Sunday, March 08, 2009

हल्दी रंग चोखा ही चोखा

इस वर्ष हल्दी में रंग चोखा ही चोखा रहने की संभावना है। हालांकि पिछले कुछ महीनों के दौरान हल्दी के भाव में काफी गिरावट आ चुकी है लेकिन उत्पादन, स्टाक और खपत का गणित आगामी महीनों में तेजी के संकेत दे रहा है।

उल्लेखनीय है कि विश्व में हल्दी का उत्पादन भारत के अलावा म्यांमार, वियतनाम, इंडोनेशिया आदि में प्रमुख रूप से होता है। भारत से अनेक देशों को हल्दी का निर्यात किया जाता है। देश से हल्दी के निर्यात में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से जनवरी के दौरान देश से 47,000 टन हल्दी का निर्यात किया जा चुका है जो गत वर्ष की इसी अवधि के निर्यात 40,715 टन की तुलना में लगभग 15 प्रतिशत अधिक है। गत पूरे वर्ष में 49,250 टन हल्दी का निर्यात किया गया था। इस वर्ष निर्यात से 21,080 लाख रुपए की आय हुई है जबकि गत वर्ष इसी अवधि में आय 12,497 लाख रुपए की हुई थी। दूसरे शब्दों में इस वर्ष हल्दी का निर्यात 44.85 रुपए प्रति किलो की दर पर किया गया है जबकि गत वर्ष 30.69 रुपए की दर पर किया गया था।

गणित

इस वर्ष देश में हल्दी का उत्पादन 42-43 लाख बोरी होने का अनुमान है जबकि गत वर्ष 44-45 लाख बोरी का उत्पादन हुआ था लेकिन कुल मिलाकर हल्दी की उपलब्धता गत वर्ष की तुलना में कम होगी। इसका कारण बकाया स्टाक कम का होना है। गत वर्ष आरंभ में देश में हल्दी का स्टाक लगभग 12 लाख बोरी था। इसे मिलाकर कुल कुल उपलब्धता लगभग 57 लाख बोरी हो गई थी। बहरहाल, इस वर्ष बकाया स्टाक केवल 6 लाख बोरी के आसपास ही बचा होने का अनुमान है। इस प्रकार इस वर्ष कुल उपलब्धता 49 लाख बोरी होने का अनुमान है।

दूसरी ओर, घरेलू खपत और निर्यात मिला कर देश में हल्दी की सालाना खपत लगभग 48 लाख बोरी होने का अनुमान है। हालांकि भाव अधिक होने पर किसी भी कृषि जिंस की घरेलू खपत कम हो जाती है और हल्दी भी इसका अपवाद नहीं है। अतः घरेलू खपत आम वर्षों की तुलना में कम ही होगी। इसके अलावा हल्दी में मिलावट की संभावना भी अधिक ही रहती है। इस प्रकार खपत कुछ कम हो सकती है लेकिन फिर भी कुल मिलाकर हल्दी की कमी ही रहेगी और यह कमी वर्ष के अंत यानि नवम्बर-दिसम्बर में अधिक अनुभव की जाएगी।

भाव

दिसम्बर 2008 के अंत में दिल्ली बाजार में सिंगल पॉलिश गठ्ठा हल्दी का भाव 4900/5000 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था जो अब गिर कर 2900/2950 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया है।

मार्च और अप्रैल हल्दी की आवक का पीक सीजन होता है। संभव है कि आवक बढ़ने पर इसके भाव में और गिरावट आ जाए लेकिन उसके बाद तेजी के आसार बन रहे हैं। संभव है कि भाव गत वर्ष के स्तर को भी पार कर जाएं।

राजेश शर्मा

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3 बैठकबाजों का कहना है :

Asha Joglekar का कहना है कि -

अच्छी जानकारी ।

Divya Narmada का कहना है कि -

आप ने रोचक, उपयोगी तथा अल्पज्ञात सामग्री दी है. हल्दी की कमी को दूर करने की दिशा में कुछ सुझाव होने से लेख की उपयोगिता बढ़ जाती. आपको बधाई. आगे भी ऐसे लेख देते रहिये.

Divya Narmada का कहना है कि -

आप ने रोचक, उपयोगी तथा अल्पज्ञात सामग्री दी है. हल्दी की कमी को दूर करने की दिशा में कुछ सुझाव होने से लेख की उपयोगिता बढ़ जाती. आपको बधाई. आगे भी ऐसे लेख देते रहिये.

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