
इसबार उन्होंने कुछ ऐसा किया है जो हॉलीवुड में भी शायद ही किसी ने किया हो. पा .... अमित जी के अभिनय कार्यकाल के चमचमाते तारामंडल में ध्रुव तारे सा अटल और जगमगाता सितारा है ... पा !
कथा सारांश :
ये कथा है विद्या (विद्या बालन) और अमोल आर्ते (अभिषेक बच्चन) की जो कॉलेज के वक्त एक-दूसरे से टकराते हैं और वहीं से उनमें प्यार बढ़ता है. एक क्षण की गलती से विद्या प्रेग्नेंट होती है पर अमोल जो एक सफल राजनेता का बेटा है, इंडिया को सुधारने का जिसका सपना है, वो विद्या को इस परिस्थिति से छुटकारा पाने को कहता है. विद्या उसे छुटकारा दिलाती है पर उसके जिंदगी से दूर जा कर.
विद्या अपनी माँ की मदद से अपने बेटे को पाल-पोस कर बड़ा करती है पर उसे तकदीर एकबार फिर से एक झटका देती है. विद्या का बेटा प्रोगेरिया नमक एक अनोखी बीमारी से पीड़ित है जिसमें बच्चे का शरीर उसकी असली उम्र से ४-५ गुना ज्यादा दीखता और बढ़ता है। माने 10 साल का लड़का ५० साल का दीखता और शरीर उसका वैसे रहता है. पर डॉक्टर होने के कारण विद्या उसे सम्हाल सकती है और एक नॉर्मल लड़के की तरह उसकी परवरिश करती है. उसका नाम रहता है औरो.
औरो को स्कूल के इंडिया व्हिजन स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार मिलता है एक खासदार के हाथों. वह खासदार होता है अमोल आर्ते. अमोल एक आशावादी, आदर्शवादी और प्रगतिशील राजनेता है जो औरो के व्हिजन से प्रभावित होकर उसके तरफ आकर्षित होता है. आगे क्या होता है. कैसे औरो को पता चलता है कि अमोल ही उसके पिता है और कैसे उनकी फेमिली फिर से मिलती है... ये कहानी है फिल्म की.
पटकथा:
अगर औरो की अनोखी बीमारी को फिल्म से निकाल दें तो फिल्म की कहानी किसी और साधारण फिल्म जैसी ही है. पर यही एक अलग चीज ... औरो और उसकी अजीब बीमारी ... इस फिल्म को अलग लेवल पर लेकर जाती है और एक अलग तरीके की ट्रीटमेंट मांगती है. और आर. बालाकृष्णन ने सही तरीके से इस डिमांड को पूरा किया है. उनका किरदारों और घटनाओं की तरफ देखने का एक अपना ही पॉजिटीव तरीका है जो पूरे स्क्रीनप्ले और फिल्म पे छाया है. इसी कारण इतने बुरे बीमारी के गिर्द घुमती कथा एक अल्हड़ और आनंदमयी कहानी के रूप में उजागर हो पाई है.
इस तरीके से सोचने और लिखने के लिए आर. बालाकृष्णन का हार्दिक अभिनन्दन. हिंदी फिल्म जगत को उनके जैसे लेखकों की सख्त आवश्यकता है.
दिग्दर्शन:
आर. बाल्की एक सुलझे हुए लेखक और एक उम्दा निर्देशक हैं. उनकी फिल्में अनोखी होती हैं और कठिन से कठिन परिस्थितियों को भी सहज तरीके से प्रस्तुत करती हैं. इनका ये नजरिया अगर असल जिंदगी में भी हम उतार पाए तो जिंदगी स्वर्ग बन जाएगी.
इसी नजरिये से जब बाल्की फिल्म को प्रस्तुत करते हैं तो फिल्म एक मजेदार अनुभव बन जाती है. उनकी लेखनी और दिग्दर्शन दोनों माध्यमों पर जबरदस्त पकड़ है. जिस तरीके की सादगी और संजीदगी उनके काम में है वैसा किसी और निर्देशक के काम में नहीं दिखाई देता. उनका काम वाकई काबिले तारीफ है.
अभिनय:
अभिनय .... अभिनय का क्या कहना... ये तो एक जादू है... चमत्कार है. अमिताभ बच्चन इस फिल्म में है ऐसा जयाजी स्टार्ट में बोलती है पर मुझे तो वो दिखाई ही नहीं दिए पूरे फिल्म में... दिखाई दिया तो 12-13 साल का एक बच्चा जो प्रोगेरिया से पीड़ित है. दर्शकों को झंझोड़ कर रख दिया है अमितजी ने. उनके लिए ऐसे कई सारे दर्शक सिनेमाघर में दीखते है जो सालों से कभी सिनेमाघर में नहीं गए. उन सब संजीदा और उच्च शिक्षित लोगों को सिनेमाघर खिंच के लाये हैं बिग बी.
विद्या बालन सुंदर दिखी हैं और बहुत ही सटीक अभिनय है उनका. परेश रावल पूरी तरह से अभिषेक के किरदार को सहारा देते हैं. विद्या की माँ बनी अभिनेत्री एक बेहतरीन और सहज अभिनय का प्रदर्शन कराती हैं.
चित्रांकन :
पी. सी. श्रीराम की सिनेमाटोग्राफी बेहतरीन है और फिल्म की ऊँची लेवल को और ऊँचा बनाती है.
संगीत और पार्श्वसंगीत:
संगीत जगत के पुराने सितारे श्री इल्लायाराजा ने इस फिल्म को अपने साजों संगीत से सँवारा है. फिल्म में दो ही गाने है और तीसरा आखरी में है. पहला गाना "उड़ी उड़ी" एक बेहेतरीन सुरीला गाना है. फिल्म का पार्श्वसंगीत फिल्म के साथ पूरी तरह से न्याय करता है.
संकलन:
अनिल नायडू का संकलन फिल्म की गति को बहता हुआ रखता है और दर्शकों को कहानी और किरदारों से बंधे हुए रखने में सफल होता है.
निर्माण की गुणवत्ता:
उच्चतम गुणवत्ता इस फिल्म के हर भाग में दिखाई देती है हालाँकि फिल्म कम लागत से बनी है. कम लागत और ऊँची गुणवत्ता के चलते ये फिल्म रिलीज़ के पहले ही प्रॉफिट में होगी. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को अच्छा रेस्पोंस है. बाकी सभी अधिकारों की बिक्री से बहुत सारी कमाई एबीसीएल को दे पायेगी.
लेखा-जोखा:
****(4 तारे)
इस फिल्म की जितनी भी तारीफ की जा सके कम है. फिल्म में प्रोगेरिया के परेशानियों से नहीं डील करती बल्कि एक लाइट फिल्म है जो सभी उम्र के दर्शकों को पसंद आएगी. आप पूरी फेमिली और दोस्तों के साथ ये फिल्म देखने जरुर जाइए.
चित्रपट समीक्षक:
--- प्रशेन ह.क्यावल