tag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post5288168334764127583..comments2024-03-23T09:00:33.025+05:30Comments on बैठक Baithak: मीडिया को नियंत्रित कैसे करेंनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-51041919021651629972009-01-30T09:16:00.000+05:302009-01-30T09:16:00.000+05:30आज मीडिया भी एक आतंकवादी गिरोह बनता जा रहा है। अत:...आज मीडिया भी एक आतंकवादी गिरोह बनता जा रहा है। अत: देश का कोई भी कानून इन्हें नहीं रोक सकता। ये जब भी चाहे किसी की ईज्जत को बेपर्दा कर सकते हैं। आज सारे ही देश को भ्रमित करने में इनका सबसे बड़ा योगदान है। ये सरकारों की नीतियों पर नहीं लिखते या कहते है अपितु राजनेताओं के शब्दों को दिनभर सुनाते रहते हैं। यदि ये सरकारों की नीतियों का खुलासा करने लगे तब बहुत मेहनत होती है और मिलता भी कुछ नहीं है। राजनेताओं पर बोलो और मुफ्त में सबकुछ पाओ। इसलिए ये कानून से भी बड़े बन गए हैं। कानून सज्जनों के लिए बनते हैं, शैतानों के लिए नहीं।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-64393535198497236492009-01-28T15:21:00.000+05:302009-01-28T15:21:00.000+05:30बहुत बहुत धन्यवाद आपका राजकिशोर जी की अपने इस बैठक...बहुत बहुत धन्यवाद आपका राजकिशोर जी की अपने इस बैठक की दुनिया मैं आये <BR/>बहुत ही अच्छा आलेख लगा मुझे...<BR/>कभी कभी सही मैं खीज होने लगती है न्यूज़ चैनल देख कर की .. हम क्या देखने को मजबूर हैं ...<BR/>आज कल के बहुत सरे पेपर जैसे की टाईम्स ऑफ़ इंडिया और हिंदी के भी बहुत से पेपर ,,,, केवल आपनी मार्केटिंग की वजेह से ही चल रहे हैं ..मुझे बिलकुल सही अकडा तो नहीं पता लेकिन लगभग लगभग हर अख़बार पे प्रचार से टाईम्स ऑफ़ इंडिया को 70 रूपए मिलते हैं जो अख़बार हमें 2rupayमैं मिलता है, अगर हम प्रचार से मिलने वाले सारे पैसे जोड़ दें तो ...टाईम्स ऑफ़ इंडिया वाले चाहे तो हमें ये पेपर जन्म भर मुफ्त मैं दे सकते हैं ..उन्हें वैसे भी करीब करीब ७० रुपए मिल रहे होते हैं ..ये पूरा पैसा मुनाफा नहीं होता लेकिन इससे अंदाजा लगाया जा सकता है की मुनाफा बहुत होता होगा...<BR/>यही हाल करीब करीब सारे न्यूज़ चैनल्स का है ... इसीलिए हम टी आर पी(TRP) के हाथों मजबूर हैं ... क्युकी मीडिया को खबरें और पत्रकारिता की बजाये ... ये मार्केटिंग के लोग चला रह हैं ... जिनको सिवाए पैसे के कुछ नहीं दिखता (अब इसे मेरा दुर्भाग्य कहिये या सौभाग्य की मैंने मार्केटिंग की पढाई की है ... इसीलिए इस सच की थोडी बहुत झलक है मुझको ...)<BR/>मुझे लगता है .. अभी भी मीडिया के पास अपनी Image makeover से लेकर चाल चलन तक सब कुछ बदलने का पूरा मौका है....<BR/>साभार <BR/>दिव्य प्रकाशDivya Prakashhttps://www.blogger.com/profile/03694378793921509465noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-62970457450970940882009-01-28T12:48:00.000+05:302009-01-28T12:48:00.000+05:30आज के प्रेस और मीडिया, खबरों को जन्म देते हैं | On...आज के प्रेस और मीडिया, खबरों को जन्म देते हैं | On Fly खबरों को एडिट कर बताते हैं |<BR/>अपना ही न्यायालय बना किसी भी मुद्दे पर निर्णय देते रहते हैं | भाषा की धज्जियाँ उडाते हैं और समाज हित से पहले अपने टी आर पी के रेटिंग को देखते हैं |<BR/><BR/>यह देश का दुर्भाग्य है , तिरंगा जलता है और मीडिया उसे निर्लज्जता पूर्वक दीखा जनता में भ्रम लाता है | <BR/>मैं आज भी नेशनल न्यूज़ देखता रहता हूँ क्योंकि उसने आज भी अपनी गुणवत्ता बनाये रखी है |<BR/><BR/>यह आरोप सभी प्राइवेट न्यूज़ चैनल पर नही लागू होती लेकिन ज्यादा तर यही हो रहा है | <BR/>सुधार होगा ऐसी मंगल कामना |<BR/><BR/>अवनीश तिवारीअवनीश एस तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04257283439345933517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-78008218499862009452009-01-28T12:22:00.000+05:302009-01-28T12:22:00.000+05:30राज जी से असहमत होने की कोई वजह नहीं दिखतीराज जी से असहमत होने की कोई वजह नहीं दिखतीUnknownhttps://www.blogger.com/profile/01973770242313902664noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-35233197254627722962009-01-27T17:49:00.000+05:302009-01-27T17:49:00.000+05:30अरे सर जी,नमस्कार..... आपको यहाँ देखकर क्या ...अरे सर जी,नमस्कार.....<BR/> आपको यहाँ देखकर क्या कहूँ,बहुत ही अशचर्यचकित हूँ,हमेशा आपको जनसत्ता और दैनिक भास्कर में पढ़ता रहता था,कहने मे कोई संकोच नहीं की मेरे प्रिय स्तंभकारों मे आप वरीय हैं....<BR/> स्वागत है सर........<BR/> बात करें मीडिया पर नियंत्रण की तो मैं हमेशा से ही इस पक्ष का विरोधी रहा हूँ कि सरकार कोई नियम क़ानून बनाए,क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार ही होगा,<BR/>बेहतर यही है कि मीडिया के लोग खुद ही आत्मनियंत्रण पर ध्यान दें.....<BR/>अपनी लक्ष्मण रेखा खुद ही तय करें.......अन्यथा मजबूर होकर सरकार ने कोई कदम उठा लिया तो....<BR/> आलोक सिंह "सहिल"आलोक साहिलhttps://www.blogger.com/profile/07273857599206518431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-77641025116497611692009-01-27T15:04:00.000+05:302009-01-27T15:04:00.000+05:30sashakt aur saarthak aalekh hai.sashakt aur saarthak aalekh hai.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.com