आगामी दिनों में चाय की चुस्की और महँगी होने जा रही है क्योंकि विश्व में इसका उत्पादन लगातार कम हो रहा है। पिछले वर्ष भी चाय के भाव में तेजी रही थी लेकिन इस वर्ष यह और बढ़ सकती है।
हालांकि 2007 और 2008 में देश में चाय का उत्पादन अधिक हुआ है था लेकिन प्रतिकूल मौसम के कारण इस वर्ष उत्पादन में कमी की आशंका है।
गत वर्ष चाय का उत्पादन अधिक होने के कारण देश में इसके भाव में तेजी रही थी। इसका एक कारण जहां बकाया स्टाक कम होना था वहीं केनिया में उत्पादन कम होने से भारत से निर्यात बढ़ना भी था।
आगामी वर्ष में चाय के भाव में तेजी या मंदी का रुख जानने के लिए चाय उत्पादन के बारे में कुछ आधारभूत बातें जानना जरुरी है।
विश्व में केनिया सबसे बड़ा चाय निर्यातक देश है जबकि भारत सबसे बड़ा उत्पादक देश। केनिया में चाय के उत्पादन कमी या वृद्वि का असर पूरे विश्व में पड़ता है।
पिछले तीन वर्षों से केनिया में चाय का उत्पादन लगतार घट रहा है। वर्ष 2007 में वहां पर 3690 लाख किलो चाय का उत्पादन हुआ था जो 2008 में घट कर 3450 लाख किलो रह गया। चालू वर्ष में वहां पर चाय का उत्पादन और घट कर 3280 लाख किलो ही रह जाने का अनुमान है।
केनिया का असर
गत वर्ष केनिया में चाय का उत्पादन कम होने और भाव अधिक होने के कारण पाकिस्तान व कुछ अन्य देशों ने चाय के आयात के लिए भारत की ओर रुख किया। इससे 2008 के दौरान भारत से चाय निर्यात 1960 लाख किलो तक पहुंच गया हालांकि टी बोर्ड ने लक्ष्य 2000 लाख किलो का तय किया था। वर्ष 2007 के दौरान देश से 1767 लाख किलो का निर्यात किया गया था।
वर्ष 2008 के दौरान देश में चाय का उत्पादन 9808 लाख किलो होने का अनुमान है जबकि 2007 में 9447 लाख किलो था लेकिन देश में बढ़ती खपत और अधिक निर्यात के कारण भाव पर मंदे का कोई असर नहीं पड़ा। चालू वर्ष में अभी तक चाय का उत्पादन गत वर्ष की तुलना में पीछे चल रहा है। देश में चाय की सालाना खपत 8250 लाख किलो रही जबकि 2007 में यह 8100 लाख किलो थी। देश में 2008 के दौरान चाय का आयात लगभग 190 लाख किलो होने का अनुमान है जबकि 2007 में यह 160 लाख किलो था।
विश्व उत्पादन
केनिया के अलावा इस वर्ष रवांडा, इंडोनेशिया, मलावी आदि में भी चाय का उत्पादन कम होने की आशंका है। जनवरी से मार्च के दौरान देश के सभी देशों में चाय का उत्पादन गत वर्ष की तुलना में कम हुआ है।
भारत में भी चाय का उत्पादन कम होने की आशंका है क्योंकि मौसम प्रतिकूल है। उत्तरी भारत में असम व पश्चिमी बंगाल में अभी तक सूखा चल रहा है। इन राज्यों में चाय की आवक अप्रैल में आरंभ होती है लेकिन इस वर्ष देरी आरंभ होगी। चालू वर्ष में अब तक जो नीलामियां हुई हैं उनमें आवक कम रही है और भाव 15/20 रुपए प्रति किलो तक तेज हो चुके हैं।
दक्षिणी भारत में भी सूखा चल रहा है। एक अनुमान के अनुसार जनवरी मार्च के दौरान वहां पर चाय का उत्पादन लगभग 35 प्रतिशत गिर कर 320 लाख किलो रह गया है।
वहां के नीलामी केंद्रों पर आवक कम हो रही और भाव में औसतन लगभग 15 रुपए प्रति किलो की तेजी आ चुकी है।
चालू वर्ष के पहले दो महीनों के दौरान देश से चाय का निर्यात 330.2 लाख किलो से घट कर 247.2 लाख किलो रह गया है लेकिन निर्यात से प्राप्त आय 299 करोड़ रुपए से बढ़ कर 318 करोड़ रुपए हो गई। गत वर्ष की तुलना में निर्यात 25 रुपए प्रति किलो के अधिक भाव पर किया गया।
विश्व में चाय के भाव में तेजी को देखते हुए आगामी महीनों में चाय के निर्यात में गति आने का अनुमान है। संभव है कि निर्यात 200 लाख किलो के स्तर पर पहुं जाए।
आयात
देश में चाय के आयात मे भी बढ़ोतरी हो रही है। इस वर्ष जनवरी में 17.3 लाख किलो चाय का आयात किया गया जबकि गत वर्ष इसी माह में केवल 8.9 लाख किलो का आयात किया गया था। देश में हल्की क्वालिटी की चाय का आयात बढ़ सकता है।
भारत सहित विश्व में चाय के उत्पादन में कमी, देश से अधिक निर्यात और कम बकाया को देखते हुए आगामी महीनों में चाय के भाव में और तेजी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
--राजेश शर्मा
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6 बैठकबाजों का कहना है :
शुक्र है, हमारे घर में कोई चाय नहीं पीता..
चाय तो मै भी नही पीता पर कभी कभी बुखार या गला कराब होने पर पीनी पडती है
अब शायद लोग काँफी पीना शुरू कर दे, ऐसा कभी eco मे पढा था
अब शायद लोग काँफी पीना शुरू कर दे, ऐसा कभी eco मे पढा था
चाय की चाह में तरस रहे और अधिक तरसेंगे...उपयोगी जानकारीपूर्ण लेख.
mera kya hogga
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