थक" दल कौन होता है लड़के-लड़कियों को पीटने वाला? उन्होंने कोई ठेका नहीं लिया हुआ देश का। और न ही वे हमेशा सही होते हैं। ये दल वैलेंटाइन डे का विरोध करेंगे लेकिन युवाओं में बसंत पंचमी के बारे में जागरुकता नहीं फैलायेंगे। भई प्यार का इज़हार हर कोई अपने तरीके से करता है। भारतीय तरीका यदि है तो लोगों तक पहुँचा जाये। अब पाश्चात्य की कब तक बुराई करेंगे? वहाँ से पैसा भी तो बहुत आता है... ये केवल हिंदू दल करते हों ऐसा नहीं है। सानिया मिर्ज़ा को कैसी ड्रेस पहननी चाहिये, ये उलेमा और फतवा जारी करने वाले संगठन बताते हैं। फलाने पर १ करोड़ का इनाम, कभी ये फतवा कभी वो फतवा। जिन लोगों को फ़तवे का मतलब नहीं पता वे भी इस शब्द से वाकिफ़ हो गये हैं।

अब बात करते हैं राजनैतिक दलों की। ये दल अब नैतिक दल बन गये हैं। कर्नाटक में येदुरप्पा बोले कि पब कल्चर गलत है तो कांग्रेस शासित प्रदेश राजस्थान के सी.एम. अशोक गहलोत भी यही जुबान बोले। पर इनको समझाओ की शराब से इन्हें कितनी कमाई होती है। पब कैसे बंद करोगे? दिल्ली में शीला आँटी ने कुछ समय पहले कहा था कि मॉल में भी ठेके खुलने चाहिये। अब? भई जब पैसा दिख रहा हो तो थोड़ा सोच कर बोलिये। कर्नाटक के ४००० पबों को कैसे बंद करोगे? बंद करना है तो ड्रग्स के बारे में जागरूकता फैलाये। किसी पर पाबंदी ठीक नहीं। डेमोक्रेसी के खिलाफ है। लोकतंत्र खतरे में पड़ जायेगा। वैसे अगले ही पल कांग्रेस और बीजेपी दोनों पीछे हट जायेंगी..हम जानते हैं...

अब बात करते हैं उस क्षेत्र की जो अपनी ही धुन में चला जा रहा है। यानि कि मीडिया। श्री राम सेना नामक संगठन का हमला होने वाला है। ये बात कुछ मीडिया वालों को पता थी। तो बस पहुँच गये कैमरा लेकर। पुलिस को सूचित करना अपना धर्म नहीं समझा। लड़कियों को पिटते हुए देखते रहे पर खुद कुछ नहीं किया सिवाय शूट करने के। अगर रोक देते तो ब्रेकिंग न्यूज़ कैसे दिखा पाते? हद है पत्रकारों की... या सोच का फर्क है....

मैंगलौर में जो कुछ हुआ वो गलत हुआ। हमें कोई हक नहीं कुछ करने का, किसी को कुछ कहने का। पुलिस व कानून अपनी जगह है। पब चलते रहेंगे। उन्हें बंद करना कोई उपाय नहीं है। ज़ोर जबर्दस्ती से अपनी बात कोई नहीं मनवा सकता है। युवाओं को खुद समझना होगा कि उनके लिये क्या सही है व क्या गलत। राजनैतिक दल, मीडिया, 'सेना', उलेमा या हम..सब इसी समाज का हिस्सा हैं... थोड़ा सोच समझकर काम लिया जाये तो स्थिति से निपटा जा सकता है।

तपन शर्मा

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13 बैठकबाजों का कहना है :

आलोक साहिल का कहना है कि -

इस घटना क़ी जितनी निंदा क़ी जा सकती है क़ी जानी चाहिए.........
इसमे सोचने समझने क़ी कोई बात ही नही है क़ी कितनी भर्त्सना क़ी जाए......
पर,समस्या यह है क़ी धर्म के इन नुमाइंडो क़ी आँखे इनपर पड़ेगी भी क़ी नही.....
खैर,यह सौ फीसदी सच बात है क़ी किसी को भी हक नहीं क़ी वो हमारे व्यक्तिगत जीवन मे दखल दे जबतक बात नेशनल इंटेरेस्ट क़ी ना हो.......
आलोक सिंह "साहिल"

अंकुर गुप्ता का कहना है कि -

मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूं.

