Tuesday, June 02, 2009

चीनी नहीं हो रही हजम!




पिछले दिनों वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) ने चीनी में वायदा कारोबार नए सौदों पर दिसम्बर अंत तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया। आयोग का कहना है कि ऐसा चीनी के भाव को काबू में रखने के लिए किया गया है। बहरहाल, यह बात कुछ हजम नहीं हो रही है क्योंकि चीनी के भाव तो अब नीचे आ ही रहे थे। इसका कारण अप्रैल और मई के दौरान उठाए गए कुछ कारगार कदम हैं। सरकार ने पहले तो अतिरिक्त कोटा जारी किया, लेकिन जब भाव नहीं रुके तो मिलों पर शिकंजा कसा और उनके लिए मासिक के बजाए सप्ताह के आधार पर कोटा बेचना अनिवार्य कर दिया। इसका चीनी के भाव पर तुरंत असर हुआ और चीनी के भाव घटने आरंभ हो गए। अप्रैल में जो चीनी खुदरा बाजार में 28/29 रुपए प्रति किलो बिक रही थी वह मई में घट कर 26/27 रुपए प्रति किलो पर आ गई। अर्थात दो रुपए प्रति किलो की कमी। थोक बाजार में चीनी के भाव में 250/300 रुपए प्रति क्विंटल तक की गिरावट आ गई।


सरकार की साज़िश


अब प्रश्न यह है कि जब दो माह पूर्व चीनी के भाव चोटी पर चल रहे थे और लोकसभा चुनाव भी चल रहे तो सरकार ने चीनी के वायदा कारोबार पर रोक नहीं लगाई लेकिन जब चुनाव समाप्त हो गया और यूपीए की सरकार दोबारा सत्ता में आ गई तो रोक लगा दी। इस रोक के बाद खुले बाजार में तो कोई खास गिरावट नहीं आई लेकिन वायदा कारोबार में एक बार कुछ कमी अवश्य आई। इससे उन व्यापारियों या कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ा जिन्होंने तेजी की आशा में वायदा कारोबार में चीनी खरीदी हुई थी। केवल दिखावा? ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार द्वारा चीनी में वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाकर सरकार यह दिखाना चाहती है कि वह चीनी के बढ़ते भाव के प्रति चिंतित है और चीनी मालिकों व व्यापारियों को भाव बढ़ाने की अनुमति नहीं देगी। लेकिन वास्तविकता यह है कि मिलों और व्यापारियों को अब चीनी के भाव बढ़ाने का मौका मिल जाएगा क्योंकि देश में वास्तव में चीनी की कमी है और विश्व बाजार में भी भाव लगातार तेज बने हुए हैं। इससे कच्ची या रिफाईंड चीनी का आयात कोई सस्ता पड़ने वाला नहीं है। अपितु कच्ची चीनी को आयात करने के बाद रिफाईंड करना महंगा विंसौदा साबित हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार तटीय क्षेत्रों में स्थित मिलों को यह चीनी लगभग 2600 रुपए प्रति क्विंटल पड़ेगी जबकि मिलों घरेलू चीनी को लगभग 2250 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर बेच रही हैं। अत: ऐसा नहीं लगता कि उपभोक्ताओं के चीनी के भाव में कोई स्थाई राहत मिली है। संभव है कि आगामी त्यौहारों के सीजन में चीनी के भाव में फिर तेजी आ जाए और उस समय सरकार तेजी को विदेशी बाजारों पर आधारित कह कर अपना पल्ला झाड़ सकती है।



--राजेश शर्मा

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

2 बैठकबाजों का कहना है :

Shamikh Faraz का कहना है कि -

राजेश जी आज अचानक बैठक पर आपका एक और आलेख मिला. पढ़कर बहुत अच्छा लगा, सरकार के बारे में आपने बहुत खूब सच्चाई को लिखा है.

Manju Gupta का कहना है कि -

Chini ab kdvi ho gayi.aj dam 35Rupye ho gaya hai.
Shashkt lekh ke liye aabhar.

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)