tag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post3812767089538654762..comments2024-03-23T09:00:33.025+05:30Comments on बैठक Baithak: जो खुद आवारा नहीं था, शायद मसीहा भी नहींनियंत्रक । Adminhttp://www.blogger.com/profile/02514011417882102182noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-48576576346555368792009-04-13T23:44:00.000+05:302009-04-13T23:44:00.000+05:30शैलेश जी!एक सुझाव युग्म के पाठकों के पास स्व. विष्...शैलेश जी!<BR/>एक सुझाव युग्म के पाठकों के पास स्व. विष्णु प्रभाकर जी से जुडी जो स्मृतियाँ हैं उन्हें संकलित कर एक विशेषांक देने पर विचार करें. त्रयोदशी के दिन दे सकें तो...Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-83463549248957516682009-04-13T17:55:00.000+05:302009-04-13T17:55:00.000+05:30डा.रमा द्विवेदी said.. पद्मश्री विष्णु प्रभाकर ...डा.रमा द्विवेदी said..<BR/><BR/> पद्मश्री विष्णु प्रभाकर जी से एक बार हैदराबाद में मुलाकात हुई थी हमने उन्हें कादम्बिनी क्लब की गोष्ठी में आमंत्रित किया था और उनका सम्मान भी किया था आज भी मेरे पास उनका चित्र है। वे बहुत सरल-सहज और हँसमुख थे। इतने बड़े साहित्यकार थे फिर भी अभिमान रत्तीभर भी नहीं था। उन्होंने अपने युवाव्स्था के संस्मरण सुनाए थे जो हमारे लिए नितान्त नवीन अनुभव था । मैंने उन्हें जब अपना काव्यसंग्रह ’दे दो आकाश’ भेजा था तब उन्होंने उसे पढ़कर अपना आशीर्वाद पत्र में लिखकर भेजा था। वह पत्र आज भी थाती की तरह मेरे पास सुरक्षित है। कहने का तात्पर्य इतना ही है कि मैं उनके समक्ष एक बूँद भर भी नहीं थी फिर भी उन्होंने अस्वस्थता के बावजूद पत्र लिखकर भेजा ऐसी सरलता आज के युग में दुर्लभ है। नि:संदेह वे अप्रतिम व्यक्तित्व के धनी थे एवं महान साहित्यकार थे। हिंदी साहित्य जगत ने एक महान विभूति खो दी है और जो स्थान रिक्त हो गया है उसकी पूर्ति असंभव है। हम उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित कर शत-शत नमन करते हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति प्रदान करे एवं उनके परिवार को इस गहन वेदना को सहन करने की शक्ति दे।Ramahttps://www.blogger.com/profile/10010943809475838010noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-84080794692325453572009-04-13T12:55:00.000+05:302009-04-13T12:55:00.000+05:30विष्णु प्रभाकर सिर्फ साहित्यकार नहीं, महामानव भी थ...विष्णु प्रभाकर सिर्फ साहित्यकार नहीं, महामानव भी थे. दिव्य नर्मदा का प्रकाशन प्रारंभ करते समय उनसे आशीष पाने का मन हुआ, पत्र लिखा लौटती डाक से उत्तर मिला...उन्होंने खुले मन से आशीष दिया था बिना किसी परिचय के. अंक भेजने पर वार्धक्य व रुग्णता के बावजूद उनका पत्र आता...वे बाहुत सहज, सरल तथा समर्पित व्यक्तित्व के धनी थे. उनके साथ एक युग का अंत हो गया...शोक संतप्त स्वजनों के प्रति शोक संवेदना...Divya Narmadahttps://www.blogger.com/profile/13664031006179956497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-67283287721305823912009-04-13T12:23:00.000+05:302009-04-13T12:23:00.000+05:30विष्णु प्रभाकर को श्रद्धांजलि ,इश्वेर उनकी आत्मा क...विष्णु प्रभाकर को श्रद्धांजलि ,<BR/>इश्वेर उनकी आत्मा को शान्ति दे.....<BR/>हिंद युग्म और समस्त हिंदी ब्लॉग जगत की तरफ से उन्हें नमन,,,,manuhttps://www.blogger.com/profile/11264667371019408125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-57246512976604982512009-04-12T17:55:00.000+05:302009-04-12T17:55:00.000+05:30विष्णु प्रभाकर को विनम्र श्रद्धांजलि , ईश्वर से उन...विष्णु प्रभाकर को विनम्र श्रद्धांजलि , ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं.Pooja Anilhttps://www.blogger.com/profile/11762759805938201226noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-26862728930435796712009-04-12T13:30:00.000+05:302009-04-12T13:30:00.000+05:30विष्णु प्रभाकर जी को भावभीनी श्रधांजलि | Iishwar u...