आज़ादी की 62वीं सालगिरह पर ये तस्वीरें ख़ास बैठक के लिए वाघा बॉर्डर से हमारे दोस्त सोहैल आज़म ने भेजी हैं......सोहैल जामिया से मास कॉम की पढ़ाई के बाद बच्चों के लिए काम करने वाली एक संस्था से जुड़े हैं....इसी सिलसिले में वाघा जाना हुआ तो सरहद के बिल्कुल क़रीब से ये सारा नज़ारा अपने कैमरे में कैद कर लिया...सोहैल ने बताया कि सरहद पर इस पार-उस पार का फासला इतना कम है कि वहां अक्सर शाम को होने वाले रंगारंग आयोजनों की आवाज़ें उस पार तक पहुंचती हैं...लोग बॉलीवुड की धुनों के सहारे थिरकते हैं और देशभक्ति की अलख भी जगाए रहते हैं....आइए हम भी सरहद के इस जश्न में शरीक हों और इस पार-उस पार के फासले को थोड़ा कम करें, कुछ पलों के लिए ही सही....
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6 बैठकबाजों का कहना है :
अटारी बॉर्डर मैं भी गया हूँ... बहुत उत्साह और देशभक्ति से ओतप्रोत वातावरण बन जाता है...
भूमिका में एक तकनीकी भूल है... सौहेल वाघा नहीं..अटारी गये होंगे... वाघा पाकिस्तान में आता है....
तस्वीरों का धन्यवाद.. यादें ताज़ा हो गईं...
उत्साह को दुगना करती तस्वीरें है
बहुत ही बढिया
जोश आ गया तस्वीरें देखकर, सीना गर्व से चौड़ा हो गया.. हालांकि मैं कभी बाघा बॉर्डर तो नहीं गया, लेकिन कोशिश करूंगा, एक बार ज़रूर जाऊं...
जश्न की ये फोटो देख मन गौरवान्वित हो गया .सौहेल जी -हिंद युग्म के कारण हम देख पाए .बधाई
काश तस्वीरों में दिखने वाली ख़ुशी हमेशा के लिए दोनों मुल्कों में दिखाई दे.
तपन जी, वाघा आज़ादी से पहले भी वाघा ही था और आज भी वाघा ही है.. भले ही वो हिंदुस्तान में हो या पाकिस्तान में, फर्क सिर्फ एक रेखा का है... हाँ कुछ लोगों की सोच ज़रूर ऐसी है के हिंदुस्तान के वाघा बॉर्डर को अटारी बॉर्डर के नाम से बुलाया जाए....
जय हिंद....
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