Monday, June 22, 2009

अल्लाह मेघ दे, पानी दे.....

बज़्मी नकवी को आप पहले भी हिंदयुग्म पर पढ़ चुके हैं...एक बार कविता प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, पहले दस कवियों में भी रहे और फिर हमारी पहुंच से दूर हो गए...इतने दिनों बाद अचानक बैठक पर इनका मेल देखकर ताज्जुब तो हुआ पर संतोष भी हुआ कि हिंदयुग्म से जुड़ने के जो वादे ये कर के गए थे, अभी भूले नहीं हैं....फिलहाल, इन्होंने एक तस्वीर हमें भेजी है और उन पलों का संक्षेप में ज़िक्र भी किया है जब इन्हें तस्वीर खींचने को मजबूर होना पड़ा....बैठक पर विचर रहे पाठक भी ऐसी जीवंत तस्वीरों के साथ बेहिचक हाज़िर हो सकते हैं....ब्लॉगिंग को घर-घर पहुंचाकर सरोकारों से जोड़ना ही तो हिंदयुग्म का मिशन है.....

ये फोटो बुंदेलखंड (बांदा) की है....सूखे की मार झेल रहे इस इलाके में ये एक किसान का बच्चा बेयकीन आँखों से बादल की गरज को पानी की बूंदों में बदलते देखना चाहता है... बज्मी नकवी

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7 बैठकबाजों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

kaash ki beyakeeni yakeen me badal

jaaye aur allah megh de hi de ,

प्रवीण त्रिवेदी का कहना है कि -

आमीन !!

manu का कहना है कि -

कितने दिन आँखें तरसेंगी ,
कितने दिन यूं दिल तरसेंगे,
इक दिन तो बादल बरसेंगे ,,,
ऐ मेरे प्यासे दिल,,,,,,,,,,,,,,
आज नहीं तो कल महकेगी ख़्वाबों की महफ़िल,,,,

फोटो देखते ही सबसे पहले ज़हन में यही आया,,,

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

फोटो देखकर लगा कि यह फोटो नहीं है बल्कि किसी वीडियो का प्रिंट स्क्रीन लिया गया है। खैर जो भी हो, बढ़िया है

Nikhil का कहना है कि -

डिजिटल कैमरे से फिल्म मोड पर जब स्टिल्स खींचते हैं तो ऐसी फिल्मी तस्वीर ही आती है....

Shamikh Faraz का कहना है कि -

सूखे में सूख गईं उम्मीदें सारी
और चटके हुए बदन में बाकी हम हैं.

Manju Gupta का कहना है कि -

Pyasi hai aakhe,pyasi hai photo.
Jaldi se pani barsa do.

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