विष्णु प्रभाकर जी को भावभीनी श्रधांजलि | Iishwar unki aatma ko shanti pradan kare.संत शर्माhttps://www.blogger.com/profile/12067692021413627284noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-47529373922594966442009-04-12T08:01:00.000+05:302009-04-12T08:01:00.000+05:30हिंदी साहित्य की निस्संदेह इक बहुत बड़ी क्षति है.व...हिंदी साहित्य की निस्संदेह इक बहुत बड़ी क्षति है.<BR/>विष्णु प्रभाकर जी को भावभीनी श्रधांजलि एवं <BR/>शत् शत् नमन जो अपनी महान कृतियों में हमेशा अमर रहेंगे Ria Sharmahttps://www.blogger.com/profile/07417119595865188451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-19620388769980856412009-04-11T23:25:00.000+05:302009-04-11T23:25:00.000+05:30अचानक विष्णु पभाकर जी के चले जाने की खबर सुन कर धक...अचानक विष्णु पभाकर जी के चले जाने की खबर सुन कर धक्का लगा साथ ही इस बात का गहरा पश्चाताप भी हुआ की इतनें दिनों से दिल्ली में होनें के बावजुद एक बार भी उनसे मिलना नहीं हो सका। कालजयी पुस्तक 'आवारा मसीहा' के रचियता को विनम्र श्रधांजलि।Vipin Choudharyhttps://www.blogger.com/profile/05090451479975418329noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-39541214054681704272009-04-11T22:06:00.000+05:302009-04-11T22:06:00.000+05:30आवारा मसीहा जैसी रचनाओं के इस मशहूर लेखक का हमारे ...आवारा मसीहा जैसी रचनाओं के इस मशहूर लेखक का हमारे बीच न होना, सही में बहुत सालता है। लेकिन प्रकृति का यही नियम है। दरअसल नागर साहब ने जो योगदान साहित्य समाज को दिया है, उसे कभी नहीं भूला जा सकता। सही मायनों में आज जब अच्छे साहित्य लिखे नहीं जा रहे हैं, उनकी बहुत याद आएगी..................चंदन कुमारhttp://chhotigali.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-61291132554245137812009-04-11T21:07:00.000+05:302009-04-11T21:07:00.000+05:30आवारा मसीहा चला गया अपने अंतिम भ्रमण पर.साहित्यिक ...आवारा मसीहा चला गया अपने अंतिम भ्रमण पर.<BR/>साहित्यिक मसीहाई का एक सम्पूर्ण युग हुआ समाप्त.<BR/>रिक्तता जो भरना नितांत असम्भव है. श्रेष्ठ साहित्यकारों के बीच भी दूर दूर तक कोई नहीं जो ले सका उनका स्थान .<BR/><BR/>मेरी विनम्र श्रद्धांजलि.डा.अरविन्द चतुर्वेदी Dr.Arvind Chaturvedihttps://www.blogger.com/profile/01678807832082770534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-18571611360449676782009-04-11T18:12:00.000+05:302009-04-11T18:12:00.000+05:30विष्णुप्रभाकर जी को हमारी श्रद्धाजंलि..हिन्दी साहि...विष्णुप्रभाकर जी को हमारी श्रद्धाजंलि..हिन्दी साहित्य ने एक महान व्यक्तित्त्व खो दिया.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-70330071314441745862009-04-11T17:33:00.000+05:302009-04-11T17:33:00.000+05:30साहित्य जगत की एक हस्ती इस संसार से विदा हो गयी है...साहित्य जगत की एक हस्ती इस संसार से विदा हो गयी है जानकर मुझे भी बहुत दुःख हुआ. मैं भी अपनी श्रद्धांजलि देती हूँ. हम सब उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें.Shanno Aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/00253503962387361628noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-11190748156617059402009-04-11T15:01:00.000+05:302009-04-11T15:01:00.000+05:30यह साहित्य जगत को गहरा सदमा है। मैं विष्णू प्रभाकर...यह साहित्य जगत को गहरा सदमा है। मैं विष्णू प्रभाकर को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ और उनकी आत्मा की शांति की कामना करता हूँ।<BR/><BR/><BR/>प्रकाश बादल।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-89564739298107853402009-04-11T13:20:00.000+05:302009-04-11T13:20:00.000+05:30श्री विष्णु प्रभाकर जी नहीं रहे। वे लंबे समय से बी...