Sunday, July 25, 2010

अब तेरा क्या होगा चीनी?

देश में गन्ने की बिजाई को देखते हुए चीनी उद्योग ने आगामी सीजन के लिए उत्पादन अनुमान जारी कर दिया है। हाल ही में चीनी उद्योग ने कहा है कि एक अक्टूबर से आरंभ होने वाले चीनी वर्ष 2010-11 के दौरान चीनी का उत्पादन 255 लाख टन होने का अनुमान है। चालू वर्ष में उत्पादन 188 लाख टन होने का अनुमान है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 8 जुलाई तक देश में गन्ने की बिजाई 47.37 लाख हैक्टेयर पर हो चुकी है जबकि गत वर्ष इसी अवधि में 41.79 लाख हैक्टेयर पर हुई थी। चीनी उद्योग का कहना है कि गन्ने की बिजाई अधिक होने के साथ ही हाल की वर्षा से उत्पादकता भी अधिक होगी और रिकवरी में भी सुधार होगा।
इससे कुल मिलाकर चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। अब तक देश में केवल दो ही बार ही चीनी का उत्पादन 250 लाख टन के आंकड़े को पार कर पाया ह। पहली बार 2006-07 में और दूसरी बार 2007-08 में। चीनी उद्योग का कहना है कि 250 लाख टन के उत्पादन और 40 लाख टन के बकाया स्टाक को मिलाकर कुल उपलब्धता 290 लाख टन ही हो जाएगी जबकि खपत का अनुमान 230 लाख टन का ही है। इस प्रकार आगामी वर्ष चीनी की अधिकता हो जाएगी। इसी को आधार मान कर चीनी उद्योग आयात पर शुल्क लगाने की मांग कर रहा है।

यकीन नहीं
एक ओर जहां चीनी उद्योग उत्पादन 250 लाख टन होने के अनुमान लगा रहा है यहीं दूसरी ओर सरकारी अनुमान 230 लाख टन का ही है। हाल ही में एक समारोह के दौरान 240 लाख टन के चीनी उत्पादन के आंकड़ों पर असहमति व्यक्त करते हुए स्वयं कृषि व खाद्य मंत्री श्री शरद पवार ने कहा था कि ‘मुझे इसका भरोसा नहीं है।’ इसी बीच, खुले बाजार में चीनी के भाव में गिरावट आ रही है। जनवरी-फरवरी में चीनी के भाव थोक बाजार में 4,300-4,400 रुपए प्रति क्ंिवटल पर पहुंच गए थे जो अब गिर कर 2,800-2,900 रुपए पर आ गए हैं।
विश्व बाजार में भी चीनी के भाव फरवरी में 30.4 सेंट प्रति पौंड का स्तर छूने के बाद अब गिर कर 17 सेंट के करीब आ गए हैं। चीनी व्यापारियों का कहना है कि चीनी उद्योग अधिक अनुमान के आंकड़े बता कर सरकार पर चीनी पर आयात शुल्क लगाने और इसे नियंत्रण मुक्त करने का दबाव बना रहा है। स्वयं कृषि भवन के अधिकारी इस समय चीनी के उत्पादन के अनुमान के बारे में कुछ भी कहने से करता रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस समय चीनी के उत्पादन के बारे मंे कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। यह समय किसी ठोस अनुमान लगाने का नहीं है।
वास्तव में अधिक उत्पादन के आंकड़े दर्शा कर चीनी उद्योग नियंत्रण से मुक्ति चाहता है। अब देखना यह है कि सरकार इन आंकड़ों को सही मानते हुए नए सीजन में चीनी को कन्ट्रोल से मुक्त कर देगी या कुछ महीनों तक उत्पादन की स्थिति का आंकलन करेगी।

राजेश शर्मा

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3 बैठकबाजों का कहना है :

दिपाली "आब" का कहना है कि -

hmmmm... Kya baat hai.. Matlab cheeni sasti hogi.. Yeh to sach mein kamaal ho gaya.

Aruna Kapoor का कहना है कि -

चीनी सस्ती होने का अनुमान तो लगाया जा रहा है....आपने यहां सही आकलन किया है राजेश जी...कई चीज वस्तुएं ऐसी है जो कम कीमत पर आम जनता के लिए उपलब्ध कराने पर, सरकार को कोई नुकसान नहीं पहुंच सकता...लेकिन सरकार?... कर्ता धर्ता तो वही है...उसके उपर हम कितना भरोसा कर सकतें है?...

Shah Nawaz का कहना है कि -

आपका लेख आज (26 जुलाई) दैनिक जागरण के राष्ट्रिय संस्करण, प्रष्ट न. 9 में प्रकाशित हुआ है.


http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=49&edition=2010-07-26&pageno=9

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