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Sunday, August 30, 2009

डेयरी उद्योग पर भी सूखे की मार

डेयरी उद्योग परेशानी मे
देश का डेयरी उद्योग इन दिनों परेशानी के दौर से गुजर रहा है। एक ओर जहां पशु आहार आदि की भाव वृद्वि से दूध की उत्पादन लागत बढ़ने से उससे तैयार पदार्थ महंगे हो रहे हैं वहीं दूसरी ओर विदेशी निर्यातक भारत में सस्ते उत्पाद डम्प कर रहे हैं। इस वर्ष देश के अनेक हिस्सों में सूखे जैसी स्थिति है। इससे पशु आहार और हरा चारा मंहगा हो गया है। सोयामील, राईस ब्रान खल, सरसों की खल, शीरा आदि पशु आहार तैयार करने में प्रमुख रुप से प्रयोग किए जाते हैं। पिछले कुछ महीनों में इन सबके भाव में एकतरफा बढ़ोतरी हुई है। पशु आहार महंगा होने से इसका असर दूध की उत्पादन लागत पर आ रहा है। दूध उत्पादों घी, मिल्क पावडर आदि के भाव भी बढ़ रहे हैं।

आयात

जहां एक ओर, पशु आहार महंगा होने और अन्य खर्च बढ़ने से दूध आदि की लागत बढ़ गई है वहीं दूसरी ओर विदेशों से सस्ता आयात किया जा रहा है। स्किम्ड मिल्क पावडर (एसएमपी) के अतिरिक्त बटर आयल आदि का आयात भारी मात्रा में
किया जा रहा है। सरकारी संगठन राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड यानि एनडीडीबी, टैरिफ रेट कोटा स्कीम के तहत 10,000 टन मिल्क पावडर का आयात करने की योजना बन रही है। यह आयात केवल 5 प्रतिशत के रियायती शुल्क दर पर किया जा रहा है। (कुछ समय पूर्व टैरिफ रेट कोटा स्कीम के तहत आयात शुल्क 15 प्रतिशत लगता था।) पूर्वी यूरोप के देशों में इस समय मिल्क पावडर के भाव लगभग 1,900 डालर प्रति टन चल रहे हैं। इस भाव पर आयात करने पर सभी खर्च मिलाने पर विदेशी
मिल्क पावडर की आयातित लागत लगभग 100 रुपए प्रति किलो आएगी। इसकी तुलना में घरेलू खुदरा बाजार में मिल्क पावडर के भाव लगभग 135 रुपए प्रति किलो चल रहे हैं। इसमें से डेयरी उद्योग को वास्तव में लगभग 115 रुपए प्रति किलो की ही प्राप्ति होती है।

बटर आयल
इसी प्रकार बटर आयल का आयात भी सस्ता पड़ रहा है। इसका आयात 30 प्रतिशत की दर पर किया जा रहा है। कुछ समय पूर्व आयात की दर 40 प्रतिशत थी। बटर आयल का आयात लगभग 1500 डालर प्रति टन के आयात पर न्यूजीलैंड से किया
जा रहा है। इसकी आयातित लागत भी लगभग 100 रुपए प्रति किलो ही आती है। इसे देश में देसी घी के रुप में बेचा रहा है।
घरेलू डेयरी उद्योग द्वारा जो घी तैयार किया जा रहा है उसकी लागत लगभग 200 रुपए प्रति किलो आती है। यदि इसी प्रकार डेयरी उत्पादों का सस्ता आयात जारी रहा तो निसंदेह देश के डेयरी उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उसके बाद देश का दूध उत्पादक यानि किसान प्रभावित होगा। ऐसे में बेहतर होगा कि सरकार कुछ ऐसे कदम उठाए कि किसानों के हितों की रक्षा हो सके।


राजेश शर्मा