श्री विष्णु प्रभाकर जी नहीं रहे। वे लंबे समय से बीमार थे।दिल्ली का कोई भी ऐसा साहित्यकार नहीं होगा जो उनके संपर्क में न आया हो। हमारा उनसे अनेक बार संपर्क हुआ। अन्तिम भेंट डॉ हरीश नवल की बिटिया के विवाह- समारोह में हुई थी । अस्वस्थ थे फिर भी विवाह में आए थे । डॉ हरीश नवल डॉ विजयेन्द्र स्नातक जी के दामाद हैं। स्नातक जी और विष्णु प्रभाकर जी घनिष्ठ मित्र थे। उपस्थित समस्त साहित्यकार उनका आशीर्वाद ले रहे थे। उन्हें कम दिखाई दे रहा था। पहचानने में कठिनाई हो रही थी। सुनने की भी समस्या थी। फिर भी पहचान गए थे। पूछा था - और तुम्हारी लघुकथाओं का क्या हाल है ? खूब लिख रहे हो।<BR/>विष्णु जी अजमेरी गेट से पैदल आकर कनाट प्लेस के मोहन सिंह पैलेस के काफ़ी हाउस में पहुँचते थे । वहाँ वे साहित्यकारों से घिरे रहते थे । वे क्या नए क्या पुराने , क्या वामपंथी क्या अन्य , सब साहित्यकारों के प्रिय थे। वे साहित्यिक-राजनीति से दूर थे । इसलिए सबके थे। उनके साथ अनेक लघुकथा - संग्रहों में प्रकाशित होने के अवसर मिले हैं । वे दिल खोलकर प्रशंसा करते थे। विष्णु जी ने हमेशा नए साहित्यकारों को प्रोत्साहित किया था । कौन क्या और कैसा लिख रहा है उन्हें इसकी जानकारी रहती थी ।<BR/>वे पीतमपुरा के अपने निवास में आ गए तो कनाट प्लेस की गोष्ठियां बंद हो गईं।<BR/>प्रातः उनके निधन का समाचार टी वी पर सुनकर मन उदास हो गया।<BR/>अनेक स्मृतियाँ साकार हो गईं ।<BR/>ashok lavAshkhttps://www.blogger.com/profile/11520165726417369282noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-85761991116135616702009-04-11T13:03:00.000+05:302009-04-11T13:03:00.000+05:30विष्णु जी का जाना हिंदी साहित्य जगत को सूना कर गया...विष्णु जी का जाना हिंदी साहित्य जगत को सूना कर गया....<BR/>हिंदयुग्म परिवार की ओर से उन्हें शत-शत नमन.Nikhilhttps://www.blogger.com/profile/16903955620342983507noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-33375733627984449442009-04-11T11:57:00.000+05:302009-04-11T11:57:00.000+05:30विचारों में आवारा चाहे न मानेंपर शब्दों का मसीहा ...विचारों में आवारा चाहे न मानें<BR/><BR/>पर शब्दों का मसीहा तो मानना चाहिए हमें<BR/>।<BR/><BR/><BR/>विष्णु प्रभाकर जी को जिस डाक की तब चिंता रही<BR/><BR/>वह आज ई मेल और ब्लॉग पोस्टों की<BR/><BR/>टिप्पणियों में अबाध रूप से बह रही।<BR/><BR/><BR/>डाक अपना रूप बदल कर आई है<BR/>।<BR/><BR/><BR/>देह से दूर हुए पर विचार उनके रहेंगे सदा। यही है मेरी श्रद्धा की भावना।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-23818636574044071352009-04-11T11:40:00.000+05:302009-04-11T11:40:00.000+05:30साहित्य के एक स्तम्भ का ढह जाना, दुखद है। मेरी ...साहित्य के एक स्तम्भ का ढह जाना, दुखद है। मेरी उन्हें विनम्र श्रद्धांजली।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-765263009855166532.post-3931656823304464842009-04-11T11:27:00.000+05:302009-04-11T11:27:00.000+05:30सर्जक,आलोचक कहलाने के उपक्रम से ज्यादा मरम्मती के ...सर्जक,आलोचक कहलाने के उपक्रम से ज्यादा मरम्मती के काम में व्यस्त,इस मरम्मती के दौरान छवि,रचना और साहित्य को नया रुप देने की जद्दोजहद करनेवाला व्यक्तित्व। अंतिम बार मिलने पर तीन घंटे के दौरान पच्चीसो बार डाक-डाक,आज की डाक,हमारी डाक,डाक से भेजी गयी पत्रिका। ये शब्द उनकी सक्रियता को,घुप्प कमरे में बैठकर भी बाहर की हलचलों को जानने और उससे जुड़ने की छटपटाहट बहुत ही कम साहित्यकारों में देखता हूं। साहित्य को विरासत से ज्यादा लगातार बदलते रहनेवाले संदर्भ के रुप में देखने की कोशिश करनेवाला विकट साहित्यकार।विनीत कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09398848720758429099noreply@blogger.com