Unknown का कहना है कि -

bilkul sahi kaha tapan ji,
jab alok bhai ka mail mila ki aapne aisa kuchh likha hia to raha nahin gaya.bahut hi achha likha aapne

चारु का कहना है कि -

जागरुकता ही जरूरी है। पर यही करना तो टेढ़ी खीर है।
नही तो जागरुकता फैलाने का सबसे बड़ा साधन माने जाने वाला मीडिया सिर्फ बहती गंगा में हाथ धोने में क्यों लगा होता...

चारु का कहना है कि -

जागरुकता ही जरूरी है। पर यही करना तो टेढ़ी खीर है।
नही तो जागरुकता फैलाने का सबसे बड़ा साधन माने जाने वाला मीडिया सिर्फ बहती गंगा में हाथ धोने में क्यों लगा होता...

आलोक साहिल का कहना है कि -

ओये,करन भाई,
बहुत फास्ट वर्किंग है आपकी.........
आपका ही घर है आते जाते रहिएगा...
आपका
आलोक सिंह "साहिल"

आलोक साहिल का कहना है कि -

ओये,करन भाई,
बहुत फास्ट वर्किंग है आपकी.........
आपका ही घर है आते जाते रहिएगा...
आपका
आलोक सिंह "साहिल"

Unknown का कहना है कि -

सही बात कही आपने तपन भैया

manu का कहना है कि -

तपन जी,
आपसे पूरी तरह सहमत हूँ.........और अब भी इसी पर काम कर रहा हूँ...
.

PD का कहना है कि -

बेहद नपा-तुला लेख.. बधाई..

Sajeev का कहना है कि -

आपने बहुत अच्छे से अपनी बात कही है तपन भाई

विनोद कुमार ऐलावादी का कहना है कि -

युवाओं को खुद समझना होगा कि उनके लिये क्या सही है व क्या गलत। राजनैतिक दल, मीडिया, 'सेना', उलेमा या हम..सब इसी समाज का हिस्सा हैं... थोड़ा सोच समझकर काम लिया जाये तो स्थिति से निपटा जा सकता है।
.......बात अधूरी है.....पूरी करिये..."स्थिति से निपटा जा सकता है।"...कहना आसान है....पुलिस, धर्म के ठेकेदार, राजनीती के पहरेदार, मीडिया, हम और आप .... कौन करेगा

Anonymous का कहना है कि -

flowlinefire ji,
Har koi apni jimmedaari nibhaata rahe to yeh din dekhne ki naubat na aaye.
Media jaagrukta failaaye. Drugs ke khilaaf. Logon ko samjhaaye.
Police drugs ki supply roke..
aur isi tarah jo aapka kaam hai wo poora karo...
Doosron ki life mein adange na daaliye. WO bhugtenge to samajh jayenge..
Main baar baar kahta hun, Jo baat humaare liye sahi ho ..ho sakta hai doosron ke liye galat... aur jo doosron ko sahi lagta ho wo humein galat lagta ho.. Koi bhi cheez sahi ya galat nahin hoti... dekhne ka najariya hai... drugs lene waale ko wo sahi lagega...
jaise cigaratte peene waale ko pata hai "ijurious to health"... to uski marji hai.. jo karna hai kare...
Jabardasti koi kaam nahin karwaaya ja sakta.... Mera bas yahi kehna hai....
DHanyawaad.

Apne system se nahin likh raha isiliye roman mein type kar raha hun...

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