Monday, March 01, 2010

कैसे न मनाएं होली

रिपोर्ट – प्रेमचंद सहजवाला

होली रंगों का त्यौहार है. पूरे देश में इस के आने से कुछ दिन पहली ही धूम सी मच जाती है. कहीं हास्य कवि सम्मलेन होते हैं तो कहीं मूर्ख सम्मलेन. युवा पीढ़ी सब से ज्यादा उत्साहित रहती है. कुछ पर्यावरण प्रेमी पर्यावरण संबंधी सवाल उठाते हैं तो कुछ गुबारों के फेंके जाने पर कानूनी रोक की बात करते हैं. मैंने रमेश नगर में तीन अलग अलग लड़कियों से इन प्रश्नों के उत्तर मांगे कि होली कैसे मनाई जाए और कैसे मनाई जाए. इस के अलावा मेरी जिज्ञासा यह भी थी कि होली पर सब से लोकप्रिय मिठाई कौन सी है. इन सवालों के जवाब हिन्दयुग्म के पाठकों के लिए विडियो क्लिप लिए हैं उन्हीं तीन युवा और प्रबुद्ध लड़कियों की ज़बान से, जो यहाँ प्रस्तुत हैं. हिन्दयुग्म के पाठक इन सवालों पर क्या सोचते हैं, यह जां कर प्रसन्नता होगी.
धन्यवाद – प्रेमचंद सहजवाला





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2 बैठकबाजों का कहना है :

Udan Tashtari का कहना है कि -

ये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
प्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.


आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.

-समीर लाल ’समीर’

निर्मला कपिला का कहना है कि -

ांअज तो हिन्द युगम पर हर जगह होली के सुन्दर रंग बरस रहे हैं होली की हार्दिक शुभकामनायें

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