tag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post8096587565433431276..comments2024-03-12T09:10:03.045+05:30Comments on बैठक Baithak: पुरुषों के विरुद्ध एक अविश्वास प्रस्ताव...नियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-89193500003283748072009-03-22T12:43:00.000+05:302009-03-22T12:43:00.000+05:30बहुत सही बात रखी आपने...कोई भी इंसान या रिश्ता बुर...बहुत सही बात रखी आपने...कोई भी इंसान या रिश्ता बुरा नहीं होता पर सचेत रहने की जरुरत है क्योंकि कभी भी कोई भी बुरा बन सकता है...वैसे भी अगर लड़कियां खुद के व्यवहार को थोडा संयत बना लें काफी कुछ समस्याएं तो ऐसे ही ख़त्म हो सकती हैं...<BR/>आलोक सिंह "साहिल"आलोक साहिलhttps://www.blogger.com/profile/07273857599206518431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-45178334409908497272009-03-17T19:31:00.000+05:302009-03-17T19:31:00.000+05:30बहुत सधे तरीके से आपने अपनी बात रखी। हम हाज़ारों व...बहुत सधे तरीके से आपने अपनी बात रखी। हम हाज़ारों वर्षों की मानसिकता को कुछ महीनों में नहीं बदल सकते? इसलिक सतर्कता का दीपक महिलाओं को ज़रूर थामना चाहिए।शैलेश भारतवासीhttps://www.blogger.com/profile/02370360639584336023noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-75436807922503785832009-03-17T17:40:00.000+05:302009-03-17T17:40:00.000+05:30पुरुष और प्रकृति के मेल से सकल श्रृष्टि का निर्माण...पुरुष और प्रकृति के मेल से सकल श्रृष्टि का निर्माण हुआ. दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, शोषक भी. स्त्री के हाथों छला गया पुरुष जीवन भर अधूरेपन का दर्द भोगता है पर सहज प्रकृतिवश रो नहीं पाता. स्त्री का रुदन ही उसका सबसे बड़ा हथियार है जिसके प्रयोग का कोई अवसर वह हाथ से नहीं जाने देती. कुसूर दोनों का हो तब भी, स्त्री का हो तब भी और पुरुष का हो तब भी पुरुष को ही संदेह और लांछन का शिकार होना पड़ता है. स्त्री तो सदा सब की सहानुभूति पा ही लेती है. <BR/><BR/> आग अपने आप नहीं लगती. पहले चिंगारी सुलगाने का कार्य और क्रिया कोई अन्य संपन्न करता है. जब फूस चिंगारी के निकट आये तभी जलती-झुलसती है और फिर सारा आरोप आग के माथे...अस्तु. आपने जो ठीक समझा लिखा... पर सिक्के का दूसरा पहलू भी है..Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-87687162442899392672009-03-17T13:52:00.000+05:302009-03-17T13:52:00.000+05:30दुर्भाग्य से सर जी अभी कोई मशीन ऐसी नहीं बनी है जो...दुर्भाग्य से सर जी अभी कोई मशीन ऐसी नहीं बनी है जो एक्स रे की माफिक किसी का करेक्टर एक दो तीन करके बता दे.....समझ लीजिये जब तक इंसान रहेगे ...अपराध भी होगे ओर ऐसी घटनाएं भी....यानी कितना कितना क्या सिखायेंगे ?डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-66475448038842522962009-03-17T13:08:00.000+05:302009-03-17T13:08:00.000+05:30राजकिशोर जी आपने बहुत अच्छा लेख लिखा है, असल में आ...राजकिशोर जी आपने बहुत अच्छा लेख लिखा है, असल में आजकल "कपड़े उतारना" ही आधुनिकता समझा जाता है, पुरुष तो तैयार ही रहता है इस प्रकार की हरकत को बढ़ावा देने के लिये… लेकिन जो भी लड़की या महिला पुरुषों से व्यवस्थित और मर्यादित दूरी बनाये रखती है उसे खुद उनके समूह की महिलायें ही "पिछड़ी हुई" और "दीदी किस्म की" कहकर सम्बोधित करती हैं फ़िर पुरुषों की लम्पटता को और मौका मिल जाता है… स्त्री-पुरुष की तुलना आपने फ़ूस और आग से की है इसे मक्खन और गर्म छुरी से भी किया जाता है कभी-कभार… पहले भी मैंने एक बार टिप्पणी की थी कि "स्त्री के खुले जिस्म को देखकर जिस पुरुष में वासना ना जागे वह या तो महापुरुष होगा या पुरुष ही नहीं होगा…" लेकिन आजकल "खुलेपन" के इस दौर में लड़कियाँ इस बात को समझने को तैयार ही नहीं है जबकि अन्त में कष्ट भी सबसे अधिक उन्हें ही भुगतना पड़ता है, लड़के/पुरुष तो "मजे" लूटकर किनारे हो लेता है… आपका आलेख पसन्द आया… धन्यवाद…Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-55400772108969527672009-03-17T10:42:00.000+05:302009-03-17T10:42:00.000+05:30bahut hi umda lekh ,aapka shaayad pahla lekh padha...bahut hi umda lekh ,aapka shaayad <BR/>pahla lekh padha hai aur kahne ka <BR/>man kiya hai ,kya likha hi dost.magar avishwas kiye bina bi to saavdhan raha jaa sakta hai ,aurat agar satark hai,jaagruk hai ,to koi bhi use kisi kism ki chot nahi pahuncha sakta hai .<BR/>lekh to achcha hai ,par sheershak<BR/>galat hai ,dono ek doosre ke sahyogi hain ,hain na ??????????????neelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.com