tag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post7171683386197654800..comments2024-03-23T09:00:33.025+05:30Comments on बैठक Baithak: टी आर पी के युग में शो-पीस बनते बच्चे....नियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-69290470332575111732009-03-03T14:33:00.000+05:302009-03-03T14:33:00.000+05:30मुझे ये समझ नही आता जो बच्चे इन शो मे जाते है, उनक...मुझे ये समझ नही आता जो बच्चे इन शो मे जाते है, उनके मा बाप को सिर्फ पैसा ही क्यो दिख रहा है वो बच्चो के भविष्य के बारे मे क्यो नही सोचते, उन बच्चो मे से कितने बडे होकर फिल्म इंडस्टरी मे टिक पाएगे और यदि नही टिक पाए तो उनके बच्चो का क्या होगा ?, क्या वो depression का का शिकार नही हो जाइगे? <BR/>वो सिर्फ उनका बचपन ही नही उनकी पूरी जिन्दगी खराब कर रहे है।Unknownhttps://www.blogger.com/profile/15870115832539405073noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-12513170628774795752009-03-02T20:11:00.000+05:302009-03-02T20:11:00.000+05:30बचपन-यौवन बेचिए,बिन बिक्री जग सून.देश बना बाज़ार है...बचपन-यौवन बेचिए,<BR/>बिन बिक्री जग सून.<BR/>देश बना बाज़ार है,<BR/>क्रेता अफलातून.<BR/>बचपन को कैसे सहन,<BR/>हो बाजारू बात.<BR/>तपन कैमरे की करे,<BR/>शैशव पर आघात.<BR/>भोलेपन को बेचते, <BR/>पालक जा बाज़ार.<BR/>सत्य यही मान-बाप से,<BR/>बच्चे हैं बेजार.<BR/>गिल्ली-डंडा भूलकर,<BR/>बने तमाशा आज.<BR/>धन-लोलुप मान-बाप को <BR/>तनिक न आती लाज.<BR/>तपन बधाई लीजिये,<BR/>करी उजागर पीर.<BR/>बचपन अब धर सकेगा,<BR/>अपने मन में धीर.<BR/>नन्द बेचते कृष्ण की,<BR/>मधुर-मधुर मुस्कान.<BR/>सजी हुई दूकान पर,<BR/>राधा रस की खान.<BR/>'सलिल' काश फिर जी सके,<BR/>बचपन के दिन रैन.<BR/>तन-मन मनु के साथ मिल,<BR/>पाएंगे सुख-चैनDivya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-20167543012876272172009-03-02T18:26:00.000+05:302009-03-02T18:26:00.000+05:30जी तपन जी,और तिवारी जी से भी पूरी तरह सहमत हूँ,,,व...जी तपन जी,<BR/>और तिवारी जी से भी पूरी तरह सहमत हूँ,,,वाकई ये लोग क्या किसी को जज कर सकेंगे,,,,??<BR/>कला से इनका खुद का दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं लगता,,,,<BR/>हाँ जुगाड़ बाजी जरूर सीखा सकते हैं,,,,,,जो के आज कला पर पूरी तरह से हावी हो चुकी है,,,,,<BR/>अगर रचना श्रीवास्तव वाले बाल किरदार को ध्यान से समझा जाए तो,,,,यही कहा जायेगा के बचपने पर जुल्म हो रहा है,,,,,,, साधन सम्प्पन बच्चा,किसी और तरह से परेशान है,साधन हीन किसी और वजह से,,,,<BR/><BR/>किस तरफ बसता है कहिये तो चहकता बचपन ?<BR/>हमने हर सिम्त ही तो ग़मज़दा देखा है उसे ,,manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-552259904256969612009-03-02T13:06:00.000+05:302009-03-02T13:06:00.000+05:30कला और हुनर को सही ढंग से प्रदर्शित करना जरुरी है ...कला और हुनर को सही ढंग से प्रदर्शित करना जरुरी है |<BR/>लेकिन जो शो का दौर आया है वह केवल व्यावसायिकीकरण (commercialisation) का रूप लिए रहता है |<BR/>राहुल महाजन और राखी सावंत क्या किसी का मूल्यांकन करेंगे | कला और हुनर इनके बस की बात ही नही है |<BR/><BR/>तपन, आप की बातों से सहमत हूँ |<BR/>लेख के लिए धन्यवाद |<BR/><BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.com