Thursday, July 02, 2009

पानी रे पानी तेरा रंग कैसा…

दिल्ली में हम मानसून का मज़ा ले रहे हैं तो पुणे में बारिश अब भी मारकाट करवा रही है.....अनिरुद्ध शर्मा ने हमें ये दुख भरा मेल भेजा है..आइए, उनका दुख साझा करें....

कभी ये गाना एक कविता की तरह सुनते थे और आज हकीकत की तरह इसे याद कर रहा हूँ क्योंकि ऐसा लगता है कुछ दिनों में सचमुच मैं पानी का रंग भूल जाऊंगा आज ४ दिन हो गए घर में पानी नहीं है अभी बैठ कर यही सोच रहा था की २ दिन हो गए नहाये हुए, किस दोस्त के घर पानी होगा की हम सपरिवार वहां जा धमकें नहाने के लिए
पूना की जिस चीज़ ने मेरा मन मोह लिया था वही गायब हो गई है और इस बुरी तरह कि लोग त्राहि-त्राहि कर उठे हैं जितनी खूबसूरत यहाँ की बारिश होती है उतना ही बदसूरत सूखा पड़ गया है मैंने पिछले ४ सालों में यहाँ पानी की कमी कभी नहीं देखी लेकिन अब लगता है कि जल्द ही पानी के लिए क़त्ले-आम हो जायेगा कारपोरेशन से २ दिन में एक बार पानी आता है, वो भी बहुत थोडा सा और १-२ दिनौ में कटौती और बढ़ जायेगी कल ही पानी को लेकर सोसाइटी के लोगों में गरमा-गरम बहस हुई
सारे बाँध सूख गए हैं और ख़बरों के अनुसार पानी का स्तर पिछले ५० सालों में सबसे कम है
पानी की कमी के दूसरे साइड इफ्फेक्ट्स भी झेलने पड़ रहे हैं जैसे बिजली कटौती पॉवर प्लांट में सिर्फ २०% पानी बचा है जो कि अब तक का सबसे कम है यही हाल रहा तो इंशाअल्लाह अगले कुछ दिनों में आदिम युग का मज़ा लिया जा सकता है बिना बिजली के, बाहर के जो भी महानुभाव आदिम युग का अनुभव लेना चाहें उनका स्वागत है, बस टैक्स के रूप में वे हमारे लिए पानी ले आयें
मौसम विभाग हर २ दिन में भविष्यवाणी करता है और मानसून उनके मज़े ले रहा है पहली भविष्यवाणी थी कि इस बार बारिश बहुत अच्छी होगी और उनके देखे हमारे ज्योतिषियों ने भी सारे ग्रहों को ऐसे बिठा दिया था कि सब पानी देने लगे थे लेकिन जून का महीना आधा होते-होते ज्योतिषी महाराज तो अपनी पोथियाँ बंद करके बैठ गए पर मौसम विभाग अभी डाटा हुआ है आज उन्होंने फिर १-२ दिन का आश्वासन दिया है देखते हैं इस बार क्या होता है तब तक मैं वही गाता रहूँगा जो पिछले १ महीने से गा रहा हूँ - "अल्लाह मेघ दे पानी दे पानी दे पानी दे पानी दे... "
चलिए अभी पास में कहीं नल चल रहा है और मुझे पानी भरने जाना है, १-२ दिन में फिर से अपडेट देता हूँ तब तक आप भी दुआ कीजिये भगवन से, शायद आपकी दुआ रंग ले आये (पानी का :))

अनिरुद्ध शर्मा

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7 बैठकबाजों का कहना है :

Disha का कहना है कि -

aaj dheere dheere sabhee jagah yahi isthiti ho rahi hai.bijali ki katauti to shuroo ho chuki hai ab paani ki bhi shuroo hogi.

कीमत तभी समझता है इंसा
जब हाथ से निकल जाती है चीज
पहले ठोकरों में पढ़ी रहती है उसके
फिर वो ढूँढता फिरता है चीज

नीरज गोस्वामी का कहना है कि -

घबराईये नहीं मानसून हमारे खोपोली में आ चूका है वहां से पूना है ही कितनी दूर बस सत्तर की.मी. ही ना...आ जायेगा...पानी आ जायेगा...
नीरज

Manju Gupta का कहना है कि -

Pani varshane ke liye samaj ne "frog" ki shadi bhi karvayi hai.
Savar ka fal miitha hota hai.
Aabhar.

आलोक साहिल का कहना है कि -

jinhe pyaas ho unhe kam se kam, jinhe pyaas nahi unhein dam pe dam....
chinta ka vishay hai fir bhi aniruddh ji chinta na kijiye...
ham tax ki vyavastha hote hi puna ka rukh kar lenge..
jara apne yahan nahane ki vyavastha karni hai
ALOK SINGH "SAHIL"

admin का कहना है कि -

पानी आएगा, तभी तो उसका रंग पता चलेगा।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

Shamikh Faraz का कहना है कि -

रहिमन पानी रखी बिन पानी सब सून
पानी गए न ऊबरे मोती मानस चून

Anonymous का कहना है कि -

I just added your blog site to my blogroll, I pray you would give some thought to doing the same.

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